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मस्तिष्क का सामान्य दौरा पड़ना हो सकता है मिर्गी का लक्षण, करें चिकित्सक से सम्पर्क

  • कोई भी व्यक्ति हो सकता है मिर्गी बीमारी का शिकार
  • रोकथाम मुश्किल पर नियंत्रण के लिए जरूर करें दवाइयों का इस्तेमाल
  • लोगों के जागरूकता के लिए 17 नवंबर को मनाया जाता है राष्ट्रीय मिर्गी दिवस

पूर्णियाँ(बिहार)मस्तिष्क की छोटी से छोटी समस्या भी लोगों के लिए खतरनाक हो सकती है. ऐसे में अगर कोई व्यक्ति मिर्गी की बीमारी से ग्रसित हो जाए और उन्हें किसी भी समय दौरे होने की संभावना हो तो उनके और उनके परिवार के लिए बहुत बड़ी मुश्किल साबित हो जाती है. मिर्गी बीमारी किसी भी सामान्य व्यक्ति को हो सकती है. बार-बार दौरे से ग्रसित होना ही इसके मुख्य लक्षण हैं. ऐसी स्थिति में व्यक्ति एवं उनके परिवार को धैर्यता से काम लेना चाहिए. लक्षणों की जानकारी नजर आते ही चिकित्सक से समपर्क कर दिए जाने वाले दिशा-निर्देशों का पालन करना ही श्रेष्ठ उपाय है.

कोई भी व्यक्ति हो सकता है मिर्गी से ग्रसित :

सिविल सर्जन डॉ. उमेश शर्मा ने बताया कि मिर्गी का दौरा किसी भी व्यक्ति को किसी भी उम्र में हो सकता है. दौरा पड़ना ही मिर्गी का आम लक्षण है. हालांकि किसी मिर्गी संक्रमित व्यक्ति को जीवन में एक बार ही दौरा पड़ सकता है तो किसी को बार-बार भी दौरे आ सकते हैं.
सामान्यतः बार-बार दौरा पड़ने पर ही उसे चिकित्सक के पास लाया जाता है और जरूरी इलाज करवाई जाती है. कुछ लोगों को अन्य मस्तिष्क परेशानी के कारण भी दौरे हो सकते हैं जो मिर्गी के लक्षण नहीं हो सकते हैं. किसी भी डॉक्टर या न्यूरोलॉजिस्ट के लिए दौरे की विस्तार जानकारी का होना जरूरी होता है. स्कैन द्वारा मस्तिष्क का कौन सा क्षेत्र मिर्गी प्रभावित है इसकी जानकारी प्राप्त कर मरीजों को जरूरी दवाइयां दी जाती है जिससे मिर्गी के दौरे को नियंत्रित रखा जा सकता है.

क्यों होती है मिर्गी की बीमारी :

मिर्गी के होने के बहुत से वजह हो सकते हैं. किसी भी स्थिति में मस्तिष्क में किसी तरह की परेशानी होना ही इसकी मुख्य कारण होता है. मस्तिष्क में उपस्थित कोशिकाएं जिसे न्यूरॉन्स कहा जाता है, संवेदनाओं का आदान प्रदान विद्युत गति से करते हैं. मस्तिष्क में किसी तरह की समस्या होने पर गति में अवरोध उत्पन्न होते हैं जिससे व्यक्ति को दौरे होने लगते हैं.

रोकथाम मुश्किल पर नियंत्रण के लिए जरूर करें दवाइयों का इस्तेमाल :

मिर्गी का इलाज के लिए चिकित्सा क्षेत्र में किसी तरह की विशेष दवा उपलब्ध नहीं है. पर मिर्गी से ग्रसित मरीजों को बार-बार दौरे पड़ते हैं. दौरों को नियंत्रित करने के लिए चिकित्सक द्वारा जरूरी दवाएं मरीजों को दी जाती है. इन दवाओं का सही समय पर सही तरीके से सेवन बहुत जरूरी होता है. विशेष परिस्थितियों में दौरे को नियंत्रित करने के लिए चिकित्सकों द्वारा मस्तिष्क की सर्जरी का भी इस्तेमाल किया जाता है.

न करें भ्रांतियों पर यकीन :

सिविल सर्जन डॉ. उमेश शर्मा ने कहा कि मिर्गी के दौरे को लेकर बहुत तरह की भ्रांतियां समाज में देखी जाती है जैसे कि मिर्गी के दौरे आने पर नाक को पूरी तरह बंद रखना, मुँह में चम्मच लगाना, जूते-चप्पल को नाक के पास लाकर सुंघाना इत्यादि. लोगों को ऐसे भ्रांतियों पर बिल्कुल भी यकीन नहीं रखना चाहिए. चिकित्सकों द्वारा दी गई निर्देशों से ही लोग इस बीमारी को नियंत्रित कर सकते हैं. लोगों में मिर्गी बीमारी सम्बन्धी जागरूकता लाने के लिए ही 17 नवंबर को राष्ट्रीय मिर्गी दिवस के रूप में मनाया जाता है. सिविल सर्जन डॉ शर्मा ने मिर्गी संक्रमित मरीजों के परिजनों से अपील करते हुए कहा कि मिर्गी वाले व्यक्ति को कभी भी अकेले में न छोड़ें क्योंकि उसे कभी भी दौरा पड़ सकता है. दौरे पड़ने पर पहने हुए कपड़ो को ढीला रखें, उन्हें खुली हवा में रखें और भीड़-भाड़ वाली जगहों से से दूर रखें. मिर्गी का दौरा कुछ देर तक ही होता है, उस समय सावधानी रखने पर जल्द ही उसे होश में लाया जा सकता है.