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जन अधिकार पार्टी के चिकित्सा प्रकोष्ट के प्रदेश सचिव डॉ रौशन पांडेय ने केंद्र सरकार 15 सवाल किए

बिहार:जन अधिकार पार्टी के चिकित्सा प्रकोष्ठ प्रदेश सचिव डॉ रौशन पांडेय ने नए कृषि बिल पर केंद्र सरकार से किसानों के 15 सवाल पूछे ,क्या सरकार इन सवालो का जबाब देगी?

  1. अगर सरकार की MSP को लेकर नीयत साफ है तो वो मंडियों के बाहर होने वाली ख़रीद पर किसानों को MSP की गारंटी दिलवाने से क्यों इंकार कर रही है?
  2. MSP से कम ख़रीद पर प्रतिबंद लगाकर, किसान को कम रेट देने वाली प्राइवेट एजेंसी पर क़ानूनी कार्रवाई की मांग को सरकार खारिज क्यों कर रही है?
  3. कोरोना काल काल के बीच इन तीन क़ानूनों को लागू करने की मांग कहां से आई? ये मांग किसने की? किसानों ने या औद्योगिक घरानों ने?
  4. देश-प्रदेश का किसान मांग कर रहा था कि सरकार अपने वादे के मुताबिक स्वामीनाथन आयोग के सी2 फार्मूले के तहत MSP दे, लेकिन सरकार ठीक उसके उल्ट बिना MSP प्रावधान के क़ानून लाई है। आख़िर इसके लिए किसने मांग की थी?
  5. प्राइवेट एजेंसियों को अब किसने रोका है किसान को फसल के ऊंचे रेट देने से? फिलहाल प्राइवेट एजेंसीज मंडियों में MSP से नीचे पिट रही धान, कपास, मक्का, बाजरा और दूसरी फसलों को MSP या MSP से ज़्यादा रेट क्यों नहीं दे रहीं?
  6. उस स्टेट का नाम बताइए जहां पर हरियाणा-पंजाब का किसान अपनी धान, गेहूं, चावल, गन्ना, कपास, सरसों, बाजरा बेचने जाएगा, जहां उसे हरियाणा-पंजाब से भी ज्यादा रेट मिल जाएगा?
  7. जमाखोरी पर प्रतिबंध हटाने का फ़ायदा किसको होगा- किसान को, उपभोक्ता को या जमाखोर को?
  8. सरकार नए क़ानूनों के ज़रिए बिचौलियों को हटाने का दावा कर रही है, लेकिन किसान की फसल ख़रीद करने या उससे कॉन्ट्रेक्ट करने वाली प्राइवेट एजेंसी, अडानी या अंबानी को सरकार किस श्रेणी में रखती है- उत्पादक, उपभोक्ता या बिचौलिया?
  9. जो व्यवस्था अब पूरे देश में लागू हो रही है, लगभग ऐसी व्यवस्था तो बिहार में 2006 से लागू है। तो बिहार के किसान इतना क्यों पिछड़ गए?
  10. बिहार या दूसरे राज्यों से हरियाणा में BJP-JJP सरकार के दौरान धान जैसा घोटाला करने के लिए सस्ते चावल मंगवाए जाते हैं। तो सरकार या कोई प्राइवेट एजेंसी हमारे किसानों को दूसरे राज्यों के मुकाबले मंहगा रेट कैसे देगी?
  11. टैक्स के रूप में अगर मंडी की इनकम बंद हो जाएगी तो मंडियां कितने दिन तक चल पाएंगी?
  12. क्या रेलवे, टेलीकॉम, बैंक, एयरलाइन, रोडवेज, बिजली महकमे की तरह घाटे में बोलकर मंडियों को भी निजी हाथों में नहीं सौंपा जाएगा?
  13. अगर ओपन मार्केट किसानों के लिए फायदेमंद है तो फिर “मेरी फसल मेरा ब्योरा” के ज़रिए क्लोज मार्केट करके दूसरे राज्यों की फसलों के लिए प्रदेश को पूरी तरह बंद करने का ड्रामा क्यों किया?
  14. अगर हरियाणा सरकार ने प्रदेश में 3 नए कानून लागू कर दिए हैं तो फिर मुख्यमंत्री खट्टर किस आधार पर कह रहे हैं कि वह दूसरे राज्यों से हरियाणा में मक्का और बाजरा नहीं आने देंगे?
  15. अगर सरकार सरकारी ख़रीद को बनाए रखने का दावा कर रही है तो उसने इस साल सरकारी एजेंसी FCI की ख़रीद का बजट क्यों कम दिया? वो ये आश्वासन क्यों नहीं दे रही कि भविष्य में ये बजट और कम नहीं किया जाएगा?
  16. जिस तरह से सरकार सरकारी ख़रीद से हाथ खींच रही है, क्या इससे भविष्य में ग़रीबों के लिए जारी पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम में भी कटौती होगी?
  17. क्या राशन डिपो के माध्यम से जारी पब्लिक डिस्ट्रीब्युशन सिस्टम, ख़रीद प्रक्रिया के निजीकरण के बाद अडानी-अंबानी के स्टोर के माध्यम से प्राइवेट डिस्ट्रीब्युशन सिस्टम बनने जा रहा है?
    सरकार इन सभी सवालो का जबाब दे अगर सरकार की नीयत किसानों की हित में काम करने की है तो उन्हें इन सभी सवालो का जबाब देना होगा।हमारे किसान भाइयो पर सरकार कारपोरेट कंपनियों के माध्यम से दबाव बनाने का काम कर रही है जो हम कभी नहीं होने देंगे।इस किसानों के विरोधी बिल के खिलाफ हमारी पार्टी 25 को बिहार बंद की घोषणा कर चुकी है ।