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हाईकोर्ट के फैसले के बाद पंचायत चुनाव के तिथियों में बदलाव की संभावना

याचिकाकर्ता डॉ. उमाशंकर साहनी के कहा की ईवीएम में वीवीपैट नहीं लगा तो जाएंगे उच्चतम न्यायालय


मुजफ्फरपुर(बिहार) बिना वीवीपैट (वोटर वैरिफाइड पेपर आडिट ट्रेल) के राज्य में पंचायत चुनाव कराने पर पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। बुधवार को मुख्य न्यायाधीश संजय करोल एवं न्यायाधीश एस कुमार ने मुजफ्फरपुर के डा.उमा शंकर सहनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पंचायत चुनाव 2021 में एक भी ईवीएम बिना वीवीपैट के इस्तेमाल नहीं की जाएगी।
साथ ही इस याचिका को लेकर मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक रूप से प्रताडऩा झेलने पर याचिकाकर्ता को उचित मुआवजा देने का आदेश राज्य निर्वाचन आयोग को दिया।

मालूम हो कि डा. सहनी ने पटना हाईकोर्ट में सुप्रीम कोर्ट द्वारा आठ अक्टूबर 2013 को जारी आदेश का हवाला देते हुए याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया है कि पारदर्शिता को लेकर ईवीएम से कोई भी चुनाव कराने पर वीवीपैट का इस्तेमाल किया जाना जरूरी होगा। ताकि मतदाता यह जान सके कि उसका वोट सही उम्मीदवार को गया या नहीं। याचिका में यह भी कहा गया था कि अगर सभी ईवीएम में वीवीपैट लगाया जाना संभव नहीं हो तो बैलेट पेपर से ही पंचायत चुनाव कराया जाए। मामले की मंगलवार को सुनवाई हुई। इसके बाद बुधवार को इसपर आदेश जारी किया गया। हाईकोर्ट ने जारी आदेश में कहा कि निष्पक्ष चुनाव के लिए यह किया जाना जरूरी है।

पंचायत चुनाव पर पड़ सकता है असर

याचिकाकर्ता डॉ. उमाशंकर साहनी

अब जबकि पंचायत चुनाव को लेकर राज्य में दो चरणों का नामांकन कार्य पूरा हो चुका है। साथ ही 24 सितंबर को पहले चरण का मतदान भी है। ऐसे में पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद निर्धारित समय में पंचायत चुनाव कराना मुश्किल दिख रहा है। क्योंकि इतनी संख्या में वीवीपैट की उपलब्धता कठिन है। यहां यह भी महत्वपूर्ण है कि एक ईवीएम में चार पदों के लिए वोट डाले जाएंगे। इसके लिए चारों पदों के लिए वोट डालने पर पर्ची निकलना जरूरी होगा। पहले से ही ईवीएम की कमी से जूझ रहा राज्य निर्वाचन आयोग इतनी संख्या में वीवीपैट की व्यवस्था शायद ही कर सके। आयोग के पास बैलेट पेपर से चुनाव कराना का विकल्प है। यह भी निर्धारित समय पर पूरा होना कठिन है।

याचिकाकर्ता डॉ. उमाशंकर साहनी ने गौरीकिरण से बात करते हुए कहा की ईवीएम में वीवीपैट नहीं लगा तो जाएंगे उच्चतम न्यायालय