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कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में मीडिया की गंभीरता एवं जागरूकता की लोगों ने की सराहना

• समाचार पत्रों के माध्यम से जन-जन तक पहुंच रहा है कोरोना का संदेश

• मीडिया के लगातार प्रेषण से लोग हुए जागरूक

मधुबनी(बिहार)वैश्विक महामारी कोविड-19 से लड़ाई में चिकित्सकों, स्वास्थ्य कर्मियों एवं सफाई कर्मियों के साथ मीडिया ने भी अहम भूमिका निभाई है। मीडिया ने कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में आम जनता को जागरूक करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है। मीडिया द्वारा संक्रमण को लेकर गंभीरता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि मीडिया ने निरंतर तौर पर कोरोना से बचाव के उपायों, ताजा गतिविधियों एवं सरकार के दिशानिर्देशों को पेशेवर तरीके से आसान भाषा में लोगों तक पहुंचाया है। लोग लापरवाह न बनें और दूसरी ओर सकारात्मक संवाद के जरिये अफवाहों को भी दूर किया है। ऐसा पहली बार हुआ है जब मीडिया ने किसी मुद्दे पर लगातार और इतने लंबे दिनों तक लिखा है.

मीडिया ने कोरोना से जागरूकता को लेकर आम लोगों की पहुंच आसान बनाई :

पेशे से शिक्षक आनंद कुमार बताते हैं कि अखबारों ने प्रतिदिन कोरोना से संबंधित जानकारी,जागरूकता के बारे में जन समुदाय तक संदेशों को पहुंचाने का काम किया जिससे लोगों के व्यवहार में परिवर्तन भी आने लगा, जिसका परिणाम यह हुआ कि लोगों में जागरूकता आई है. लोग शारीरिक दूरी तथा मास्क पहने लगे, जिससे जिले में अब कोरोना संक्रमित का आंकड़ा दहाई अंकों में सिमट कर रह गई है।

पंडौल प्रखंड के सरसों पाही ग्राम के 60 वर्षीय रमेश मेहता बताते हैं- सर्वप्रथम हम लोगों को कोरोनावायरस के बारे में जानकारी मीडिया के माध्यम से ही मिली है कि यह वायरस चीन से फैलता हुआ भारत तक पहुंच गया है. हम लोग सुदूर गांव में रहते हैं, जहां समाचार पत्र के माध्यम से ही कोरोनावायरस के बारे में शहर के लोगों की भांति हर एक पहलू की जानकारी मिलती रही. इससे शुरुआती दौर में जो लोगों के मन में अनावश्यक भय था, उसमें भी कमी हुई है. समाचारपत्रों के माध्यम से सही तथा सार्थक जानकारी लोगों के प्राप्त हुई है. अब हम लोगों के मन में कोरोना के प्रति भय में भी कमी हुई है तथा अब हम लोग कोरोना से जूझते हुए अपने कार्य कर रहे है।

मीडिया की भूमिका रही अहम :

सिविल सर्जन डॉ सुनील कुमार झा ने बताया जिले में कोरोना संक्रमित का आंकड़ा में कमी आई है. कोरोना की रोकथाम में मीडिया ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है. साथ ही सेंटर फॉर एडवोकेसी रिसर्च ने स्वास्थ्य संचार को सुदृढ़ करने में सहयोग किया है. उन्होंने बताया मीडिया हमेशा से समुदाय को जागरूक करने में महत्वपूर्ण रहा है. महामारी के इस दौर में यह सबसे जरुरी था कि लोगों तक कोरोना को लेकर सटीक जानकरी पहुंचे, जिसमें मीडिया ने सकारात्मक भूमिका अदा की है. आज संक्रमण के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ी है. यह जरुरी भी है कि लोग इस बात को स्वीकार करें कि फ़िलहाल कोरोना के उपचार से बेहतर विकल्प है कोरोना से बचाव के तरीकों को अपनाना. ‘जब तक दवाई नहीं, तब तक ढ़िलाई नहीं’ इस बात को ध्यान में रखकर लोगों को सतर्क रहने की काफ़ी जरूरत है.