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उर्दू के कंधों पर खड़े होकर हिन्दी ने पाई है प्रमुखता : मुमताज

उर्दू बिहार की दूसरी आधिकारिक भाषा है : अंसारी

बागमली वेलफेयर ट्रस्ट के द्वारा हुआ उर्दू बचाव व बेदारी कॉन्फ्रेंस

हाजीपुर(वैशाली)बागमली वेलफेयर ट्रस्ट के बैनर तले एक दिवसीय उर्दू बचाव और बेदारी कॉन्फ्रेंस स्थानीय गुलमोहर पैलेस,बागमली हाजीपुर के विशाल हॉल में आयोजित किया गया।सम्मेलन की अध्यक्षता प्रोफेसर मुमताज अहमद खां और संचालन डॉक्टर कलीम अशरफ ने किया।सम्मेलन की शुरुआत कारी अब्दुल हक द्वारा पवित्र कुरान के पाठ से हुई।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिला उर्दू टीचर्स एसोसिएशन वैशाली के जिलाध्यक्ष मास्टर मोहम्मद अज़ीम उद्दीन अंसारी ने कहा कि उर्दू बिहार की दूसरी आधिकारिक भाषा और हमारी मातृभाषा है।हम सभी को इसके लिए जागने की आवश्यकता है।क्योंकि हम आज नहीं जगे तो सरकार उर्दू को मिटा देगी चुकी बिहार सरकार ने हाई स्कूलों से मातृभाषा के बॉक्स के स्थान से हटा कर उर्दू को वैकल्पिक श्रेणी में रखा है जो दुर्भाग्यपूर्ण है।नदीम अख्तर खान ने कहा कि हम सभी को उर्दू की आवश्यकता को बनाए रखने और इसके लिए एक सर्वश्रेष्ठ रणनीति विकसित करने के लिए प्रयास करने की जरूरत है।नदीम अख्तर खान ने कहा कि हम उर्दू शिक्षा से दूर जा रहे हैं जिसके कारण सरकार उर्दू को खत्म करने की साजिश रची है जो सफल होने नहीं दिया जाएगा।प्रोफेसर सुल्तान अकबर खां ने कहा कि उर्दू न केवल मातृभाषा है,बल्कि आजीविका का भी साधन है।उर्दू के पाठक कभी भी बेरोजगार नहीं होते हैं।इसके संसाधन बहुत अधिक हैं।उर्दू को बचाने के लिए सड़कों पर उतरना आवश्यक है।यदि वे विरोध नहीं करते हैं, तो सरकार उर्दू की अनिवार्यता को खत्म कर देगी।वहीं जमील अहमद ने कहा कि उर्दू एक मीठी भाषा है जो सभी वर्गों में पसंद की जाती है। इसलिए सभी धर्मों के लेखक और फिल्म निर्माता उर्दू का उपयोग करते हैं।उर्दू को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए।छात्र मोहम्मद अजहरुद्दीन अंसारी ने उर्दू भाषा के महत्व और उपयोगिता पर प्रकाश डाला। बागमली वेलफेयर ट्रस्ट के संरक्षक अल्हाज अब्दुल खालिक ने कहा कि कोई भी उर्दू को नहीं मिटा सकता क्योंकि यह बिना किसी भेदभाव के सभी की भाषा है।सचिव इंतिखाब आलम ने कहा है कि प्रत्येक राष्ट्र की अपनी मातृभाषा होती है जो अपनी पहचान और सभ्यता की पहचान करती है।मुस्लिम अल्पसंख्यकों की मातृभाषा उर्दू है।इसका संरक्षण इस वर्ग की पहचान है।प्रोफेसर मुमताज अहमद खान ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि उर्दू शांति और भाईचारे की भाषा है राष्ट्रीय एकता का राज उर्दू में छिपा है।गंगा-जमनी सभ्यता की पहचान उर्दू है।उर्दू के कंधे पर खड़े होकर हिंदी प्रमुखता से बढ़ी है।हम उन्हें तब तक सफल नहीं होने देंगे जब तक कि मुस्लिम जीवित है।हम उर्दू को गायब नहीं होने देंगे। उन्होंने मुसलमानों से कहा कि वे मां बाप की तरह उर्दू से प्यार करें।आप इस भाषा के सच्चे प्रेमी हैं।जब आप प्यार करते हैं तो आप अपनी मातृभाषा उर्दू पर आंच नहीं आने देंगे।उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग ने उर्दू को हाई स्कूलों में वैकल्पिक कोटी में रख दिया है जो उचित नहीं है।उर्दू की जो हैसियत है वह बरकरार रहे और उसके लिए विरोध-प्रदर्शन करने की जरूरत है। इसके लिए हम सबको आगे आने की आवश्यकता है।कौमी तंजीम के सहाफी मोहम्मद शाहनवाज अता ने कहा कि उर्दू भाषा पूरे देश के लिए है और यह सभी तबके के लोगों में बोली और पसंद की जाती है।इसको साजिश के तहत खत्म करने की कोशिश हो रही है।इसे बचाने के लिए एक जबरदस्त तहरीक की जरूरत है।सड़क से लेकर हुकूमत तक आवाज बुलंद करनी होगी।वहीं कार्यक्रम को प्रोफेसर इज़हार उल हक,मास्टर मज़हर आलम,मास्टर मोहम्मद इसराइल,होजैर अहमद खां,मोहम्मद जीशान,मोहम्मद अफ़रोज़ आलम,मोहम्मद तबरेज़ ने भी संबोधित किया।कार्यक्रम में बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ जन्दाहा के प्रखंड अध्यक्ष मोहम्मद अकबर अली, मोहम्मद अशरफ़ आरज़ू,सहाफी अब्दुल वाहिद आदि शामिल हुए।
रिपोर्ट व फोटो मोहम्मद शाहनवाज अता