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युवाओं ने समझी अपनी जिम्मेदारी, कोरोना रोकथाम में कर रहें भागीदारी

• कोविड-19 के दौर में जागरूकता के लिए सोशल मीडिया को बना रहे हैं हथियार
• लॉकडाउन खत्म होने पर भी लोगों को सामाजिक दूरी का रखना है ध्यान

किशनगंज(बिहार)कोविड-19 संक्रमण की शुरुआत से ही कोरोना रोकथाम की दिशा में अलग-अलग स्तर पर लोगों ने अपनी भूमिका सुनिश्चित की है। विशेषकर युवा वर्ग भी इस मुहिम का हिस्सा बने हैं एवं कोरोना रोकथाम के उपायों का खुद पालन करते हुए और समुदाय को इसके प्रति प्रेरित करने में अहम भूमिका अदा की है। अब जब देश की व्यवस्था को वापस पटरी पर लाने के लिए सरकार द्वारा लॉक डाउन को समाप्त किया गया है. अभी के समय में लोग काम पर लौट रहे हैं, वाहनों का परिचालन शुरू हो चुका है, दफ्तर के साथ सड़क व बाजारों में चहल-पहल बढ़ गई है, तो निश्चत ही संक्रमण से बचाव के लिए सतर्कता और सुरक्षा की जरूरत भी बढ़ गई है। संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखते हुए अब सामाजिक स्तर पर भी सुरक्षा और जागरूकता पर बल दिया जाने लगा है, जिसमें युवाओं की भागीदारी भी सबसे ज्यादा देखी जा रही है। युवाओं द्वारा न सिर्फ लोगों को सतर्क रहने के लिए जागरूक किया जा रहा है, बल्कि सोशल मीडिया के जरिए लोगों को कोरोना के बचाव की जानकारियां उपलब्ध कराई जा रही है.

नियमों की अनदेखी सबसे बड़ी चुनौती :

संक्रमण के खतरे को देखते हुए युवाओं का एक वर्ग जागरूकता और सतर्कता को लेकर अभियान तो चला रहा है, लेकिन कुछ वर्ग ऐसा भी है जो इसे उतनी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। ये अक्सर बाजार और सड़कों पर समूह में निकल जा रहे हैं। गलियों और चौराहों में भी दोस्तों से वार्तालाप में व्यस्त दिखते हैं। इस दौरान शारीरिक दूरी और मास्क इस्तेमाल में लोगों द्वारा लापरवाही भी देखी जा रही है। ऐसे में सतर्क युवाओं की जिम्मेदारी बढ़ जाती है, क्योंकि युवा वर्ग, युवाओं का अधिक अनुसरण करते हैं। जिम्मेदार युवाओं को आगे आकर इन्हें सतर्कता के लिए जागरूक करना चाहिए। कुछ युवाओं द्वारा इसके लिए प्रयास भी किया जा रहा है लेकिन सिर्फ कुछ लोगों के आगे आने से ही नहीं बल्कि ज्यादातर लोगों को इसके लिए एकजुट होना पड़ेगा.

भीड़ में न जाएं, सोशल दूरी का करें पालन :

कोविड-19 के संक्रमण से बचाव का एकमात्र उपाय अभी शारीरिक दूरी, मास्क और स्वच्छता ही है। जो लोग इसे नहीं मान रहे हैं, उन्हें इसकी महत्ता बतानी होगी। समझाना होगा कि हरेक वर्ग के सहयोग से ही संक्रमण के बढ़ते प्रभाव पर रोक लगाना संभव है। यह जरूरी नहीं कि जहां लोग भीड़ लगाते हैं, या नियमों की अनदेखी करते हैं, उन्हें समझाने के लिए हम भी वहां पहुंच जाएं। इसके लिए सबसे अच्छा माध्यम और विकल्प फोन कॉल के साथ सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, वाट्सएप, ट्विटर, इंस्टाग्राम हो सकते हैं। इसके माध्यम से हम उन्हें उनकी गलती या असवाधानियों को बताकर जागरूक कर सकते हैं।

सतर्क रहकर ही हो सकता है कोरोना पर विजय संभव :

स्थानीय गांधी चौक के मिठाई दुकान के युवा संचालक गोविंद बताते हैं बाजार खुलने से लोगों को काफी राहत मिली है। अब दिनचर्या सामान्य रूप से चल रही है। लोग अपने कार्यों के लिए घरों से निकल रहे हैं। हालांकि संक्रमण का दौर खत्म नहीं हुआ है, रोजाना मामले बढ़ ही रहे हैं। ऐसे में हमें कहीं से भी अपनी जिम्मेदारी नहीं भूलनी चाहिए। जब भी घर से बाहर निकलें तो शारीरिक दूरी का पालन जरूर करें। मास्क का प्रयोग और स्वच्छता को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बना लें। खासकर व्यापार के क्षेत्र के साथ अन्य जगहों पर परचम लहराने वाले युवा आगे बढ़कर पहल करें और सजगता बरतते हुए लोगों को नियमों का पालन करने के लिए जागरूक करें। इससे निश्चय ही कोरोना पर विजय संभव है। हमारे दुकान में भी हम इसके लिए हमेशा सतर्क रहते हैं. यहां आने वाले सभी ग्राहकों को मास्क लगाकर रखने और एकदूसरे से दूर रहने के लिए कहते हैं. लोगों को अन्य जगह भी इसी तरह सरकार के निर्देशों का पालन करने के लिए प्रेरित करते हैं.

सावधानी और सतर्कता बरतते हुए कार्य करें :

युवा व्यवसायी संजय कुमार कहते हैं – कोविड-19 की रोकथाम के लिए सामाजिक सतर्कता, सुरक्षा और जागरूकता बेहद जरूरी है। युवाओं की भूमिका तो इसमें सबसे महत्वपूर्ण है। हालांकि लोग नियमों का सही से पालन करें इसके लिए युवाओं के साथ घर-परिवार के लोगों और समाज के बुद्धिजीवियों को आगे आना होगा। इसलिए इस दौरान ऐसा कार्य न करें की वापस पहले जैसी स्थिति हो जाए। लोग बाजार आएं, रोजमर्रा के काम करें, लेकिन सावधानी और सतर्कता बरतते हुए। हम सभी एक दूसरे के बारे में सोचकर चलेंगे तो निश्चय ही सबका भला होगा और समाज भी संक्रमण मुक्त रहेगा।