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जिले में पल्स पोलियो अभियान की सफलता के लिये सभी जरूरी तैयारियां पूरी

अभियान के दौरान कोविड-19 प्रोटोकॉल गाइडलाइन का होगा अनुपालन:

किशनगंज(बिहार)जिले में पल्स पोलियो अभियान का दूसरा चरण 29 नवंबर से शुरू होने जा रहा है. इसकी सफलता को लेकर स्वास्थ्य विभाग जरूरी तैयारियों में जुट चुका है. ताकि अभियान के तहत शत-प्रतिशत बच्चों को टीकाकरण सफलता पूर्वक संपन्न कराया जा सके. जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ रफत हुसैन ने बताया कि पल्स पोलियो अभियान के तहत एक भी बच्चा नही छूटे इसके लिए विभाग द्वारा व्यापक तैयारियाँ की जा रही है। डीआईओ डॉ. रफत हुसैन ने बताया कि पोलियो एक खतरनाक लकवाग्रस्त वायरस जनित रोग है. बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण उसे पोलियो ग्रसित होने की संभावना ज्यादा है. यह बीमारी विशेष रूप से रीढ़ के हिस्सों व मस्तिष्क को ज्यादा नुकसान पहुँचता है. इससे बचाव के लिए लोगों को अपने बच्चों को पोलियो की दवा जरूर पिलानी चाहिए. उन्होंने बताया कि दक्षिण-पूर्व एशिया समेत भारत को 2014 से ही पोलियो मुक्त घोषित किया गया है, पर आस-पड़ोस के देश जैसे पाकिस्तान, अफगानिस्तान आदि देश अभी भी पोलियो से ग्रसित है. वहां से आने वाले लोगों द्वारा यह भारत में भी फैल सकता है. इसलिए हमें सावधान रहना जरूरी है जिसके लिए अभियान चलाया जा रहा है.

जिले के सभी प्रखंडों में पिलाई जाएगी पोलियो की दो बूंद दवा:
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ रफत हुसैनने बताया टीकाकरण अभियान का संचालन जिले के सभी प्रखंडों में किया जायेगा. इसे लेकर सभी जरूरी तैयारियों की जा रही है. शहरी क्षेत्र के टीकाकरण दल को जरूरी प्रशिक्षण का कार्य संपन्न हो चुका है. जिले के सभी प्रखंडों में वर्क टीम का प्रशिक्षण देने का कार्य पूर्ण किया जा चुका है. उन्होंने कहा कि अभियान के दौरान हर दिन वर्किंग टीम द्वारा सभी पीएचसी में अपना रिपोर्ट उपलब्ध करायेंगे. पीएचसी के माध्यम से रिपोर्ट जिला मुख्यालय को उपलब्ध कराया जायेगा.

कुल 3 लाख 62 हजार बच्चों के टीकाकरण है लक्ष्य:
पल्स पोलियो अभियान के दौरान जिले के करीब 3 लाख 62 हजार बच्चों को दवा पिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसके लिए घर-घर जाकर दवा पिलाने के लिए जिले में 1059 टीम बनाई गई हैं, जिसके द्वारा कुल 3.62 लाख घरों में भ्रमण किया जाएगा, जिसके लिए कुल 927 हाउस टू हाउस टीम लगाई गई है, चौक-चौराहों पर भी दवा पिलाने के लिए जिले में 90 ट्रांजिट टीम बनाई गई है. इसके अलावा बासा, ईंट भट्ठों व घुमंतू आबादी वाले क्षेत्रों में भी दवा की पहुंच बनाने के लिए 25 मोबाइल टीम तैयार की गई है. सभी टीम की निगरानी के लिए 315 सुपरवाइजर भी तैयार किए गए हैं. एक सुपरवाइजर द्वारा 3 टीम का निरीक्षण किया जाएगा.

आशा व सेविका घर-घर जाकर बच्चों को पिलायेगी दवा:
पोलिया टीकाकरण अभियान में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को लगाया गया है. जो अपने पोषक क्षेत्र में घर-घर जाकर बच्चों को दवा पिलाने का काम करेगी. इतना ही नहीं दवा पिलाने के बाद बच्चों का नाम, बच्चे के माता-पिता का नाम, गृह संख्या सहित अन्य जानकारियां निर्धारित फार्मेट में भरकर विभाग को उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी उनके ऊपर सौंपी गयी है. पूरे दिन टीकाकरण से संबंधित रिपोर्ट शाम में संबंधित पीएचसी में जमा कराया जायेगा.

बस व रेलवे स्टेशन पर टीकाकर्मी रहेंगे तैनात:
यूनिसेफ के एसएमसी ने बताया कि अभियान के दौरान पांच साल तक के सभी बच्चों को पोलियो की दवा पिलाने का लक्ष्य है. कोई बच्चा इससे वंचित नहीं रहे इसके लिये जरूरी तैयारियां की गयी है. अधिक से अधिक बच्चों को इस अभियान से जोड़ने के लिये शहर व गांव के व्यस्त चौक-चौराहे, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन सहित भीड़-भाड़ वाले अन्य जगहों पर टीकाकरण दल की प्रतिनियुक्ति की गयी है. जो बाहर से आने-जाने वाले बच्चों को दवा पिलाने का काम करेंगे. दवा पिलाने के बाद बच्चों के हाथों पर खास निशान लगाया जायेगा. ताकि एक बार दवा पिलाने के बाद किसी बच्चे को दोबारा दवा नहीं पिलायी जा सके.

अभियान के दौरान कोविड-19 प्रोटोकॉल गाइडलाइन का होगा अनुपालन:
डब्लूएचओ के एसएमओ अमित कुमार ने बताया कि पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान के दौरान कोविड संक्रमण से बचाव का पूरा ध्यान रखा जाएगा. कर्मियों द्वारा दवा पिलाने के समय सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाएगा. संक्रमण को ध्यान में रखते हुए बच्चों को ड्रॉप पिलाने के बाद हाथ में मार्कर से किसी तरह का निशान नहीं लगाया जाएगा. स्वास्थ्य कर्मियों को पूरी तरह से मास्क व ग्लव्स का उपयोग करने के लिए निर्देशित किया गया है.
संक्रमण से बचाव के लिये इन बातों का रखें ध्यान:

  • थोड़े-थोड़े समय बाद अपने हाथों की सफाई करें.
    हाथों की सफाई के लिये साबुन व एल्कोहल युक्त सैनिटाइजर का प्रयोग करें.
    भीड़-भाड़ वाले जगहों से परहेज जरूरी है
    नियमित रूप से मास्क का सेवन संक्रमण से बचाव के लिहाज से महतत्वपूर्ण
    अनावश्यक रूप से नाक कान, मूंह को छूने से बचें
    सार्वजनिक जगहों पर थूकने से परहेज करें.