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कोरोना पॉजिटिव मतलब जिंदगी खत्म नहीं प्रवेक्षिक

  • पॉजिटिव हैं तो पॉजिटिव सोच रखें: महिला पर्यवेक्षिका प्रीति सिंह
  • ठीक होने के बाद लोगों को कोविड के नियमों का पालन करने की दे रही हैं सलाह
  • कोरोना योद्धा के रूप मे बनाई पहचान, कोरोना को मात देकर हुई स्वास्थ्य

किशनगंज(बिहार)“कोरोना पॉजिटिव हैं तो भी हमेशा पॉजिटिव सोच रखें, क्योंकि पॉजिटिव सोच ही कोरोना संक्रमण से उबरने में मददगार साबित हो सकती है। कोरोना पॉजिटिव मतलब जिंदगी खत्म नहीं है। आपके साथियों और परिवार को हौसला भी दवा का काम करता है। इसलिए कोरोना को हराना है तो पॉजिटिव सोच के साथ लड़ना होगा। कोरोना का संक्रमण हौसलों को पस्त नहीं कर सकता।” यह कहना है 42 वर्षीय जिले के बहादुरगंज प्रखंड में समेकित बाल विकास परियोजना में पदस्थापित महिला पर्यवेक्षिका प्रीति सिंह का, जो अपने हौसले के दम पर कोरोना संक्रमण को मात देकर वापस समाज की सेवा में जुट गईं हैं।

हौसले को सभी ने सलाम किया
तरियानी समेकित बाल विकास परियोजना में पदस्थापित 42 वर्षीय महिला पर्यवेक्षिका प्रीति सिंह क्षेत्र भ्रमण करते समय दिनांक 04 अक्टूबर को कोरोना संक्रमित हो गई थी। जिसके बाद उन्होंने स्वयं को 14 दिनों तक होम आइसोलेशन में रहकर कोविड -19 के नियमों का पालन करते हुए कोरोना को मात देने में सफल हुई। वह 23 अक्टूबर को कोरोना से ठीक होकर अपने दायित्वों का निर्वहन करने के लिए काम पर लौट आईं हैं। कोरोना से ठीक होने के बाद जब वापस काम पर लौटी तो उनके हौसले को सभी ने सलाम किया है ।

कार्य क्षेत्र में भ्रमण करने के दौरान हो गयी थी संक्रमित :
महिला पर्यवेक्षिका प्रीति सिंह ने बताया कि कार्य क्षेत्र मे सहयोग करने तथा अन्य सेवाओं के देख रेख के दौरान ही खुद कोविड-19 से संक्रमित हो गयी थी। इसके बाद वह सुरक्षा व इलाज के मद्देनजर होम आइसोलेट हुए तथा स्वस्थ होने पर छुट्टी मिलने के बाद पुनः दुगुनी ताकत के साथ अपनी जिम्मेदारी में जुट गयी।

परिवार के लोगों ने बढ़ाया हौसला:
महिला पर्यवेक्षिका प्रीति सिंह मूल रूप से किशनगंज जिले के रहने वाली हैं. यहां पर उनके साथ उनके पति और बच्चे रहते हैं. पति बिजनेसमैन हैं, जबकि दोनों बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. प्रीति सिंह कहती हैं कि अगर परिवार का सहयोग नहीं मिलता तो वह अपने काम को इतने अच्छे से नहीं कर पाती जितना किया. उन्होंने बताया जब वह कोरोना संक्रमित पाई गयी थी, एक बार तो उन्हें ऐसा लगा कि अब क्या होगा. परिवार के अन्य लोग तो संक्रमित नहीं हो जाएंगे. लेकिन उनके बच्चों ने उनका हौसला बढ़ाया. पति का भी सहयोग मिला. इससे उन्हें आत्मविश्वास मिला. यही कारण है कि वह ठीक होने के तुरंत बाद समाज की सेवा में फिर से लग गयी .

कोविड-19 के नियमों का सख्ती से पालन करने की अपील की :

महिला पर्यवेक्षिका प्रीति सिंह ने बताया होम आइसोलेशन के दौरान उन्होंने काफी सतर्कता बरती तथा इस दौरान विभागीय निर्देशों व नियमों का पालन किया। साथ ही, खानपान पर भी विशेष ध्यान दिया। इस क्रम में घरेलु उपचारों के माध्यम से अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती रही और जिससे वह बहुत ही कम समय कोरोना संक्रमण से ठीक हो गये। उन्होंने बताया कि इस दौरान उनके साथ कोई भेदभाव की बात नहीं हुई तथा उन्होंने लोगों से कोविड-19 के बनाए गए नियमों व प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करने की अपील की है। उन्होंने बताया कि अब तक इस बीमारी की दवा नहीं निकल पाई है। इसलिए जब तक इसकी दवा उपलब्ध नहीं हो जाती, तब तक किसी प्रकार की ढिलाई नहीं बरतनी चाहिए ।

होम आइसोलेशन के नियमों का करें पालन :

संक्रमित व्यक्ति के घर में होम आइसोलेशन के दौरान परिवार से अलग और उचित दूरी पर रहने की सभी सुविधाएं मौजूद हों।

इसके साथ ही होम आइसोलेशन के दौरान संक्रमित व्यक्ति की देखभाल करने के लिए 24 घटें और सातों दिन कोई व्यक्ति उपलब्ध रहना चाहिए। देखभाल करनेवाले व्यक्ति और जिस हॉस्पिटल से मरीज़ का इलाज चल रहा है, उसके बीच लगातार संपर्क रहना चाहिए। जब तक कि होम आइसोलेशन की अवधि तय की गई है।

मरीज को होम आइसोलेशन के दौरान हर समय तीन लेयर वाला फेसमास्क पहने रहना चाहिए। हर 8 घंटे में इस मास्क को बदल दें। अगर आपको लगता है कि पसीने के कारण मास्क गीला हो गया है या धूप-मिट्टी के कारण गंदा हो गया है तो इसे तुरंत बदल लें।

आइसोलेशन के दौरान मरीज को केवल एक तय कमरे में ही रहना चाहिए। साथ ही परिवार के सभी लोगों से दूर रहना चाहिए तथा सारी व्यवस्था भी अलग होनी चाहिए।

महिला पर्यवेक्षिका प्रीति सिंह ने बताया कि कोरोना के संक्रमण काल मे लोग कोविड के इन उचित व्यवहारों का पालन जरूर करें

  • मास्क का प्रयोग और 2 गज की शारीरिक दूरी जरूरी
  • एल्कोहल आधारित सैनिटाइजर का प्रयोग करें।
  • सार्वजनिक जगहों पर हमेशा फेस कवर या मास्क पहनें।
  • अपने हाथ को साबुन व पानी से लगातार धोएं।
  • आंख, नाक और मुंह को छूने से बचें।
  • छींकते या खांसते वक्त मुंह को रूमाल से ढकें।