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जन-जागरूकता ही एड्स से बचाव का एक मात्र जरिया

रोग के प्रति लोगों को जागरूक करने व पीड़ितों की मदद के लिये किये गये हैं जरूरी इंतजाम
विश्व एड्स दिवस पर जिले में जागरूकता संबंधी विभिन्न गतिविधियों का होगा आयोजन

अररिया(बिहार)एक्वार्ड इम्यूनो डिफिसिएंसी सिंड्रोम या एड्स एक संक्रामक बीमारी है. जो एचआईवी ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी नामक वायरस से फैलता है. यह बीमारी मानव शरीर के प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करती है. यह असुरक्षित यौन संबंध, पहले से ही वायरस के संक्रमण में आने वाली सुईयों के उपयोग, स्वस्थ व्यक्ति को किसी संक्रमित व्यक्ति का ब्लड चढ़ाने व संक्रमित माता-पिता से उनके बच्चों में फैलता है. अब तक इसका कोई ज्ञात इलाज नहीं है. लिहाजा जन जागरूकता ही इसे नियंत्रित करने के महत्वपूर्ण उपायों में से एक है. इसलिये प्रति वर्ष 01 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष एड्स दिवस का थीम ‘वैश्विक एकजुटता, साझा जिम्मेदारी’ रखा गया है.

जिले में एड्स संबंधी मामलों में आयी है कमी:
जन-जागरूकता ही एड्स से बचाव का एकमात्र जरिया है. लिहाजा रोग के प्रति आम जिलावासियों को जागरूक करने के लिये स्वास्थ्य विभाग व जिला एड्स बचाव व नियंत्रण इकाई अररिया के माध्यम से लोगों को जागरूक करने के लिये विभिन्न प्रयास किये जा रहे हैं. इस संबंध में जानकारी देते हुए डीएपीसीयू के डीपीएम अखिलेश कुमार सिंह ने बताया कि जागरूकता को लेकर संचालित विभिन्न गतिविधियों के कारण जिले में एड्स के मामलों में लगातार कमी देखी जा रही है. वर्ष 2003 से लेकर अक्तूबर 2020 तक जिले में एड्स के कुल 1013 मामले सामने आये हैं. बीते वर्ष 2019 में जहां जिले में एड्स के कुल 103 मामले सामने आये थे. तो इस वर्ष 2020 में अब तक रोग के महज 70 मामले ही सामने आये हैं.
हेल्पलाइन नंबर व एप देती है रोग संबंधी जानकारी
एड्स के प्रति लोगों को जागरूक करने व इस संबंध में समुचित जानकारी लोगों तक पहुंचाने के लिये बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति द्वारा हेल्पलाइन नंबर 1097 जारी किया गया है. इसके माध्यम से एड्स होने के कारण व इससे बचाव से संबंधित जरूरी जानकारियों के साथ-साथ एड्स संबंधी जांच व इसके इलाज के लिये उपलब्ध सुविधाओं से जुड़ी जानकारी प्राप्त की जा सकती है. इसके साथ ही हम साथी मोबाइल एड्स रोगियों के लिये संचालित विभिन्न कल्याणकारी योजना व बच्चों को संक्रमित मां से होने वाले संक्रमण केखतरों से संबंधित जरूरी जानकारी जुटायी जा सकती है. डीपीएम अखिलेश कुमार ने बताया कि एड्स पीड़ितों के संचालित बिहार एड्स पीड़ित शताब्दी योजना के तहत पीड़ितों को 1500 रुपये प्रति माह व परवरिश योजना के तहत जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा 0 से 18 साल तक के बच्चों को 1000 हजार रुपये प्रति माह आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने का प्रावधान है.
रोग को लेकर समाज में व्याप्त हैं कई भ्रांतियां:
एड्स को लेकर समाज में आज भी कई तरह की भ्रांतियां मौजूद हैं. इसे लेकर लोगों को जागरूक होने की जरूरत है. जैसे एड्स एक साथ खाने-पीने, एक ही शौचालय के उपयोग, किसी जानवर, मक्खी या मच्छर के काटने खांसने व छींकने से नहीं फैलता है. संक्रमित होने के बावजूद भी व्यक्ति आमतौर पर सामान्य रूप से अपना जीवन यापन कर सकते हैं. उनके साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाना चाहिये. वहीं लगातार बुखार व खांसी रहना, वजन का तेजी से गिरावट, मूंह में घाव निकल आना, त्वचा पर खुजली वाले चकते उभरना, सिरदर्द, थकान, भूख नहीं लगना रोग के सामान्य लक्षणों में शुमार है.
विश्व एड्स दिवस पर होंगे कई कार्यक्रम आयोजित:
एड्स को लेकर आम लोग बहुत हद तक जागरूक हुए हैं. डीपीएम डीएपीसीयू ने बताया कि लोग स्वत: भी जांच को तरजीह दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि नवजात में संक्रमण के खतरों को कम करने के लिये गर्भवती महिलाओं का जांच जरूरी है. इस मामले में वर्ष 2019-20 में अररिया राज्य के अन्य जिलों की तुलना में अव्वल रहा है. सभी पीएचसी में जांच के नि:शुल्क इंतजाम उपलब्ध हैं. जांच के नतीजों को पूरी तरह गोपनीय रखने का प्रावधान है. उन्होंने कहा कि विश्व एड्स दिवस के मौके पर सदर अस्पताल परिसर से जागरूकता रैली निकाली जायेगी. रैली में एनवाईके के स्वयंसेवक सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मी शामिल होंगे. सभी आईसीटीसी केंद्र व एसटीडी को सजाया जायेगा. जागरूकता संबंधी बैनर-पोस्टर व रेड रिबन लगाये जायेंगे.