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विश्व जनसंख्या दिवस पर रवाना किये गये 10 परिवार नियोजन जागरूकता रथ

11 से 15 जुलाई तक जिले के सभी प्रखंडों में घूम-घूम कर लोगों को करेंगी जागरुक
11 से 31 जुलाई तक मनाया जाएगा जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़ा- जिला सामुदायिक उत्प्रेरक
बढ़ती जनसंख्या के दबाव से प्रभावित होंगे सभी प्रकार के संसाधन- सिविल सर्जन

सहरसा(बिहार)विश्व जनसंख्या दिवस है। तेजी से बढ़ती आबादी एक गंभीर समस्या है। इस तेजी से बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण के लिए जरूरी है कि लोग परिवार नियोजन के बारे में अच्छी तरह जानें और इसकी आवश्यकता को समझें। वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान मनाया गया पिछला विश्व जनसंख्या नियंत्रण दिवस पर यह महसूस किया गया कि परिवार नियोजन के बारे में लागों को जागरूक करने की दिशा में इसके लिए बड़े पैमाने पर एडवोकेसी जरूरी है। इसे देखते हुए इस वर्ष र् मनाया जा रहा विश्व जनसंख्या दिवस दो चरणों में आयोजित किया गया। इसके पहले चरण यानि 27 जून से 10 जुलाई तक दंपति संपर्क पखवाड़ा के तौर पर मनाया जा चुका है, वहीं दूसरे चरण यानि 11 जुलाई से 31 जुलाई तक जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़ा के तौर मनाये जाने का निर्णय सरकार द्वारा लिया गया है। जनसंख्या स्थिरीकरण का सीधा संबंध परिवार नियोजन से है इसलिए इस मौके पर जिले में परिवार नियोजन के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के उद्देश्य से 10 जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाकर प्रभारी सिविल सर्जन डा. किशोर कुमार मधुप, जिला कार्यक्रम प्रबंधक विनय रंजन, जिला सामुदायिक उत्प्रेरक राहुल किशोर एवं जिला लेखा प्रबंधक मंतोष कमल ने रवाना किया।

बढ़ती जनसंख्या के दबाव से प्रभावित होंगे सभी प्रकार के संसाधन:
इस मौके पर प्रभारी सिविल सर्जन डा. किशोर कुमार मधुप ने बताया आज के दौर में परिवार नियोजन एक अहम मुद्दा है। इस वैश्विक महामारी के दौरान हमने पाया है कि अधिक जनसंख्या के कितने गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं। एक ओर जहां अधिक जनसंख्या दबाव के सरकारी संसाधनों पर विपरीत परिणाम देखने को मिले हैं वही इसका बोझ प्राकृतिक संसाधनों पर भविष्य में दिखाई देने लगेंगे। अधिक आबादी यानि अधिक लोगों के आवास की भूमि, जल, खाद्य सामग्री सहित अन्य कई प्रकार के प्राकृतिक संसाधनों पर लक्षित होने लगेंगे। इसलिए जरूरी है कि समय रहते लोग परिवार नियोजन के बारे में जानें और भविष्य में आने वाली परेशानियों से बचने के लिए परिवार नियोजन के साधनों को उपयोग में लायें। इसी को देखते हुए जिले में आज लोगों को परिवार नियोजन के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से जागरूकता रथ रवाना किया जा रहा है। यह रथ जिले के सभी प्रखंडों में जाकर पंचायत स्तर पर लोगों को परिवार नियोजन के प्रति जागरूक करेंगे।

परिवार नियोजन का संबंध अशिक्षा से भी है:
परिवार नियोजन जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखा रवाना कर चुके जिला सामुदायिक उत्प्रेरक राहुल किशोर ने कहा किसी भी तरह का परिवार नियोजन तभी सफल हो सकता है जब पति-पत्नी एक दूसरे से इसके बारे में खुलकर बात करें। ताकि वे दोनों इस बात को तय कर सकें कि उन्हें कितने संतान चाहिए और कब-कब चाहिए। आज भी इस संबंध में पति-पत्नी आपस में इस बात पर बात करने से बचते पाये जा रहे हैं। जबकि सरकार उन्हें उन साधनों को मुफ्त में उपलब्ध करा रही है। जिसका उपयोग कर वे अपनी योजना को साकार कर सकते हैं। आज भी बहुत-सी महिलाऐं खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसी हैं जिन्हें यह पता नहीं होता है कि उन्हें इस समय बच्चा चाहिए या नहीं। अधिकांश बच्चे लाने संबंधी निर्णय लेने में गौण रह जाते हैं। खासकर ग्रामीण इलाकों में यह संख्या अत्यधिक है। इन ग्रामीण महिलाओं में कई तो ऐसे होते हैं जिनकी शादी कम उम्र में ही हो जाती है, जिस समय उनकी परिवार नियोजन प्रति लापरवाही किये जाने से इच्छा के विपरीत कई संतानें हो जाती हैं जिनके बारे में परिपक्वता के साथ पहले से निर्णय नहीं लिये जाने के गंभीर परिणाम स्पष्ट दिखाई देते हैं। ग्रामीण महिलाओं में परिवार नियोजन के प्रति जागरूक नहीं हो पाने का सीधा संबंध उनकी अशिक्षा से भी है। इसलिए इस बार जनसंख्या दिवस के मौके पर सरकार द्वारा ग्रामीण इलाकों तक लोगों में परिवार नियोजन के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से आज जिले में परिवार नियोजन जागरूकता रथ रवाना किये जा रहे हैं। ताकि इसे सुनकर देखकर वे इसके प्रति जानकारी ले पायें। परिवार नियोजन के साधनों की उपलब्धि कहां-कहां है और इनका उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है।