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बायो मेडिकल कचरा स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए अत्यंत खतरनाक है: डीएम

बिहार(सीवान)मेडिकल कचरे का निस्तारण ठीक से नहीं होने की वजह से मानव और पर्यावरण दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। अब शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को निजी कंपनी को अपने यहां से निकलने वालीं बायोमेडिकल वेस्ट देना होगा।अगर कोई अस्पताल नहीं देता है तो उस पर कार्रवाई भी होगी। इसकी जिम्मेवारी सिविल सर्जन को दी गयी है। इसके लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद से सभी अस्पतलों को रजिस्ट्रेशन कराना होगा। मंगलवार को समाहरणालय स्थित कार्यालय प्रकोष्ठ में जिलाधिकारी अमित कुमार पांडेय की अध्यक्षता में बायोमेडिकल वेस्ट को लेकर जिलास्तरीय अनुश्रवण निगरानी समिति की बैठक हुई। इसमें जिलाधिकारी अमित कुमार पांडेय ने कहा कि अस्पतालों से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट का सभी सरकारी व निजी अस्पताल प्रबंधन द्वारा उचित प्रबंधन व निष्पादन किया जाए ताकि उससे संक्रमण नहीं फैले। बायो मेडिकल कचरा स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए अत्यंत खतरनाक है।

इससे न केवल बीमारियां फैलती है बल्कि जल,थल एवं वायु सभी दूषित होते हैं। इसके लिए सभी अस्पतालों द्वारा पहले प्रदूषण नियंत्रण पर्षद से रजिस्ट्रेशन कराया जाए और उसके बाद बायोमेडिकल वेस्ट को प्रतिदिन निजी चयनित निजी कंपनी को उपलब्ध कराया जाए। अगर कोई भी अस्पताल इसका अनुपालन नहीं करता है तो उस पर सिविल सर्जन के द्वारा कार्रवाई की जाएगी। नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी को भी निर्देश दिया गया है कि कूड़ा प्वाइंट पर अगर अस्पतालों से निकलने वाला वेस्ट हो तो उसे चुनकर अलग किया जाए। इसके बाद उसे सदर अस्पताल को उपलब्ध कराया जाए ताकि उसे सुरक्षित तरीके से डिस्पोजल किया जा सके।

बताया गया कि बायो मेडिकल वेस्ट में अस्पताल, प्रयोगशाला, प्रतिरक्षण कार्य, ब्लड बैंक आदि में इंसान के शारीरिक सम्बन्धी बेकार अंग और इलाज के लिए उपयोग किए उपकरण आते हैं। बायोमेडिकल कचरा स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिये काफी खतरनाक है। इससे न केवल और बीमारियां फैलती हैं बल्कि जल,थल और वायु सभी दूषित होते हैं। इससे इन्फेक्शन, एचआईवी, महामारी, हेपेटाइटिस जैसी बीमारियां होने का भी डर बना रहता है। सिविल सर्जन डॉ प्रमोद कुमार पांडेय ने बताया कि सदर अस्पताल सहित अन्य सरकारी अस्पतालों से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए पुख्ता व्यवस्था की गई है। इसके लिए मुजफ्फरपुर की निजी संस्था को सरकार ने जिम्मा दिया है। प्रतिदिन कंपनी की गाड़ी स्वास्थ्य संस्थानों से उत्पन्न बायोमेडिकल कचरा ले जाने के लिए पहुंचती है। अस्पतालों में बायोमेडिकल कचरा उठाव के लिए तमाम मानक पूरा किए जाते हैं। इन कचरे को पहले से ही बंद पॉलिथीन में रखी जाती है जिसे कंपनी के कर्मी उठाकर ले जाते है। उन्होंने बताया कि सभी निजी अस्पतालों का रजिस्ट्रेशन कराने को लेकर निर्देश दिया जाएगा ताकि कचरा को कंपनी को उपलब्ध कराया जा सके। मौके पर वैज्ञानिक नलनी मोहन सिंह, सिविल सर्जन डॉ. प्रमोद कुमार पांडेय, डीपीएम ठाकुर विश्वमोहन,नप कार्यपालक पदाधिकारी राहुल धर दूबे,आईएमए के सचिव डॉ शरद चौधरी सहित अन्य मौजूद रहे।