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सर्दी के इस मौसम में टीबी से बचाव को लेकर रहें सावधान

  • उच्च जोखिम वाले जगहों पर टीबी मरीजों की हो रही खोज
  • सरकार ने देश से 2025 तक टीबी के उन्मूलन की तैयारी कर रखी

किशनगंज(बिहार)सर्दी के मौसम में लोगों के सर्दी-खांसी और बुखार सहित अन्य ठंडजनित मौसमी बीमारियों की चपेट में आ जाना सामान्य बात है। इसीलिए, स्वास्थ्य के प्रति सभी लोगों को विशेष सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है। इस बदलते मौसम में लोगों में टीबी की संभावना काफी बढ़ जाती है। इससे बचाव के लिए प्रत्येक आयु वर्ग के लोगों को विशेष सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है। बुजुर्ग और छोटे-छोटे बच्चों के लिए और भी सतर्कता व सावधानी जरूरी है। क्योंकि, बच्चे और बुजुर्गों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता युवाओं की तुलना में बहुत कमजोर होती है। टीबी संक्रामक एवं जानलेवा बीमारी है। टीबी के अनियमित एवं अधूरे इलाज के कारण ड्रग रेजिस्टेट टीबी हो जाती है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त देश बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। कोरोना संक्रमण के चलते पिछले वर्ष की अपेक्षा 21 फीसद कम टीबी मरीज चिह्नित किए गए। इसको गति देने के लिए जनवरी में टीबी हारेगा-देश जीतेगा अभियान शुरू किया गया है। इसके तहत टीबी मरीजों को चिह्नित करने के लिए जिला में सघन खोजी कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
छोटे-छोटे बच्चों को बीसीजी टीका से टीबी से बचाव संभव :
इस मौसम में छोटे-छोटे बच्चों में भी टीबी से ग्रसित होने की संभावना देखी जा रही है। इसलिए, इससे बचाव के लिए निश्चित रूप से अपने बच्चों को बीसीजी का टीका लगवाएं ताकि वो इस बीमारी की चपेट में आने से दूर रहे। टीबी भी एक संक्रामक बीमारी है। इसके साथ हीं बच्चों को श्वसन संबंधित स्वच्छता रखने के लिए भी प्रेरित करें। उन्हें पौष्टिक आहार के साथ खानपान में विटामिन – सी वाले भोज्य पदार्थ दें। टीबी पीड़ित बच्चों के लिए अच्छी नींद भी बहुत जरूरी है।

उच्च जोखिम वाले जगहों पर मरीजों की खोज:

जिले में घर-घर जाकर 10 वर्ष से कम एवं 60 वर्ष से अधिक उम्र के कैंसर पीड़तों, लीवर की बीमारी से ग्रसित लोगों, अस्थामा, हृदय रोगी, मधुमेह, रक्तचाप आदि रोग से ग्रसित लोगों का टीबी रोग से संबंधित स्क्रीनिंग,जांच एवं इलाज किया जा रहा है। वहीं उच्च जोखिम युक्त समूह वाले जगहों बाल गृह,बालिका गृह कारागृह, सुधारगृह, नारी निकेतन, रैन वसेरा, वृद्धाश्रम, पोषण पुनर्वास केंद्र आदि जगहों पर टीबी मरीजों की खोज की जा रही है।
अस्पतालों में जाँच की सुविधा निःशुल्क है
जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. कौशल किशोर ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति को दो हफ्तों से ज्यादा की खांसी, खांसी में खून का आना, सीने में दर्द, बुखार, वजन का कम होने की शिकायत हो तो वह तत्काल बलगम की जांच कराए। सरकार द्वारा जिले के सभी अस्पतालों में जाँच की मुफ्त व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही पीड़ित व्यक्ति के लिए दवाई भी सभी स्वास्थ्य संस्थानों में निःशुल्क दी जाती है । इसके साथ ही पीड़ित ब्यक्ति को आर्थिक सहायता राशि भी दी जाती है ताकि कोई भी पीड़ित व्यक्ति आसानी के साथ अपना समुचित इलाज करवा सकें।

टीबी रोगियों का नोटिफिकेशन किया जा रहा:

18 से 23 जनवरी तक निजी चिकित्सकों के साथ संपर्क कर प्राइवेट सेक्टर के अंतर्गत इलाजरत टीबी रोगियों का नोटिफिकेशन किया जाएगा। इसके तहत टीबी रोगियों के समुचित इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित कराने को लेकर प्राइवेट चिकित्सकों का निक्षय पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन एवं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। 27 से 31 जनवरी तक शहरी क्षेत्र के दलित अथवा मलिन बस्ती, ईंट-चिमनी भवन, नव निर्मित कार्यस्थल, ग्रामीण दूरस्थ एवं कठिन क्षेत्र , महादलित टोला एवं अन्य लक्ष्य समूह में टीबी मरीजों की खोज की जाएगी।

पीड़ित व्यक्ति के लिए आर्थिक सहायता का भी है प्रावधान ,मरीजों को मिलेंगे 500 रुपए
नई मरीज मिलने के बाद उन्हें 500 रुपए प्रति माह सरकारी सहायता भी प्रदान की जाएगी। यह 500 रुपए पोषण युक्त भोजन के लिए दिया जाएगा। एक मरीज को आठ महीने तक दवा चलती है, इस आठ महीने तक प्रतिमाह पांच 500-500 रुपए दिए जाएंगे। मरीज के ठीक होने के बाद यह राशि बंद कर दी जाएगी।
ये हैं टीबी से बचाव के उपाय :
1- 2 हफ्ते से ज्यादा खांसी होने पर डॉक्टर को दिखाएं। दवा का पूरा कोर्स लें। डॉक्टर से बिना पूछे दवा बंद न करें ।

  • मास्क पहनें या हर बार खांसने या छींकने से पहले मुंह को पेपर या नैपकिन से कवर करें।
  • मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूकें और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंद कर डस्टबिन में डाल दें। यहां-वहां नहीं थूकें।
  • पौष्टिक खाना खाएं, व्यायाम व योग करें ।
  • बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तंबाकू, शराब आदि से परहेज करें।
  • भीड़-भाड़ वाली और गंदी जगहों पर जाने से बचें।

ये हैं टीबी के लक्षण:—-

  • भूख न लगना, कम लगना तथा वजन अचानक कम हो जाना।
  • बेचैनी एवं सुस्ती रहना, सीने में दर्द का एहसास होना, थकावट व रात में पसीना आना।
  • हलका बुखार रहना।
  • खांसी , खांसी में बलगम तथा बलगम में खून आना। कभी-कभी जोर से अचानक खांसी में खून आ जाना।
  • गर्दन की लिम्फ ग्रंथियों में सूजन आ जाना तथा वहीं फोड़ा होना।
  • गहरी सांस लेने में सीने में दर्द होना, कमर की हड्डी पर सूजन, घुटने में दर्द, घुटने मोड़ने में परेशानी आदि।
  • महिलाओं को बुखार के साथ गर्दन जकड़ना, आंखें ऊपर को चढ़ना या बेहोशी आना ट्यूबरकुलस मेनिन्जाइटिस के लक्षण हैं।
  • पेट की टीबी में पेट दर्द, अतिसार या दस्त, पेट फूलना आदि होते हैं।
  • टीबी न्यूमोनिया के लक्षण में तेज बुखार, खांसी व छाती में दर्द होता है।