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पोषण माह के दौरान अति गंभीर कुपोषित बच्चों की निगरानी व एनआरसी में रेफर करने का निर्देश

आईसीडीएस के निदेशक ने पत्र जारी कर सभी जिला अधिकारियों को दिए निर्देश

कुपोषण को मिटाने के लिए जिले में मनाया जा रहा है पोषण अभियान

आंगनबाड़ी सेविका घर-घर जाकर कर रही है कुपोषित बच्चों की पहचान

कुपोषित बच्चों के बेहतर उपचार के लिए संचालित है पोषण पुनर्वास केंद्र

छपरा(बिहार)सितंबर माह को जिले में राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है। इस दौरान समुदाय स्तर पर आंगनबाड़ी सेविकाओं के द्वारा तमाम गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। कुपोषण को मिटाने के लिए पोषण के संदेशों को जन-जन तक पहुंचाया जा रहा है। इसी कड़ी में आईसीडीएस के निदेशक ने पत्र जारी कर सभी जिलाधिकारी को आवश्यक दिशा निर्देश दिया है। जारी पत्र में कहा गया है कि हर साल की तरह इस वर्ष भी सितंबर माह में 1 से 30 सितंबर तक पोषण माह मनाया जा रहा है । इस दौरान यह निर्णय लिया गया है कि बच्चों की वृद्धि निगरानी के लिए अभियान चलाकर आंगनबाड़ी के पोषक क्षेत्र में आने वाले सभी लाभार्थियों में से अति गंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान कर उन्हें आवश्यक सेवाएं प्रदान की जाएगी। इस कार्य में आंगनबाड़ी सेवाओं को प्रदान करते हुए सेविका द्वारा कोविड-19 संक्रमण से बचाव के लिए सावधानियों बढ़ते हुए अति कुपोषित गंभीर बच्चों की पहचान कर स्थानीय स्वास्थ्य कर्मियों की निगरानी में पोषण पुनर्वास केंद्र या स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र भेजा जाना है। वृद्धि निगरानी के क्रम में बच्चों का वजन, लंबाई एवं ऊंचाई का रिकॉर्ड आईसीडीएस कैस पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। वजन लिए जाने के दौरान अति गंभीर कुपोषित के श्रेणी में आए बच्चों को स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र एवं पोषण पुनर्वास केंद्र में रेफर किया जाएगा एवं उसकी निगरानी भी की जाएगी।

कुपोषण के दर में प्रतिवर्ष 2% की कमी लाने का लक्ष्य:

पोषण अभियान के तहत विभिन्न विभागों के समन्वय से निर्धारित सीमा के अंदर बच्चों में अल्प वजन, बौनापन एवं दुबलापन की दर में कमी लाई जानी है। योजना को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए अंतर्विभागीय समन्वय स्थापित करते हुए बच्चों के कुपोषण दर में प्रतिवर्ष दो फीसद एवं किशोरी व महिलाओं के एनीमिया दर में प्रतिवर्ष तीन फीसद की कमी लाने की दिशा में संयुक्त प्रयास किया जा रहा है।

कोविड-19 से बचाव के लिए जारी प्रोटोकॉल का करना होगा पालन:

आंगनबाड़ी सेविका क्षेत्र में गृह भ्रमण के दौरान बच्चों के वजन व लंबाई ऊंचाई की निगरानी करेंगी। इस दौरान अति गंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान भी करना सुनिश्चित करेंगी। भ्रमण के दौरान सेविकाओं को को भी कोविड-19 से बचाव के लिए जारी प्रोटोकॉल का पालन करना अनिवार्य होगा। मास्क का प्रयोग, ग्लोब्स एवं एक दूसरे से बात करते हुए शारीरिक दूरी का पालन करना होगा। इसके साथ साथ आम जनों को को भी कोविड-19 से बचाव के बारे में भी जानकारी सेविकाओं के द्वारा दी जाएगी।

जन-जन तक पहुंचा रही है पोषण के 5 सूत्र :

जिले को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए आईसीडीएस के द्वारा पोषण के 5 सूत्र तैयार किए गए हैं। जिसके तहत कुपोषण को मिटाने की कवायद तेज कर दी गई है। आंगनबाड़ी सेविका घर घर जाकर लोगों को पोषण के पांच सूत्रों के बारे में जानकारी दे रही हैं। इस पोषण माह में आम लोगों को पोषण पर जागरूक करने के लिए सामुदायिक स्तर पर आयोजित होने वाली गतिविधियों पर ज़ोर दिया जा रहा है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पोषण त्योहार से व्यवहार परिवर्तन के लिए पोषण के पाँच सूत्र दिये गए हैं। जिसमें पहले सुनहरे 1000 दिन, पौष्टिक आहार, अनीमिया प्रबंधन, डायरिया रोकथाम एवं स्वच्छता को शामिल किया गया है।