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एमजीसीयूबी के गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग द्वारा ‘समकालीन भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियाँ ’ विषयक राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का हुआ आयोजन


आत्मनिर्भरता का मतलब आत्मविश्वास का होना है-प्रो. संजीव कुमार शर्मा

कोविड-19 के दौरान सरकार के समक्ष  स्वास्थ्य  के साथ आर्थिक एवं राष्ट्रीय सुरक्षा का भी संकट- डॉ. अरविंद गुप्ता

भारत की आंतरिक सुरक्षा आज अत्यंत महत्वपूर्ण-श्री शेषाद्रीचारी

मोतिहारी(बिहार) महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय  बिहार  के  गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग  द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘समकालीन भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियाँ ’ विषय पर आयोजित हुई।  कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने की।  मुख्य अतिथि व बीज वक्तव्य के रूप में मार्गदर्शन के लिए विवेकानंद अंतरराष्ट्रीय फाउंडेशन के निदेशक, पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा उप सलाहकार डॉ. अरविंद गुप्ता,   नीति शोध एवं अंतरराष्ट्रीय अध्ययन, अटल बिहारी बाजपेयी संस्थान के निदेशक श्री शक्ति सिन्हा कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि थे। रणनीति विश्लेषक एवं बीजेपी के पूर्व अंतरराष्ट्रीय मामलों के संयोजक श्री शेषाद्रीचारी व मानिपाल विश्वविद्यालय के भू राजनीति व अंतर्राष्ट्रीय सबंध विभाग के अध्यक्ष प्रो.अरविंद कुमार एवं गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सुरक्षा विद्यापीठ के डॉ अरुण विश्वनाथन भी विशिष्ट अतिथि एवं वक्ता के रूप में मौजूद थे।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि व वक्ताओं का स्वागत एवं विषय प्रवर्तन गांधी शांति अध्ययन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर एवं कार्यक्रम संयोजक डा.असलम खान ने किया।

अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के अंतर्गत केवल बाहरी सुरक्षा नहीं है इसके साथ-साथ आंतरिक सुरक्षा भी है। आत्मनिर्भरता का मतलब आत्मविश्वास का होना है। सीमाओं की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण आयाम है। हमारे सामने आर्थिक संकट भी है। हमें जनसंख्या के प्रश्न को भी प्राथमिकता में लाना होगा। जनसंख्या विस्फोट को हम निर्भीक भाव से प्रकट करें। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए  विधि के शासन को संपूर्ण रुप से स्थापित किए जाने की आवश्यकता है। मेक इन इंडिया के तहत हम अपने उत्पादों को बढ़ाएं। आंतरिक राजनीति एवं बाहरी सुरक्षा दोनों में समन्वयक करना आवश्यक है।

कार्यक्रम के बतौर मुख्य अतिथि एवं बीज वक्तव्य डॉ अरविंद गुप्ता, निदेशक, विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन, नई दिल्ली एवं पूर्व डिप्टी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, भारत सरकार ने कहा कि कोविड-19 के दौरान सरकार के समक्ष अनेकों चुनौतियां जैसे-स्वास्थ्य संकट, पर्यावरण की समस्या, आर्थिक समस्या, राष्ट्रीय सुरक्षा आदि रही है। कोविड-19 ने दो करोड़ से अधिक लोगों को प्रभावित किया है। उन्होंने बताया कि देश आतंकवाद से कैसे निपटें, देश की तैयारी कैसी हो। साथ ही कहा कि आज  संगठित अपराध का सैन्य खतरा आदि चुनौतियां सरकार के समक्ष है। इस महामारी के दौरान विश्व में इसका सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों प्रभाव पड़ा है। 70 के दशक में अमेरिका ने चाइना को लोकतंत्र ,बाजार अर्थव्यवस्था आदि के लिए उजागर किया। उन्होंने कहा कि भारत के समक्ष वर्तमान समय में गलवान घाटी, सियाचिन ग्लेशियर, पीओके, गिलगिट, वालारिश्तान, अनुच्छेद 370, आदि की चुनौतियां है। चाइना-पाकिस्तान संबंध भारत के ऊपर दबाव बना रहा है। इसके लिए भारत को रक्षा, मिलिट्री क्षमता, सैन्य क्षमता, अंतरिक्ष सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, आधुनिक सुरक्षा आदि को मजबूत करना होगा।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री शक्ति सिन्हा, निदेशक, अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टिट्यूट ऑफ पॉलिसी रिसर्च एंड इंटरनेशनल स्टडीज, एमएस यूनिवर्सिटी ,बडौदा ने कहा कि सन 2008-09 में चाइना सोचता था कि यूएसए अब धीरे-धीरे नीचे गिर रहा है और हम ऊपर की ओर उठकर विकसित देश बन गए हैं और इस प्रकार चाइना दुनिया पर दबदबा बना सकता है। परंतु यह सोच उनका साकार नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि भारत अब किसी भी देश से डरता है। कोई भी देश युद्ध करना नहीं चाहता है यदि एक बार युद्ध शुरू हो गया तो उसे विराम कर पाना मुश्किल हो जाता है। चाइना कोविड-19 के दौरान जापान, ताइवान, मलेशिया, इंडोनेशिया, साउथ चाइना सी आदि पर दबदबा बनाना चाहता है। मनरेगा योजना, आयुष्मान भारत योजना, स्वच्छ भारत अभियान, उज्जवला योजना आदि के बारे में बताया।

