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भारतीय भाषाओं में शोध एवं अकादमिक लेखन पर तीन दिवसीय कार्यशाला कल से

हकेवि में भारतीय भाषा समिति, शिक्षा मंत्रालय द्वारा संपोषित आयोजन में जुटेंगे विशेषज्ञ
महेंद्रगढ़:हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ के शिक्षा पीठ द्वारा आगामी 29 नवंबर से भारतीय भाषाओं में शोध एवं अकादमिक लेख विषय पर केंद्रित तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। भारतीय भाषा समिति, शिक्षा मंत्रालय द्वारा संपोषित इस कार्यशाला के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.टंकेश्वर कुमार करेंगे। कुलपति ने कहा कि भारतीय भाषाओं के विकास और उनके प्रयोग में बढ़ोत्तरी की दिशा में यह कार्यशाला बेहद उपयोगी साबित होगी। इस तीन दिवसीय कार्यशाला में भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष चामू कृष्ण शास्त्री जी व भारतीय भाषा समिति के अकेडमिक कोऑडिनेटर डॉ. चंदन श्रीवास्तव भी प्रतिभागियों को संबोधित करेंगे।
विश्वविद्यालय कुलपति प्रोफेसर टंकेश्वर कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में यह स्पष्ट है कि अपनी भाषा में शिक्षित होना कोई बाधा नहीं है बल्कि अपने अंदर के सर्वश्रेष्ठ को निखारने के लिए यह बहुत ही आवश्यक है । इसलिए यह नीति अपने मूलभूत सिद्धांतों में बहुभाषिकता के कार्य मे भारतीय भाषाओं की शक्ति को प्रोत्साहित करने पर बल देती है साथ ही यह शोधार्थियों के बीच अकारण बन गए शोध एवं अकादमिक लेखन भाषायी बाधाओं को दूर करने के विभिन्न उपायों को यथाशीघ्र शामिल करने की बात कहती है। इस संदर्भ में, शिक्षा के हर स्तर पर शोध एवं अकादमिक लेखन में भारतीय भाषा माध्यम को प्रभावी रूप से स्थापित करने के लिए वर्तमान एवं भावी शिक्षकों के चिंतन में मौलिक परिवर्तन की आवश्यकता प्रतीत होती है, उसको यह जागृति लानी होगी कि भारतीय भाषा में शोध एवं अकादमिक लेखन के कई अकादमिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक लाभ हैं तथा अपनी भाषा में शोध एवं अकादमिक लेखन होने से शोधार्थी किसी भी ज्ञान को बेहतर तरीके से सीख पाएंगे, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शोध एवं अकादमिक लेखन की शिक्षा को मातृभाषा स्थानीय भाषा या क्षेत्रीय भाषा में देने का प्रावधान कर सभी भारतीय भाषाओं के प्रति सम्मान व्यक्त किया गया है। कुलपति प्रो.टंकेश्वर कुमार कहते है कि निसंदेह ही यह एक स्वागत योग्य पहल है और नेल्सन मंडेला तो कहा ही करते थे कि यदि आप किसी व्यक्ति से ऐसी भाषा में बात करते हैं जो वह समझ सकता है तो वह उसके मस्तिष्क में घर करती है।
विश्वविद्यालय में आयोजित इस कार्यशाला की संयोजक व शिक्षा पीठ की अधिष्ठाता प्रो.सारिका शर्मा ने बताया कि इस तीन दिवसीय कार्यशाला में करीब 12 सत्रों का आयोजन किया जाएगा। इस कार्यशाला का उद्देश्य है कि सभी विद्यार्थी, शोद्यार्थी अकादमिक क्षेत्र में आगे बढ़े। उन्होंने कहा कि कार्यशाला में शोध में भाषा के स्तर पर आने वाली विभिन्न समस्याओं का समाधान किया जायेगा और भाषाओं में ज्ञान सृजन के अवसर पर विस्तार से प्रकाश डाला जायेगा। इसके साथ ही इसमें व्यावहारिक प्रशिक्षण पर भी जोर रहेगा। इतना ही नहीं कार्यशाला में विभिन्न भाषाओं में पुस्तक समीक्षा जैसे सभी विषयों पर इस कार्यशाला में विस्तार से जानकारी दी जायेगी। प्रो.सारिका शर्मा ने कहा कि अवश्य ही यह कार्यशाला शोध में भाषा के समक्ष आने वाली चुनौतियों के निदान में मददगार साबित होगी। उन्होंने बताया कि यह कार्यशाला विश्वविद्यालय के सभी शोधार्थियों के लिये आयोजित की जा रही है। इस कार्यशाला के समन्वयक प्रोफेसर नंद किशोर, सह समन्वयक प्रोफेसर गौरव सिंह व सदस्य डॉ. आरती यादव और डॉ. अमित सिंह है।