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पुस्तक समीक्षा:धर्मेन्द्र कुमार की अलौकिक रचनाएं

लेखक:डॉ. बाल्मीकि कुमार
अगर आप अच्छा साहित्य ढूंढ ढूंढ कर पढ़ते है।कविता पढ़ना सौख है,आप भावुक है,आपको बेहतर की तलाश है तो तलाशिए धर्मेन्द्र कुमार की कविताएं।बस एक कविता हाथ लग गई तो फिर इस कवि को ढूंढकर पढ़ना ही आपका मिशन हो जाएगा।राम जयपाल महाविद्यालय छपरा में हिंदी के सहायक आचार्य,कवि धर्मेन्द्र कुमार का काव्य संग्रह ‘अधखिला फूल’सृष्टि प्रकाशन चंडीगढ़ से प्रकाशित है।कविता में कितनी पीड़ा है,कितनी संवेदना है,कवि कितनी गहराई तक आहत हुआ है।इसका मुक्कमल व्यान है काव्य संग्रह।कवि धर्मेन्द्र कुमार के काव्य संग्रह में तैतीस रचनाएं शामिल है।सभी रचनाएं अपने समय की मांग है।संग्रह की सभी रचनाएं एक ही समय में नहीं लिखी गई है।इस कारण सभी का ग्राफ व्यापक है।बड़ी-बड़ी बाते कहती खुशबूदार कविताओं का संग्रह है।पुस्तक की तैतीस कविताओं में जीवन का पक्ष स्वयं मुखरित है।हर्ष है,उल्लास है,वेदना है,पीड़ा है।कहि स्नेह से लबरेज अनुभूति है तो कहि नैनो से छलकते हर्ष के आशु है,तो कहि अपनी पीड़ा को तीब्रता से प्रदर्शित करते नायक बन जाते है।समय की धड़कने इन कविताओं में बोलती है।कवि ने।लक्ष्यार्थ, व्यंग्यार्थ तथा मुख्यार्थ साक्षात वैचारिकता के धरातल को प्रस्तुत किया है।धर्मेन्द्र कुमार को बढ़ाई देने वालो में प्रचार्य डॉ. इरफान अली,डॉ.नागेन्द्र कुमार शर्मा,डॉ.राजू प्रसाद, डॉ. अमित रंजन,डॉ. तोषी व विनोद राय आदि शामिल है।