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जापानी इंसेफेलाइटिस टीकाकरण अभियान की समीक्षात्मक बैठक आयोजित

  • शतप्रतिशत लक्ष्य प्राप्त करने का सभी प्रखंड स्वास्थ्य अधिकारियों को मिला निर्देश
  • 1 वर्ष से 15 वर्ष तक के बच्चों को दिया जाता है जे.ई. टीका
  • 7.98 लाख बच्चों को दिया जा चुका है टीका

पूर्णिया(बिहार)जापानी इंसेफेलाइटिस टीकाकरण अभियान में शत प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने और सभी बच्चों का टीकाकरण कर उन्हें लाभान्वित करने को लेकर जिला प्रतिरक्षण सभागार में सिविल सर्जन डॉ. उमेश शर्मा द्वारा समीक्षात्मक बैठक की गयी । इस बैठक में सभी प्रखंड स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्धारित लक्ष्य पूरा करने के लिए दिशा-निर्देश दिए गए। सिविल सर्जन डॉ. उमेश शर्मा ने कहा कि जापानी इंसेफेलाइटिस से बचाव के लिए जिले के सभी 1 वर्ष से 15 वर्ष तक के बच्चों को हर हाल में टीकाकृत करना आवश्यक है। कोरोना संक्रमण के कारण विद्यालयों के बंद होने से बच्चों तक टीकाकरण की पहुंच में मुश्किलें आयी हैं , लेकिन इसके वजह से जिला में कोई भी बच्चा टीकाकरण से वंचित नहीं होना चाहिए। सभी बच्चों तक टीकाकरण की उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश सभी प्रखंड स्वास्थ्य अधिकारियों को दिया गया है। जिसे समय सीमा के अंदर पूरा किया जाना है। बैठक में सिविल सर्जन के साथ ही जिला अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. एस. के. वर्मा, डीआईओ डॉ. सुभाष चंद्र पासवान, यूनिसेफ के एसएमसी मुकेश गुप्ता, डब्लूएचओ एसएमओ डॉ. दिलीप कुमार, पाथ जिला समन्यवक पंकज सिंह, यूएनडीपी से सोमेश कुमार के साथ ही सभी प्रखंड के एमओआईसी, बीसीएम व बीएचएम उपस्थित रहे।

12.67 लाख बच्चों का होगा जे.ई. टीकाकरण :
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. सुभाष चन्द्र पासवान ने बताया कि पूरे जिले में कुल 12 लाख 67 हजार 972 बच्चों का जापानी इंसेफेलाइटिस (जे.ई.) टीकाकरण किया जाना है। जे.ई. टीकाकरण अभियान 17 जून से चलाया जा रहा है। अब तक जिले में कुल 7 लाख 98 हजार 268 बच्चों को जे.ई. की टीका दिया जा चुका है। अभी भी 4 लाख 69 हजार 704 बच्चों को टीकाकृत किया जाना है। जिला स्वास्थ्य विभाग इसके शत प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने के लिए संकल्पित है। कुछ ही दिनों में इसे पूरा कर लिया जाएगा। जिले का कोई भी बच्चा जेई टीकाकरण से वंचित नहीं रह सकेगा और इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी जरूरी प्रयास किए जा रहे हैं।

टीकाकरण स्थल के साथ ही आंगनवाड़ी केंद्र पर भी दिए जा रहे टीके :
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. एस. के. वर्मा ने बताया कि नियमित टीकाकरण के साथ ही जेई टीका भी 1 से 15 वर्ष तक के सभी बच्चों को लगाया जा रहा है। बच्चों को टीकाकृत करने के लिए सभी टीकाकरण स्थल के साथ साथ आंगनवाड़ी केंद्रों पर भी टीकाकरण करवाया जा रहा है। कोरोना संक्रमण के कारण विद्यालयों के बन्द होने के कारण बच्चों तक पहुँचने में मुश्किल हो रही है, पर इसके लिए स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा लोगों के बीच प्रचार-प्रसार करवाया जा रहा है। आशा, एएनएम व आंगनवाड़ी सेविकाएँ घर-घर जाकर लोगों को अपने बच्चों के टीकाकरण करवाने की जानकारी दे रही हैं। यूनिसेफ द्वारा इसके लिए सभी कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है। टीकाकरण के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा कोरोना संक्रमण के बचाव का ध्यान रखने के साथ ही लोगों को भी संक्रमण से सतर्क रहने की जानकारी दी जा रही है।

क्या है जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) :
जापानी इंसेफेलाइटिस एक संक्रामक बीमारी है। इसे चमकी बुखार भी कहा जाता है। जापानी इन्सेफेलाइटिस बीमारी संक्रमित मच्छरों से फैलने वाला विषाणु है। यह वायरस संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है। इसके संक्रमण से दिमाग में सूजन की समस्या होने लगती है। अचानक सिर दर्द, तेज बुखार,और भटकाव के साथ मस्तिष्क में सूजन आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं।

जापानी इंसेफेलाइटिस से सतर्कता बरतने के लिए ध्यान रखें :
• सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें.
•शिशुओं को जेई का टीकाकरण करायें.
• आसपास व घर में सफाई रखें
गंदे पानी का जमाव नहीं होने दें.
•साफ या उबाला हुआ पानी पीयें .
•बच्चों को सुपाच्य व पौष्टिक आहार दें.
• बुखार आने पर भी डॉक्टर को दिखायें.
• जेई के लक्षण दिखाई देने पर चिकित्सक से सम्पर्क करें.