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कोविड-19 जांच के साथ अब स्पुटम जांच करने का सीडीओ ने दिया निर्देश

  • एसटीएस, एवं एलटीएलएस का की हुई मासिक समीक्षा बैठक में
  • सदर अस्पताल के सभागार में हुई बैठक में एसटीएस को दिए गए निर्देश
  • जनवरी से दिसंबर तक 2154 मरीजों को मरीज हुए चिन्हित

मधुबनी(बिहार)मधुबनी जिले को यक्ष्मा(टीबी) मुक्त बनाने के लिए सदर अस्पताल के सभागार में शुक्रवार को एनटीईपी (नेशनल ट्यूबक्यूलोसिस एलिमेशन कार्यक्रम) के अंतर्गत सीडीओ डॉ. आर.के. सिंह की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन किया गया। इसमें लैब टेक्निशियन, एसटीएस, एसटीएलएस सम्मिलित हुए। बैठक की अध्यक्षता संचारी रोग एवं यक्ष्मा नियंत्रण के डॉ. आर. के सिंह ने की। बैठक में प्रत्येक पीएचसी को टीवी टीबी नोटिफिकेशन इंप्रूव करने के साथ प्रत्येक मरीज का एचआईवी जांच, डायबिटीज एवं कोविड-19 टेस्ट करने का निर्देश दिया गया। साथ ही बाहर से आए मरीजों को ट्रांसफर इन करने के लिए आवश्यक तकनीकी जानकारी दी गई. टीबी विभाग के एलटी को कोविड-19 टेस्ट के साथ ही स्पुटम जांच भी करने एवं जांच में तेजी लाने का के निर्देश दिए गए साथ ही जांच में तेजी लाने का आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया। बैठक के दौरान जिला में टीबी मरीजों के की खोजबीन के साथ ही उन्हें समय पर दवा उपलब्ध कराने को कहा गया।

टीबी मरीजों की पहचान होते ही गृह भ्रमण करें:
सीडीओ डॉ आर. के. सिंह ने कहा कि यक्ष्मा रोग एक जटिल रोग है। इसे जल्द से जल्द पहचान कर इलाज शुरु किया जाना चाहिए, ताकि दूसरों व्यक्तियों में यह संक्रमित बीमारी न पहुंचे। वहीं बैठक के दौरान सभी एसटीएस को यह भी निर्देश दिया कि यक्ष्मा रोग की पहचान होते ही एसटीएस उसके घर का भ्रमण जरूर करें। गृह भ्रमण के दौरान छह वर्ष तक की उम्र के बच्चों को जेएनएच की गोली देना सुनिश्चित करें। वहीं अगर गृह भ्रमण के दौरान उनके घर के किसी व्यक्ति में भी टीबी के लक्षण पाए जाते हैं तो शीघ्र ही उनके बलगम जांच की व्यवस्था सुनिश्चित करें. की जाय।

एमडीआर-टीबी हो सकता है गंभीर, रहें सतर्क:
एमडीआर-टीबी होने पर सामान्य टीबी की कई दवाएं एक साथ प्रतिरोधी हो जाती हैं। टीबी की दवाओं का सही से कोर्स नहीं करने एवं बिना चिकित्सक की सलाह पर टीबी की दवाएं खाने से ही सामान्यता एमडीआर-टीबी होने की संभावना बढ़ जाती है।

जनवरी से दिसंबर तक 2154 मरीजों चिन्हित:

जिले में जनवरी 20 से दिसंबर 20 तक कुल 2154 टीबी के मरीज चिन्हित किए गए। जिसमें सदर मधुबनी में 868, पीएचसी पंडौल 148, अनुमंडल अस्पताल झंझारपुर में 173, पीएचसी मधेपुर में 86,पीएचसी लखनौर में 10, पीएचसी घोघरडीहा में 48, रेफरल हॉस्पिटल फुलपरास में 20, पीएचसी लौकही में 35, पीएचसी बाबूबरही में 57, पीएचसी अंधराठाढ़ी में 22, पीएचसी राजनगर में 97, पीएचसी लदनिया में 74, पीएचसी खुटौना में 41, पीएचसी खजौली में 57, पीएचसी कलुआही में 17, पीएचसी जयनगर में 57, पीएचसी बासोपट्टी में 32, पीएचसी हरलाखी में 17, पीएससी मधवापुर में 46, पीएचसी बिस्फी में 91, एवं पीएचसी बेनीपट्टी में 158 मरीज को चिन्हित किया गया किए गए हैं है। वहीं जनवरी 2021 माह में जिले में 329 मरीज चिन्हित किए गए है।सभी मरीजों को आवश्यक जांच के बाद दवा उपलब्ध कराया जा रहा है।

निक्षय पोषण योजना के तहत मिलते हैं 500 रुपये:

टीबी के मरीजों को उचित खुराक को बेहतर पोषण उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से निक्षय पोषण योजना चलायी गयी है। जिसमें टीबी के मरीजों को उचित पोषण के लिए 500 रुपये प्रत्येक महीने दिए जाते हैं। यह राशि उनके खाते में सीधे पहुंचती है। सरकार की मंशा है कि टीबी के मरीजों में 2025 तक 90 प्रतिशत की कमी लायी जा सके।

समीक्षा बैठक में अनिल कुमार, जीत प्रोजेक्ट के ऑपरेशन मैनेजर संजय चौहान, ऑपरेशन लीड आकाश कुमार, फील्ड ऑफिसर तन्मय सिन्हा लैब टेक्निशियन, एसटीएस, एसटीएलएस