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पोषण पखवाड़ा के तहत विभिन्न स्तरों पर जागरूकता संबंधी गतिविधियों का हुआ सफल आयोजन

विभिन्न विभागों के समन्वय से कुपोषण के मामलों में कमी लाना राष्ट्रीय पोषण मिशन का उद्देश्य:
उचित पोषण का ध्यान रखकर कुपोषण व एनीमिया के मामलों में कमी लाना संभव:

कटिहार(बिहार)जिले को कुपोषण मुक्त बनाने को लेकर विभिन्न स्तरों पर जरूरी पहल की जा रही है। इसी क्रम में 27 मार्च से 04 अप्रैल के बीच जिले में संचालित पोषण पखवाड़ा बेहद सफल रहा। आईसीडीएस सहित संबंधित अन्य विभागों के समन्वय से इस दौरान पोषण के प्रति आम लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य विभिन्न स्तरों पर जागरूकता संबंधी कार्यक्रम आयोजित किये गये। शिविर के माध्यम से गर्भवती महिलाएं व बच्चों के लिये आहार विविधता, जल संरक्षण में महिलाओं की भूमिका, गर्भवती महिलाओं की एएनसी जांच, टीकाकरण, पारंपरिक भोजन के महत्व सहित अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं से क्षेत्र की महिलाओं को अगवत कराया गया।

अपने उद्देश्य में सफल रहा पोषण पखवाड़ा का आयोजन:
डीपीओ आईसीडीएस सुगंधा शर्मा ने इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि पोषण पखवाड़ा के दौरान स्वस्थ बच्चों की पहचान के लिये आंगनबाड़ी केंद्र स्तर पर बच्चों के वजन व लंबाई की माप की गयी। पारंपरिक भोजन, जल संरक्षण में महिलाओं की भूमिका, एनीमिया की जांच, गर्भवती महिलाएं व बच्चों के आहार विविधता विषय पर आयोजित शिविर बेहद सफल रहा। उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी सहित अन्य वरीय अधिकारियों ने शिविर का मुआयना करते हुए स्वस्थ बच्चे की पहचान व पारंपरिक भोजन के महत्व विषय पर आयोजित प्रतिस्पर्द्धा में बेहतर प्रदर्शन करने वाले समूह को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। उन्होंने पखवाड़ा को अपने उद्देश्य में सफल बताया।

कुपोषण को जड़ से खत्म करने का हो रहा प्रयास:
राष्ट्रीय पोषण मिशन के संबंध में जानकारी देते हुए डीपीओ आईसीडीएस ने कहा कि इस योजना के माध्यम से सरकार द्वारा पोषण से संबंधित तमाम गतिविधियों व कार्यक्रमों का अनुश्रवण व समीक्षा की जा रही है। विभिन्न विभागों के आपसी समन्वय से निर्धारित समय सीमा के अंदर बच्चों में अल्पवजन, बौनापन, दुबलापन व एनीमिया के मामलों में कमी लाने का प्रयास इसका उद्देश्य है। इसकी सफलता को लेकर महिला एवम बाल विकास, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण, खाद्य आपूर्ति, उपभोक्ता संरक्षण, पंचायती राज सहित अन्य विभागों के बीच समन्वय स्थापित करते हुए बच्चों के कुपोषण के मामलों में हर साल दो प्रतिशत व महिला व किशोरियों में प्रति वर्ष तीन प्रतिशत की दर से एनीमिया के मामलों में कमी लाने का लक्ष्य निर्धारित है।