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समग्र स्वास्थ्य योग के एकीकृत दृष्टिकोण से ही सम्भव – प्रो. आर.सी.कुहाड़

हकेवि में योग दिवस के उपलक्ष में राष्ट्रीय योग वेबिनार का हुआ आयोजन

हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ के योग विभाग व राष्ट्रीय सेवा योजना(एनएसएस) इकाई के प्रयासों से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष में शनिवार को राष्ट्रीय योग वेबिनार का आयोजन किया। आज के इस वेबीनार के मुख्य वक्ता के रूप में शिमला विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश के योग विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर जीडी शर्मा ने अपने विचार ‘एकीकृत दवाओं के दृष्टिकोण‘ जिसमें योग और जीवन विज्ञान से संबंधित ज्ञान पर अपनी बात प्रतिभागियों के समक्ष प्रस्तुत की। इसी के साथ ही केंद्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के पूर्व निदेशक व आयुष मंत्रालय भारत सरकार के पूर्व सलाहकार, वर्तमान में मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान नई दिल्ली में योग चिकित्सा के कार्यक्रम अधिकारी डॉक्टर ईश्वर एन आचार्य ने योग और प्राकृतिक चिकित्सा कैसे एकीकृत दवाओं के रूप में प्रयोग हो सकते हैं, विषय पर अपना दृष्टिकोण रखा।इससे पूर्व हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.सी.कुहाड़ ने अपने संदेश में योग विभाग द्वारा आयोजित किए जा रहे राष्ट्रीय योग वेबीनार के विषय को आज के परिपेक्ष में प्रासंगिक बताया। उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि आधुनिक चिकित्सा पद्धतियां, प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धतियों के साथ मिलकर विकार ग्रस्त मानवता को स्वास्थ्य लाभ की दिशा में न केवल चिकित्सा प्रदान करें, बल्कि उन्हें स्व-चिकित्सा के लिए थोड़ा चिकित्सीय ज्ञान भी प्रदान करें तो और अच्छा रहेगा।आशा रेपरेट्री और द एक्टर्स स्पेस एन एक्टिंग स्कूल के सँयुक्त तत्वाधान में 20 दिनों के वर्चुअल एक्टिंग वर्कशॉप

योग विभाग की विभागाध्यक्षा प्रो.नीलम सांगवान ने अतिथियों का स्वागत किया और उन्हें विश्वविद्यालय के आमन्त्रण को स्वीकार करने के लिए धन्यवाद भी दिया। योग विभाग व राष्ट्रीय सेवा योजना(एनएसएस) इकाई के प्रयासों से आयोजित इस वेबिनार का प्रारम्भ विश्वविद्यालय के कुलगीत से हुआ। इसके पश्चात् विश्वविद्यालय की प्रगति को प्रदर्शित करने वाली डॉक्यूमेंट्री फिल्म दिखाई गई। प्रो. आर.सी. कुहाड़ ने यह सुझाव भी दिया कि योग चिकित्सा, प्राकृतिक चिकित्सा, मर्म चिकित्सा, एक्यूप्रेशर चिकित्सा और दूसरी सभी चिकित्सा से संबंधित साहित्य चिकित्सा केंद्रों पर उपलब्ध होना चाहिए और वह वहां की स्थानीय भाषा में हो तो और भी अच्छा रहेगा ताकि बीमारी से ग्रसित व्यक्ति के साथ जो देखभाल के लिए लोग चिकित्सालयों में आते हैं, वह चिकित्सा के दौरान अपने समय का उपयोग चिकित्सीय ज्ञान को बढ़ाने में ले सकें। जिससे कि उन्हें अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद मिलेगी और अपने संबंधित बीमार व्यक्ति की परिचर्या में भी उसका लाभ होगा। उन्होंने कहा योग एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है, जिससे बिना किसी दुष्प्रभावों के व्यक्ति अपनी चिकित्सा कर सकता है और दूसरों को इसके लिए प्रेरित कर सकता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे हमारे पूर्वज स्वास्थ्य से जुड़ी चीजों का ध्यान रखते था.शहरी क्षेत्र सहित 24 प्रखंडों में पोलियो उन्मूलन अभियान के लिए 2199 टीम हुई तैयार

अपने आसपास के पारिस्थितिकी तंत्र को बचाए और बनाए रखने में सभी का सहयोग होता था। चाहे वह जंगल हो, जमीन हो, तालाब हो और वे उनका उपयोग अपने दैनिक जीवन में किया करते थे। हम सब जानते हैं कि वह अपना स्वस्थ जीवन जीते थे। समय के साथ बहुत कुछ परिवर्तन होता है। इस क्षेत्र में भी परिवर्तन हुआ लेकिन यहां परिवर्तन अपने साथ बहुत दुष्प्रभाव लाया है, उन्हीं दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ एकीकृत किए जाने के लिए आयुष मंत्रालय का गठन किया और इस दिशा में अभी बहुत तेजी से काम चल रहा है।

आने वाले समय में यह एकीकृत व्यवस्था हम सबको बिना किसी दुष्प्रभाव के अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करेगी ऐसा ही आशा की जानी चाहिए।टेस्ट, ट्रैक एवं ट्रीट की रणनीति ही कोरोना के ख़िलाफ़ सबसे बड़ा हथियार
योग विभाग के सहायक आचार्य और शिक्षक प्रभारी डॉ. अजय पाल ने बताया कि माननीय कुलपति की प्रेरणा से आगामी 21 जून सप्तम अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। रविवार को आयोजित होने वाला योग दिवस का कार्यक्रम सुबह 6:00 बजे से 8:30 बजे तक चलेगा। जिसमें विश्वविद्यालय के सभी विद्यार्थियों, शोधार्थियों, शिक्षकों, अधिकारियों, कर्मचारियों और स्थानीय लोगों की प्रतिभागिता हेतु प्रयास किया जा रहा है। शनिवार को आयोजित वेबिनार का सफलतम संचालन डॉ. अजय पाल ने किया तथा अतिथियों का परिचय विभाग के ही सहायक आचार्य डॉ. रवि कुमार शास्त्री ने किया। धन्यवाद ज्ञापन शिक्षा-विभाग के सहायक आचार्य व एनएसएस इकाई के प्रमुख डॉ. दिनेश चहल ने प्रस्तुत किया। यह पूरा कार्यक्रम विभाग की विभागाध्यक्षा प्रो.नीलम सांगवान और विभाग के संयोजक प्रो.रविंद्र पाल अहलावत विशेष सहयोग से संपन्न हुआ। इस वेबीनार में विश्वविद्यालय, महाविद्यालय और उच्च शिक्षण संस्थानों के विद्यार्थियों, शोधार्थियों और शिक्षकों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।