विशिष्ट अतिथि श्री शेषाद्री चारी , रणनीतिक विश्लेषक एवं पूर्व संयोजक, फॉरेन अफेयर्स सेल, बीजेपी ने आंतरिक सुरक्षा के विभिन्न आयामों पर चर्चा किया। उन्होंने कहा कि हमारी थल सेना, नौसेना एवं वायु सेना कितनी भी अच्छी क्यों नहीं हो तो भी हम आंतरिक रूप से सुरक्षित नहीं रहेंगे। वर्तमान समय में अब जैविक हथियार का युग आ चुका है। हमारी 80 प्रतिशत अर्थव्यवस्था कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्रों से ही आता है। कोविड-19 के दौरान हमारे यातायात के साधन, उद्योग, रक्षा विनिर्माण आदि बंद हो गए हैं। वर्तमान समय में स्वास्थ्य के क्षेत्रों में डॉक्टर, मेडिसिन, हॉस्पिटल आदि की पूर्ति करना आवश्यक रूप से दिखाई दे रहा है।

मुख्य वक्ता प्रोफेसर अरविंद कुमार , विभागाध्यक्ष, जिओ पॉलिटिक्स एवं अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग, मणिपाल यूनिवर्सिटी ने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा की चिंता पर बात की। उन्होंने मानवीय सुरक्षा, हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा व्यवस्था एवं बॉर्डर सुरक्षा पर बल देने की बात कही। उन्होंने बताया कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बहुत सारे नए देशों का निर्माण किया गया जो कि एशिया और अफ्रीका में बनी।उन्होंने कहा कि देश के तीन बुनियादी मूल्य कार्यपालिका, विधायिका एवं न्यायपालिका हैं। उन्होंने आतंकवाद एवं आत्मनिर्भर भारत के बारे में बात की। इस कोविड-19 के दौरान साइबर अपराधी अत्यधिक मात्रा में बढ़े हैं।

विशिष्ट वक्ता डॉक्टर अरुण विश्वनाथन , स्कूल ऑफ नेशनल सिक्योरिटी स्टडीज, यूनिवर्सिटी ऑफ गुजरात ने प्रौद्योगिकी और प्राकृतिक सुरक्षा की उभरती चुनौतियों के बारे में बताया। उन्होंने हथियारों और रक्षा की आवश्यकता के बारे में बताया, जिसमें कहा कि 9.2 प्रतिशत हथियार हम विश्व के अन्य देशों से मंगाते हैं। हम सेना के हथियारों पर 47 बिलियन डॉलर खर्च करते हैं। 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान नेवल हेलीकॉप्टर, तोपखाने की बंदूकें आदि का प्रयोग किया था। इस दौरान यूएस – पाकिस्तान के साथ सैन्य हथियारों पर सहमति हुई थी जिसमें प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से यूएस पाकिस्तान को मदद कर रहा था। चाइना 2011 में अपना 97 प्रतिशत दुर्लभ उत्पाद जैसे-एलईडी, एलसीडी, स्मार्टफोन इत्यादि के साथ-साथ दुर्लभ पारिस्थितिकी तंत्र का वैश्विक निर्यात करता था। मेडिकल एवं फार्मासिस्ट के क्षेत्र में चाइना का दबदबा बना है। जेनेरिक मेडिसिन में चाइना का विश्व पर कब्जा है और वह बड़े पैमाने पर उत्पादन करता है। मेडिसिन के क्षेत्र में भारत का विश्व में तीसरा स्थान है।

  कार्यक्रम का संचालन आयोजन सचिव डॉ अभय विक्रम सिंह , असिस्टेंट प्रोफेसर, गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग ने किया तथा अतिथियों एवं प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर सुनील महावर , विभागाध्यक्ष, गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग ने प्रस्तुत की। कार्यक्रम के संरक्षक प्रो० जी गोपाल रेड्डी , उपकुलपति, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, कार्यक्रम के सलाहकार समिति प्रमुख प्रोफेसर राजीव कुमार डीन, सामाजिक विज्ञान विभाग, सह-संयोजक डॉ जुगल दाधीच , एसोसिएट प्रोफेसर, गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग तथा आयोजन सचिव डॉ अंबिकेश कुमार त्रिपाठी , असिस्टेंट प्रोफेसर, गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग सक्रिय रूप में उपस्थित रहे। साथ ही  कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के प्राध्यापक, शोधार्थी, विद्यार्थी एवं विश्वविद्यालय के अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।