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आत्मनिर्भर भारत अभियान में कला आधारित उद्यमिता विकास पर कार्यशाला का आयोजन

बनारसी(यूपी)भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान अहमदाबाद एवं वाणिज्य विभाग हरिश्चन्द्र पी. जी. कॉलेज, वाराणसी द्वारा एक स्वावलंबन कार्यशाला का आयोजन किया गया।आत्मनिर्भर भारत अभियान में कला आधारित उद्यमिता विकास पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रोफेसर टी०एन० सिंह, कुलपति महात्मा गांधी कशी विद्यापीठ थे।मुख्यअतिथि ने जी०आई० उत्पाद की महत्ता उसके औचित्य एवं उसके वैश्विक चिंतन के बारे में अपना मत प्रस्तुत किया और उन्होंने यह बताया कि भले ही हम कितने भी आधुनिक हो गए हों लेकिन हमें विचारों से भारतीय होना चाहिए तभी भारत का विकास होगा, साथ ही उन्होंने विदेशी संस्कार एवं चिंतन से दूर रहने की सलाह दी।
कार्यशाला के विशिष्ठ अतिथि पद्मश्री डॉ० रजनीकांत जी०आई० विशेषज्ञ थे।आपने वाराणसी में ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण भारत में जी०आई० की उपयोगिता, उसके महत्व के लिए राष्ट्रिय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना सक्षम अधिकार प्रस्तुत किया और भारतीय वस्तुओं की एक अलग पहचान कायम करने में मदद की।कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि श्री अब्दुल्ला जी सहायक निदेशक हस्त शिल्प थे जिन्होंने सरकार द्वारा देय सुविधाओं को विस्तार पूर्वक समझया।
कार्यक्रम के प्रमुख वक्ता डॉ ईश्वर कुमार, भारतीय उद्यमिता विकास संगठन अहमदाबाद के एसोसिएट प्रोफेसर थे। उन्होने अपने उदबोधन में कहा कि व्यवसाय, उद्यमिता की सफलता के लिए S.W.O.T विश्लेषण के द्वारा स्टार्टअप की प्रमुख बातो को स्पस्ट किया।कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ ओम प्रकाश सिंह ने किया एवं प्राचार्या डॉ० ज्योत्स्ना चतुर्वेदी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया | डॉ० अनिल प्रताप सिंह, विभागाध्यक्ष वाणिज्य जी ने कार्यक्रम का संचालन किया तथा डॉ० अशोक कुमार सिंह ने कार्यशाला संयोजक की भूमिका में विषय प्रवर्तन का काम किया | इस कार्यशाला में भारत सरकार से राष्ट्रीय पुरूस्कार प्राप्त हस्तशिल्पियों ने अपना प्रतिभाग और अपना विचार प्रस्तुत किया और लघु और कुटीर उद्योगों के और विकसित करने के भी सुझाव भी दिया | कार्यक्रम मे मुख्य रूप से डॉ. अतुल कुमार तिवारी, मेजर (डॉ.) पी. के. पाण्डेय, डॉ. प्रभाकर सिंह, डॉ. उदयन मिश्र, डॉ. ब्रजेश कुमार जायसवाल, डॉ .संजय कुमार सिंह, डॉ. अनुपम शाही, डॉ. संगीता श्रीवास्तव एवं अन्य प्राध्यापक गण उपस्थित रहें।