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परिवार नियोजन कार्यक्रम को सफल बनाने में पुरुषो की भागीदारी जरुरी: सिविल सर्जन

  • सीफार के सहयोग से मीडिया कार्यशाला का हुआ आयोजन
  • 14 से 31 जनवरी तक जिले में मिशन परिवार विकास पखवाड़ा का आयोजन
  • बच्चों के जन्म में सही अंतराल है जरुरी

मधुबनी(बिहार)जनसँख्या स्थिरीकरण के मुद्दे पर भारत सरकार परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा मिशन परिवार विकास अभियान की शुरुआत की गयी है। यह अभियान जिले में 14 जनवरी से शुरू की गयी है जो 31 जनवरी तक चलेगी उक्त बातें सिविल सर्जन डॉ. सुनील कुमार झा ने शनिवार को सदर अस्पताल के सभागार में सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च के सहयोग से मिशन परिवार विकास अभियान सह संचार अभियान एवं कोविड-19 टीकाकरण विषय पर जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा आयोजित मीडिया कार्यशाला के दौरान कही। मिशन परिवार विकास अभियान के तहत जिले में स्वास्थ्य विभाग के द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है । कार्यशाला का उद्घाटन सिविल सर्जन डॉ. सुनील कुमार झा के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। सर्जन ने बताया कि अभियान के दौरान आमजन में जागरुकता लाने के लिए सही उम्र में शादी, शादी के बाद कम से कम 2 साल के बाद पहला बच्चा, दो बच्चों में कम से कम 3 साल का अंतराल व प्रसव के बाद या गर्भपात के बाद परिवार नियोजन के स्थायी एवं अस्थायी साधनों पर जोर दिया जाएगा।

परिवार नियोजन कार्यक्रम में पुरुषों की भागीदारी को महत्वपूर्ण:

सिविल सर्जन ने बताया महिला बंध्याकरण से पुरुष नसबंदी बेहतर है। पुरुष नसबंदी और स्त्री नसबंदी में किसी एक को चुनना हो, तो पुरुष नसबंदी को चुनना बेहतर होगा। पुरुष नसबंदी का ऑपरेशन आसान है। इसमें अस्पताल में भर्ती होने की भी जरूरत नहीं पड़ती। ऑपरेशन के बाद पुरुष चलकर भी घर जाने की हालत में रहता है।पुरुष नसबंदी गर्भ रोकने का एक स्थायी तरीका भी है। इससे पुरुष की सिर्फ प्रजनन शक्ति को खत्म किया जाता है, उसका पुरुषत्व, जो हॉर्मोन पर आधारित है, वह इससे प्रभावित नहीं होता है। नसबंदी के बाद पुरुष की सेक्स करने की इच्छा, प्राइवेट पार्ट में तनाव, चरमसीमा का आनंद और वीर्य की मात्रा जितनी पहले थी, उतनी ही रहती है।

सभी प्रखंड में संचालित है परिवार नियोजन मेला:

सिविल सर्जन ने बताया अभियान के तहत प्रखंड स्तर पर परिवार नियोजन मेला आयोजित किया जा रहा है। मेला में लोगों को परामर्श के साथ नि :शुल्क गर्भनिरोधक साधनों को उपलब्ध कराया जा रहा है।उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए पंचायत प्रतिनिधियों की सहभागिता भी अनिवार्य है। मेले में परिवार नियोजन के लिए परामर्श देना, प्रसव पश्चात् स्वास्थ्य देखभाल, शिशु स्वास्थ्य देखभाल, बच्चों में अंतराल हेतु जानकारी देना एवं सम्बंधित सभी सेवाओं को समेकित रूप से एक प्लेटफार्म पर लाया गया है।

मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण:

सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च के सहायक राज्य कार्यक्रम प्रबंधक रंजीत कुमार ने सभी का कार्यशाला में स्वागत करते हुए कहा कि कोरोना टीकाकरण को लेकर किसी भी तरह भ्रांति को दूर करने के लिए मीडिया की भूमिका अहम है। उन्होनें कहा परिवार नियोजन एक स्वेच्छिक कार्यक्रम है। इस लिहाज से लोगों को परिवार नियोजन पर अधिक जागरूक करने की जरूरत है। उन्होंने कोरोना टीकाकरण एवं परिवार नियोजन पर समुदाय को जागरूक करने के लिए मीडिया कर्मीयों से अपील की।

