Home

“टीबी हारेगा, देश जीतेगा ” अभियान के प्रचार- प्रसार को जिले भर में होगी प्रखंडस्तरीय बैठक

17 से 19 मार्च तक आयोजित होगी बैठकेंसभी प्रखंडों में जनप्रतिनिधि और प्रखंडस्तरीय अधिकारियों के बीच आयोजित होंगे कई कार्यक्रम

राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम 2025 की सफलता के लिए देश भर में चलाया जा रहा है ” टीबी हारेगा, देश जीतेगा ” अभियान

टीबी के मरीजों को सहयोग करने वाले ट्रीटमेंट सपोर्टर को दी जाती हैं प्रोत्साहन राशि

प्रति वर्ष 24 मार्च को देश भर में मनाया जाता है विश्व यक्ष्मा दिवस

किशनगंज(बिहार)राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) की सफलता के लिए जिले में “टीबी हारेगा, देश जीतेगा ” अभियान चलाया जा रहा है।जिसका मकसद 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य है। इसी अभियान के प्रचार- प्रसार के लिए राज्य स्वास्थ्य समिति के निर्देशानुसार जिला स्वास्थ्य समिति किशनगंज के द्वारा 17 से 19 मार्च तक जिले के सभी प्रखण्डों में स्थानीय जनप्रतिनिधि और प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों के साथ टीबी जागरुकता को ले सामुहिक बैठक आयोजित की जाएगी। इसी सिलसिले में आज जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र दिघलबैंक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पोठिया के प्रांगण में एक उन्मुखीकरण बैठक प्रखंड विकास पदाधिकारी की अध्यक्षता में हुई । जिसमें प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, सीडीपीओ,स्वास्थ्य,आशा एवं केयर इण्डिया के डीटीएल,जिला पोषण अधिकारी, जिला परिवार नियोजन समन्वयक आदि ने भाग लिया। साथ ही 24 मार्च को विश्व यक्ष्मा दिवस के दिन जिला में ” टीबी हारेगा, देश जीतेगा” कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
टीबी का इलाज संभव है लेकिन पूर्ण समाप्ति के लिए जन आंदोलन की जरूरत:

संचारी रोग पदाधिकारी (यक्ष्मा) डॉ कौशल किशोर ने बताया कि टीबी संक्रमित मरीज़ों के इलाज में किसी भी तरह का कोई निजी खर्च वहन नहीं करना पड़ता है। दवा सहित अन्य जांच के लिए सरकारी स्तर पर सब कुछ उपलब्ध है। यह संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने एवं थूकने से फैलती है। दो सप्ताह या इससे अधिक समय तक खांसी, बलगम और बुखार, बलगम या थूक के साथ खून का आना, छाती में दर्द की शिकायत, भूख कम लगना, वजन में कमी आना आदि इसके लक्षण हैं। सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग से जुड़े कर्मियों व एसटीएस के माध्यम से खोजी अभियान में तेजी लाना बेहद ही जरूरी है। इससे टीबी के मरीजों की जल्द से जल्द पहचान की जा सकती है। उन्होंने बताया कि दो हफ्तों से ज्यादा की खांसी, खांसी में खून का आना, सीने में दर्द, बुखार, वजन कम होने की शिकायत हो तो तत्काल बलगम की जांच कराएँ। जांच व उपचार बिल्कुल मुफ्त है।

टीबी मरीजों के लिए काफी मददगार है “निक्षय पोषण योजना”

जिले के संचारी रोग पदाधिकारी (यक्ष्मा) डॉ कौशल किशोर ने बताया की टीबी मरीजों को इलाज के दौरान पोषण के लिए 500 रुपये प्रतिमाह दिए जाने वाली निक्षय पोषण योजना बड़ी मददगार साबित हुई है। नए मरीज मिलने के बाद उन्हें 500 रुपये प्रति माह सरकारी सहायता भी प्रदान की जा रही है। यह 500 रुपये पोषण युक्त भोजन के लिए दिया जा रहा है। टीबी मरीज को आठ महीने तक दवा चलती है। इस आठ महीने की अवधि तक प्रतिमाह पांच 500-500 रुपये दिए जाएंगे। योजना के तहत डी बी टी के माध्यम से राशि सीधे बैंक खाते में भेजी जाती है। वहीं टीबी मरीजों के नोटीफाइड करने पर निजी चिकित्सकों को 500 रुपये तथा उस मरीज को पूरी तरह से ठीक हो जाने के बाद भी निजी चिकित्सकों को 500 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। वहीं ट्रीटमेंट सपोर्टर को अगर कोई टीबी के मरीज छह माह में ठीक हो गया है तो उसे 1000 रुपये तथा एमडीआर के मरीज के ठीक होने पर 5000 रुपये की प्रोत्साहन दी जाती है। अगर कोई आम व्यक्ति भी किसी मरीज को सरकारी अस्पताल में लेकर आता है और उस व्यक्ति में टीबी की पुष्टि होती है तो लाने वाले व्यक्ति को भी 500 रुपये देने का प्रावधान है।

टीबी के मरीजों की जांच व दवा की व्यवस्था सभी सरकारी अस्पताल में निःशुल्क उपलब्ध है:
जिले के संचारी रोग पदाधिकारी (यक्ष्मा) डॉ कौशल किशोर ने बताया टीबी एक संक्रामक बीमारी है। लेकिन सामूहिक रूप से भागीदारी होने के बाद इसे जड़ से मिटाया किया जा सकता है। टीबी संक्रमित होने की जानकारी मिलने के बाद किसी रोगी को घबराने की जरूरत नहीं है। बल्कि, लक्षण दिखते ही नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र में जाकर जांच करानी चाहिए। क्योंकिं यह एक सामान्य सी बीमारी है और समय पर जाँच कराने से आसानी के साथ बीमारी से स्थाई निजात मिल सकती है। इसके लिए अस्पतालों में मुफ्त समुचित जाँच और इलाज की सुविधा उपलब्ध है। टीबी संक्रमण की पुष्टि होने पर पूरे कोर्स की दवा रोगी को मुफ्त उपलब्ध करायी जाती है। जांच से इलाज की पूरी प्रक्रिया बिल्कूल नि:शुल्क है।