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सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा व राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम की हुई शुरूआत

• क्षेत्रीय अपर निदेशक, सिविल सर्जन व डीआईओं ने संयुक्त रूप से किया कार्यक्रम का शुभारंभ
• 16 से 29 सितंबर तक चलेगा अभियान
• आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर बच्चों को खिलायेंगी एल्बेंडाजोल की दवा
• अस्पताल में आने वाले बच्चों को दी गयी जिंक की गोली
• डायरिया से बचाव के लिए किया गया जागरूक

छपरा(बिहार)जिले में सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा व राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम की शुरूआत बुधवार को की गयी। क्षेत्रीय अपर निदेशक डॉ. रत्ना शरण, सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. अजय कुमार शर्मा ने संयुक्त रूप से बच्चों को ओआरएस की घोल पिलाकर कार्यक्रम की शुरूआत की। इस मौके पर सिविल सर्जन ने कहा कि डायरिया से होने वाले शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा की शुरूआत की गयी है। जिले में 16 से 29 सितंबर तक सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा और राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम चलाया जायेगा। इस दौरान सदर अस्पताल के ओपीडी परिसर में ओआरएस-जिंक कॉर्नर भी खोला गया है। जहां पर बच्चों को ओआरएस की घोल पिलायी गयी। इस मौके पर सिविल सर्जन ने वहां मौजूद मरीज व परिजनों को डायरिया से बचाव के बारे में जानकारी दी। इसके साथ माताओं को ओआरएस का घोल बनाने की विधि को भी बताया गया। कहा कि कार्यक्रम के दौरान कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जारी किये गये निर्देशों का पालन हर हाल में करना अनिवार्य है। उन्होंने कहा आशा, एएनएम व सेविका को क्षेत्र भ्रमण के दौरान मास्क, गल्बस और सेनिटाइजर प्रयोग करना होगा। इस मौके पर सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा, क्षेत्रीय अपर स्वास्थ्य निदेशक डॉ. रत्ना शरण, डीआईओ डॉ. अजय कुमार शर्मा, उपाधीक्षक डॉ. रामइकबाल प्रसाद, डीपीएम अरविन्द कुमार, डब्ल्यूएचओ के एसएमओ डॉ. रंजितेश कुमार, डीसीएम ब्रजेंद्र कुमार सिंह, डीएमएंडई भानू शर्मा, हेल्थ मैनेजर राजेश्वर प्रसाद, बंटी कुमार रजक समेत अन्य कर्मी मौजूद थे।

स्वास्थ्य केंद्रों में ओआरएस-जिंक कॉर्नर की होगी स्थापना:

क्षेत्रीय अपर स्वास्थ्य निदेशक डॉ. रत्ना शरण ने कहा कि पखवाड़ा के दौरान स्वास्थ्य केंद्रों में ओआरएस-जिंक कॉर्नर के लिए अनुमंडलीय अस्पताल, रेफरल अस्पताल, सीएचसी में दो तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, स्वास्थ्य उप केंद्र में एक स्थल का चयन कर ओआरएस जिंक कॉर्नर का निर्माण किया जाएगा। यहां पर जिंक टेबलेट की समूची मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। इस कॉर्नर में प्रशिक्षित स्टाफ की पदस्थापना की जाएगी तथा बैनर पोस्टर और माइकिंग के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।

1 से 19 साल तक बच्चों को एल्बेंडाजोल की दवा:
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. अयज कुमार शर्मा ने बताया कि कृमि मुक्ति कार्यक्रम के तहत 1 साल से 19 साल तक के बच्चों को एलबेंडाजोल की दवा दी जाएगी। ऐसे बच्चें जिन्हे सांस लेने में समस्या एवं सर्दी-खांसी या कोरोना संक्रमित के संपर्क में आये हो उन्हें एल्बेंडाजोल की दवा नहीं दी जायेगी। इसके साथ ही पहले व अंतिम तिमाही वाली गर्भवती महिला को भी यह दवा नहीं दी जायेगी। सिर्फ दूसरे तिमाही वाली गर्भवती महिला को एल्बेंडाजोल की दवा दी जायेगी। उन्होंने बताया एल्बेंडाजोल की दवा का हल्का साइड इफैक्ट पड़ता है। जैसे दवा सेवन करने बाद जी मिचलना, पेट दर्द या उल्टी हो सकता है। आशा कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया गया है कि दवा खिलाने से पहले सर्दी-खांसी, सांस लेने में समस्या या कोविड-19 के लक्षणों की पहचान करेंगी। दवा देते समय लाभार्थी के घर का गिलास और पानी प्रयोग किया जायेगा। आशा क्षेत्र भ्रमण के दौरान पर्याप्त मात्रा में दवा लेकर जायेंगी।

परिवार के सदस्यों की होगी काउंसलिंग:
डीसीएम ब्रजेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा क्षेत्र भ्रमण के दौरान परिवार के सदस्यों के समक्ष ओआरएस घोल बनाना एवं इसके उपयोग की विधि, इससे होने वाले लाभ को बताना, साफ-सफाई, हाथ धोने के तरीके की जानकारी दी जायेगी। इसके साथ हीं परिवार इन बिन्दुओं पर परामर्श दी जायेगी।
• जिंक का उपयोग दस्त होने के दौरान बच्चों को आवश्यक रूप से काराया जाये। दस्त बंद हो जाने के उपरांत भी जिंक की खुराक 2 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार 14 दिनों तक जारी रखा जाये
• जिंक और ओआरएस के उपयोग के उपरांत भी दस्त ठीक न होने पर बच्चे को नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र पर ले जायें
• दस्त के दौरान और दस्त के बाद भी आयु के अनुसार स्तनपान, उपरी आहार तथा भोजन जारी रखा जाये
• उम्र के अनुसार शिशु पोषण संबंधी परामर्श दिया जायेगा
• पीने के लिए साफ एवं सुरक्षित पयेजल का उपयोग करें
• खाना बनाने एवं खाना खाने से पूर्व और बच्चे का मल साफ करने के उपरांत साबुन से हाथ धोयें
• डायरिया होने पर ओआरएस और जिंक का उपयोग करने से बच्चों में तीव्र सुधार होता है
• बच्चे के मल का निस्तारण सुरक्षित स्थान पर जल्द से जल्द कर दिया जाये
• दस्त का फैलने से रोकने के लिए शौचालय का प्रयोग करना चाहिए