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संवाद की एक भाषा का विकास जरूरी- प्रो. बी.के. कुठियाला

महेन्द्रगढ़ हरियाणा

इजराइल, फ्रांस, जर्मनी जैसे विकसित देशों को उत्कृष्टता प्राप्त करने में वहां की भाषाई एकता की भूमिका महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। भारत के पुरातन ज्ञान के प्रति श्रद्धा और भविष्य निर्माण के लिए जारी प्रयासों के निर्धारित लक्ष्यों को पाने में संवाद की भाषा के स्तर पर एकरूपता महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इस दिशा में जारी प्रयासों को मूर्त रूप देने में बुद्धिजीवी वर्ग की भूमिका अहम है। यह विचार हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद, पंचकुला के अध्यक्ष प्रो. बी.के. कुठियाला ने सोमवार को हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ में आयोजित अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने की।

विश्वविद्यालय के राजभाषा अनुभाग व आजादी का अमृत महोत्सव अभियान समिति के प्रयासों से ऑनलाइन आयोजित कार्यक्रम की शुरूआत में आजादी का अमृत महोत्सव अभियान की नोडल ऑफिसर व कुलसचिव प्रो. सारिका शर्मा ने विषय की जानकारी दी और कुलपति का परिचय प्रस्तुत किया। कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने अध्यक्षीय संबोधन में मातृभाषा से प्यार और उसके विकास के लिए विभिन्न प्रयासों को महत्त्वपूर्ण बताया। उन्होंने बताया कि आज इंजीनियरिंग विषयों जैसे तकनीकी विषयों की पढ़ाई हिंदी में हो पा रही है।

नेहरू युवा केंद्र ने मार्गदर्शन व परामर्श कार्यक्रम आयोजित किए

कुलपति ने विश्व के विकसित राष्ट्रों की प्रगति में उनकी राष्ट्र भाषा के योगदान का भी उल्लेख किया। कुलपति ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति विशेष रूप से मातृभाषा के माध्यम से युवा पीढ़ी के विकास की बात करती है जोकि मौजूदा समय की आवश्यकता है। इसी क्रम में कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो. बी.के. कुठियाला ने भाषाई एकता का उल्लेख करते हुए मातृभाषा के विकास और उसमें वर्णित ज्ञान के संरक्षण व संवर्धन पर जोर दिया। प्रो. कुठियाला ने मातृभाषाओं की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए भाषाई एकता की दिशा में जारी विशेष प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में वर्णित 22 भाषाओं के स्तर पर एक विशेष एकीकृत शब्दकोश के निर्माण की प्रक्रिया जारी है। जिसके परिणाम स्वरूप पूरे देश में भाषाई एकता की परिकल्पना को साकार किया जा सकता है। उन्होंने इस अवसर पर सभी को मातृभाषा के सम्मान व संरक्षण के लिए भी संकल्प दिलाया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि का परिचय भूगोल विभाग के सहायक आचार्य डॉ. मनीष कुमार ने प्रस्तुत किया जबकि कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय के हिंदी अधिकारी शैलेंद्र सिंह ने किया। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन शिक्षा पीठ के प्रो. प्रमोद कुमार ने दिया। आयोजन में विश्वविद्यालय की विभिन्न पीठों के अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, शिक्षक, अधिकारी व कर्मचारी ऑनलाइन माध्यम से उपस्थित रहे।