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एमपीटी एक्ट के तहत सुरक्षित गर्भपात की सदर अस्पताल में सुविधा

बिहार नवादा

सुरक्षित गर्भपात और परिवार नियोजन पर परिचर्चा का हुआ आयोजन

पति—पत्नी के लिए अनचाहा गर्भ मानसिक रूप से तनाव को जन्म देता है। अनचाहा गर्भ जहां भविष्य की चिंताओं को बढ़ा देता है वहीं गर्भवती महिलाएं मानसिक रूप से प्रभावित होती हैं। कोरोना काल में अनचाहे गर्भ की समस्याएं बढ़ी हैं। इससे निबटने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई विशेष पहल किये जा रहे हैं। इस दिशा में सदर अस्पताल सभागार में सुरक्षित गर्भपात तथा परिवार नियोजन विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ अजय कुमार की अध्यक्षता में आयोजित परिचर्चा में सुरक्षित गर्भपात व परिवार नियोजन को लेकर काम करने वाली पटना स्थित संस्था आईपास के प्रतिनिधि शंकर दयाल सिंह तथा अमरेंद्र कुमार सहित नर्सिंग स्टॉफ ने हिस्सा लिया। बैठक में पहले तथा दूसरी तिमाही के सुरक्षित गर्भपात एवं इसके उपरांत परिवार नियोजन विधि अपनाने पर विस्तार से चर्चा की गयी।

एमटीपी एक्ट के तहत गर्भ समापन का प्रावधान:
आईपास प्रतिनिधियों ने बताया कि कोरोना काल में बहुत सी महिलाएं अनचाहे रूप से गर्भवती हो गयी हैं और उन्हें गर्भ समापन की सुविधा लेने में परेशानी हुई है इस वजह से उनका गर्भ प्रथम से दूसरी तिमाही का हो गया है। इसलिए उन्हें चिकित्सीय सलाह एवं परामर्श की आवश्यकता है ताकि उनका सुरक्षित गर्भपात कराया जा सके। इसको लेकर सभी को प्रयास करने की आवश्यकता है। परिचर्चा में बताया गया कि लोग स्वयं से गर्भपात कराने के विधियों को नहीं अपनाये।मेडिकल साइंस की मदद से सुरक्षित गर्भपात की विधि ही अपनायी जानी चाहिए। इसके लिए तकनीकी रूप से दक्ष चिकित्सक से परामर्श प्राप्त किया जाना चाहिए। सदर अस्पताल में 20 सप्ताह तक के गर्भ का समापन करने की सुविधा उपलब्ध है। अगर कोई महिला अपना गर्भ समापन कराना चाहती है तो एमटीपी एक्ट के तहत अपना गर्भ समापन करा सकती है। इस बैठक में अस्पताल प्रबंधक श्री शैलेश कुमार सिंह, महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ पुष्पा कुमारी, डॉ प्रेमशीला, डॉ सीमा कुमारी सहित शल्य कक्ष एवं प्रसव कक्ष के नर्सिंग स्टाफ़ भी उपास्थित थे।

कम उम्र में गर्भधारण भी है खतरनाक:
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा जारी परिवार नियोजन गाइडलाइन में इस बात की चर्चा भी की गयी है कि कम उम्र में गर्भधारण करना खतरनाक होता है। मातृ मृत्यु के 50 प्रतिशत मामले का कारण कम उम्र में मां बनना होता है। बीस वर्ष या उससे अधिक उम्र की तुलना में बीस वर्ष से कम उम्र की किशोरियों या महिलाओं में प्रसव आमतौर पर अधिक जटिल होता है। साथ ही कम उम्र की माताओं के शिशुओं की प्रथम वर्ष में ही मृत्यु की संभावना भी अधिक बनी रहती है।