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आंगनवाड़ी केन्द्रों में मनाया गया अन्नप्राशन दिवस

• 6 माह के शिशुओं को खिलाया गया खीर, माताओं को मिली पोषक आहार की जानकारी
• टीकाकरण के महत्व पर हुई चर्चा
• कोरोना संक्रमण से बचाव की मिली जानकारी

पूर्णियाँ(बिहार)”जन्म के बाद 6 माह तक शिशु को सिर्फ और सिर्फ माँ का स्तनपान ही कराना चाहिए, लेकिन इसके बाद शिशु को ऊपरी आहार का भी सेवन कराना चाहिए. ऊपरी आहार के मिलने से शिशु के मानसिक स्वास्थ्य, तंत्रिका तंत्र व शारीरिक क्षमता का विकास होता है.” उक्त बातें महिला पर्यवेक्षिका मनीषा कुमारी ने शिशुओं को अन्नप्राशन कराने के बाद उनकी माताओं को जानकारी देते हुए कही. हर माह की तरह इस माह भी आंगनवाड़ी सेविका द्वारा अपने क्षेत्र में उपलब्ध 6 माह के शिशुओं को अन्नप्राशन कराया गया. कोरोना संक्रमण के कारण शिशुओं के अन्नप्राशन उनके घर पर जाकर ही कराया गया. इस दौरान शिशु को खीर खिलायी गयी और उनकी माता को शिशु को आगे से ऊपरी आहार में दिए जाने वाले खाद्य पदार्थों की जानकारी भी दी गई.

6 माह के बाद से ही अनुपूरक आहार की करें शुरुआत :

शहर के बाड़ीहाट, लक्ष्मी मंदिर स्थित आंगनवाड़ी केंद्र संख्या – 46 में निरीक्षण के लिए आई महिला पर्यवेक्षिका मनीषा कुमारी ने कहा कि नवजात शिशुओं को पहले 6 माह तक केवल माँ का दूध ही देना चाहिए. लेकिन जैसे ही शिशु 6 माह का हो जाए, उन्हें हल्की मात्रा में सुपाच्य भोजन देना शुरू कर देना चाहिए. उन भोजन में दलिया, खीचड़ी, हलवा, दाल आदि को शामिल किया जा सकता है. इससे बच्चे के विकास में तेजी आएगी व उसका स्वास्थ्य अच्छा होगा. उन्होंने यह भी बताया 6 माह बाद बच्चों को अनुपूरक आहार के साथ माताओं को स्तनपान भी जारी रखना चाहिए. ये सभी जानकारियां अन्नप्राशन के बाद उपस्थित सभी महिलाओं को दी गयी. उन्हें अनुपूरक आहार के प्रति बच्चों में रुझान बढ़ाने के लिए अनुपूरक आहार को स्वादिष्ट करने के संबंध में भी विस्तार से बताया गया.

हर माह कराया जाता है अन्नप्राशन दिवस का आयोजन :

आंगनवाड़ी सेविका मुनिता कुमारी ने बताया हर माह 19 तारीख को सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर 6 माह से अधिक उम्र के बच्चों को खीर खिला कर उनका अन्नप्राशन कराया जाता है. अन्नप्राशन के साथ ही बच्चों के संपूर्ण देखभाल सम्बन्धी जानकारी क्षेत्र की महिलाओं को दी जाती है. इसमें महिलाओं को सेविका द्वारा बच्चे के पोषण के लिए जरूरी आहार क्या हैं, इसकी जानकारी दी जाती है. उन्होंने कहा कि छोटे बच्चों को बाहरी चीजें खाने से रोकना चाहिए. उन्हें ऊपरी आहार में घर में उपलब्ध खाद्य पदार्थ देना ज्यादा अच्छा होता है. घर में सूजी, गेहूं का आटा, चावल, रागा एवं बाजरा के साथ पानी या दूध को मिलाकर दलिया बना कर बच्चों को खिला सकते हैं. आहार में चीनी या गुड़ भी दिया जा सकता है, जिससे शिशु को उर्जा में कमी न हो. आहार में वसा की आपूर्ति बढ़ाने के लिए घी या तेल का भी उपयोग किया जा सकता है. इसके अलावा अंडा, मछली, फल व हरी सब्जियां भी शिशु के स्वास्थ्य के विकास में सहायक होते हैं.

टीकाकरण के महत्व पर हुई चर्चा :

अन्नप्राशन के अवसर पर क्षेत्र की सेविका ने लोगों को बच्चों के टीकाकरण की भी जानकारी दी. सेविका मुनिता कुमारी ने बताया टीकाकरण बच्चों को गंभीर व घातक बीमारीयों के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के लिए दी जाती है. इसलिए यह बहुत जरूरी है कि लोग अपने बच्चों को सभी प्रकार के टीके ससमय जरूर लगवाएं. अन्नप्राशन के बाद माताओं को बच्चों के साफ सफाई पर ध्यान देने, समय पर टीकाकरण करवाने आदि की भी जानकारी दी गई.

कोरोना संक्रमण से बचाव की मिली जानकारी :
अन्नप्राशन के साथ ही लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए भी जागरूक किया गया. हमेशा मास्क का उपयोग करने , हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल एवं ग्लव्स का प्रयोग को को अपने दैनिक गतिविधियों में शामिल करने की जानकारी उपस्थित महिलाओं को दी गई. उन्हें यह भी बताया गया कि बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए ज्यादा सतर्कता की जरूरत है. बच्चों को हमेशा साफ-सुथरा रखें. अगर कोई व्यक्ति बाहर से आए हैं तो बिना साफ-सफाई और सैनिटाइजर का इस्तेमाल किए बच्चे को उन्हें न सौंपे. सैनिटाइजर को बच्चों की पहुंच से दूर रखें इत्यादि जानकारियां भी अन्नप्राशन के दौरान लोगों को दी गई