नसबंदी कराने पर मिलती है प्रोत्साहन राशि:
जिला सामुदायिक उत्प्रेरक नवीन दास ने बताया नसबंदी कराने वाले लाभार्थी को सरकार द्वारा 3000 रुपये एवं उत्प्रेरक को 400 रुपये मिलते हैं। वहीं प्रसव के तुरंत बाद बंध्याकरण कराने पर लाभार्थी महिला को 3000 रुपये तथा उत्प्रेरक को 400 रुपये ,पीपीआईयूसीडी बंध्याकरण पर लाभार्थी को 2000 रुपये, एएनएम को 150 रुपये आशा को 150 रुपये,प्रसव पश्चात कॉपर टी लगवाने पर 300 रुपये, गर्भपात के उपरांत कॉपर टी लगवाने पर लाभार्थी को 300 रुपये, एमपी अंतरा प्रति सुई लगाने पर प्रति लाभार्थी 100 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण में जिला की उपलब्धियां:

कार्यक्रम के दौरान केयर इंडिया डीटीएल महेंद्र सिंह सोलंकी के द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण- 5 के आंकड़ों में जिले की उपलब्धियों के बारे में बताया गया। उन्होंने बताया जिले में पांच वर्षों में परिवार नियोजन के साधनों को अपनाने में 30.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। परिवार नियोजन के आधुनिक साधनों के इस्तेमाल में 23.3% वृद्धि है। वहीं पहले की तुलना में अंतरा इंजेक्शन तथा कंडोम का इस्तेमाल भी बढ़ा है।

उन्होंने बताया विगत 5 सालों में जिले में 47.4 प्रतिशत महिलाओं ने परिवार नियोजन के किसी भी साधन को अपनाने में दिलचस्पी दिखाई है।राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4(2015-16) के अनुसार पहले 16.5% महिलाएं ही परिवार नियोजन के किसी भी साधन को अपना रही थी, जो राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5(2019-20) के अनुसार अब बढ़कर 47.4% हो गयी है। साथ ही वर्ष 2015-16 में केवल 16.2 प्रतिशत महिलाएं ही परिवार नियोजन के आधुनिक साधनों का इस्तेमाल करती थी, जो वर्ष 2019-20 में बढ़कर 39.5% हो गयी।

परिवार नियोजन के लिए उपलब्ध साधन को अपनाने के लिए महिलाओं को तोड़नी होगी झिकक :
एसीएमओ डॉ सुनील कुमार द्वारा बताया गया कि परिवार नियोजन के लिए उपलब्ध साधन के उपयोग के बारे में बात करने में अभी भी लोगों खासकर महिलाओं को बहुत झिझक होती है।इसलिए इस अभियान के दौरान आशा दीदियों एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता के माध्यम से सुमदाय स्तर पर सास बहू सम्मलेन आयोजित कर परिवार नियोजन की जानकारी एवं सरकार द्वारा निःशुल्क प्रदान की जाने वाली सेवाओं की जानकारी उपलब्ध करायी जाएगी। दम्पत्तियों को बताया जायेगा कि दो बच्चों के बीच अंतराल रखने के लिए उपलब्ध साधन यथा गर्भनिरोधक गोली एवं इंजेक्शन, कॉपर-टी, बंध्याकरण की व्यवस्था क्या है और ऐसी गर्भनिरोधक कहा से मिलेगा। चुकी परिवार नियोजन के लिए निर्णय लेने में पुरुष देरी करते हैं इसलिए यह जरुरी है कि पुरुषो का सही समय पर उचित परामर्श दिया जायेगा।

जिले में अब 2 दिन होगा कोविड-19 का टीकाकरण:

कार्यशाला आयोजन के मौके पर जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ विश्वकर्मा ने जिले में चलाए जा रहे कोविड-19 टीका के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि जिले में अब सोमवार और गुरुवार को ही टीकाकरण किया जाएगा। साथ ही टीकाकरण के सत्र स्थलों को भी बढ़ाया जाएगा। कोविड-19 टीका सुरक्षित तथा कई स्तरों पर सत्यापित है। प्रथम चरण में स्वास्थ्य कर्मियों को दिया जा रहा है। उसके बाद फ्रंटलाइन वर्कर तथा तीसरे चरण में 50 वर्ष तक के लोगों को दिया जाएगा। जिला में चलाए जा रहे टीकाकरण अभियान में 16 जनवरी को 670 लोगों को ,18 जनवरी को 694 लोगों को, 19 जनवरी को 541 लोगों को 21 जनवरी को 590 लोगों को टीकाकृत किया गया। किसी भी टीका लेने वाले में कोई लक्षण प्रतीत नहीं हुआ।

कार्यशाला में मीडिया प्रतिनिधियों के साथ साथ, जिला कार्यक्रम प्रबंधक दयाशंकर निधि, जिला सामुदायिक उत्प्रेरक नवीन दास, यूनिसेफ एस एस सी प्रमोद कुमार झा, सीफार के असिस्टेंट स्टेट प्रोग्राम मैनेजर रंजीत कुमार,डिविजनल कोऑर्डिनेटर प्रोग्राम अमन कुमार तथा जिला स्वास्थ्य समिति के अन्य कर्मी भी मौजूद रहे।