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गोदभराई कार्यक्रम का आयोजन कर दी गयी पोषण की जानकारी

आईसीडीएस की ओर से आयोजित होता है गोदभराई कार्यक्रम:
कार्यक्रम कर गर्भवती महिलाओं के पोषण का रखा जा रहा ध्यान:

गया(बिहार)कोविड काल में गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए समेकित बाल विकास परियोजना विभाग द्वारा गोदभराई कार्यक्रम का नियमित रूप से आयोजन किया जा रहा है। बुधवार को जिला के आंगनबाड़ी केंद्रों पर गोदभराई कार्यक्रम का आयोजन कर गर्भवती महिलाओं को अच्छे पोषण और गर्भस्थ शिशु पर पोषण के प्रभाव के विषय में जानकारी दी गयी। इस दौरान गर्भवती महिलाओं की गोदभराई रस्म भी की गयी। गोदभराई कार्यक्रम कोविड 19 प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए किया गया।

चुनरी ओढ़ा उत्सवी माहौल में की गयी गोदभराई:
जिला के कई आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं को लाल चुनरी ओढ़ा कर एवं माथे पर लाल टीका लगा कार्यक्रम की शुरुआत हुई। उनके समक्ष विभिन्न व्यंजनों का प्रदर्शन कर उसमें मौजूद विटामिन, प्रोटीन व अन्य खनिज पदार्थों आदि की जानकारी दी गयी। इस दौरान पोषक आहार का वितरण भी किया गया।

पोषण के पांच सूत्रों से लगेगा कुपोषण पर लगाम:
समेकित बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम पदाधिकारी किसलय शर्मा ने बताया, कुपोषण पर लगाम लगाने के लिए पोषण अभियान के तहत पांच सूत्र बताए गए हैं। पहले सुनहरे 1000 दिनों में तेजी से बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है। जिसमें गर्भावस्था की अवधि से लेकर बच्चे के जन्म से दो साल तक की उम्र तक की अवधि शामिल हैं। इस दौरान बेहतर स्वास्थ्य, पर्याप्त पोषण, प्यार भरा एवं तनाव मुक्त माहौल तथा सही देखभाल बच्चों के पूर्ण विकास में सहयोगी होता है। उन्होंने बताया गोदभराई का मुख्य उद्देश्य गर्भावस्था के आखिरी दिनों में बेहतर पोषण की जरूरत के विषय में गर्भवतियों को अवगत कराना है। माता एवं गर्भस्थ शिशु के बेहतर स्वास्थ्य एवं प्रसव के दौरान होने वाली संभावित जटिलताओं में कमी लाने के लिए गर्भवती के साथ परिवार के लोगों को भी अच्छे पोषण पर ध्यान देना चाहिए। बेहतर पोषण एक स्वस्थ बच्चे के जन्म में सहायक होने के साथ गर्भवती महिलाओं में मातृ मृत्यु दर में कमी भी लाता है।

आखिरी महीनों में जरूरी है बेहतर पोषण:
गर्भ के आखिरी महीनों में शरीर को अधिक पोषक तत्वों की जरूरत होती है। इस दौरान आहार में प्रोटीन, विटामिन,कार्बोहाइड्रेट के साथ वसा की भी मात्रा होना जरूरी होता है। जिला कार्यक्रम पदाधिकारी ने बताया, इसके लिए समेकित बाल विकास योजना के अंतर्गत आंगनबाड़ी केन्द्रों में गर्भवती महिलाओं को साप्ताहिक पुष्टाहार भी वितरित किया जाता है। इसके साथ महिलाएं अपने घर में आसानी से उपलब्ध भोज्य पदार्थों के सेवन से भी अपने पोषण का ख्याल आसानी से रख सकती हैं। हरी साग-सब्जी, सतरंगी फल, दाल, सूखे मेवे एवं दूध के सेवन से आवश्यक पोषक तत्वों की आपूर्ति आसानी से की जा सकती है।