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सर्पदंश को राज्य आपदा घोषित, मौत पर 4 लाख की मदद

लेखक डॉ. नंदकिशोर सह
लखनऊ:उत्तर प्रदेश सरकार ने सर्पदंश को राज्य आपदा घोषित किया है। सर्पदंश से मौत होने पर पीड़ित परिवार को एक सप्ताह के भीतर चार लाख रुपए की सहायता दी जाती है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में लगातार जागरूकता और राहत कार्यों में जुटा है।

सर्पदंश एक घातक घटना है। इसमें बचाव के लिए बहुत कम समय मिलता है। समय पर इलाज न मिलने पर मौत की आशंका बढ़ जाती है। भारत में हर साल सर्पदंश से करीब 58 हजार मौतें होती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, पूरी दुनिया में हर साल करीब 50 लाख सर्पदंश के मामले सामने आते हैं। इनमें से 1.38 लाख लोगों की मौत होती है। भारत में मई से सितंबर के बीच सर्पदंश के मामले बढ़ जाते हैं। इस दौरान सांप अपने बिलों से निकलकर इंसानी आबादी में आ जाते हैं।

शोध के अनुसार, भारत में केवल 15 प्रतिशत सांप ही जहरीले होते हैं। बाकी 85 प्रतिशत सांप विषहीन होते हैं। भारत में सर्पदंश से सबसे ज्यादा मौतें होती हैं। इसका कारण है सांपों के बारे में सही जानकारी का अभाव और समय पर इलाज न मिल पाना।

सर्पदंश के लक्षणों को पहचानना जरूरी है। जहरीले सांप के काटने पर दो गहरे निशान बनते हैं। कई बार एक से ज्यादा जगह पर भी ऐसे ही निशान दिखते हैं। विषहीन सांप के काटने पर छोटे-छोटे कई निशान बनते हैं, जो ज्यादा गहरे नहीं होते। काटे गए स्थान पर दर्द और नींद आना भी लक्षण हैं।

सर्पदंश के तुरंत बाद पीड़ित को शांत रखें। घबराहट से जहर तेजी से फैलता है। काटे गए स्थान को साबुन या डिटॉल से धोएं। उस अंग को स्थिर रखें। उसे हृदय की ऊंचाई से नीचे रखें। घाव के ऊपर हल्की पट्टी बांधें। अंगूठी, घड़ी, कड़ा या टाइट कपड़े हटा दें। पीड़ित को तुरंत अस्पताल ले जाएं। वहां एंटी वेनम इंजेक्शन लगवाएं। यदि सांप को देखा है तो उसका रंग और आकार डॉक्टर को बताएं।

सर्पदंश के बाद कुछ सावधानियां जरूरी हैं। झाड़-फूंक, तांत्रिक या सपेरे के पास न जाएं। घाव पर बर्फ या गर्म चीजें न लगाएं। किसी भी तरह की मरहम या जड़ी-बूटी न लगाएं। घाव से छेड़छाड़ न करें। रस्सी से बांधना प्रशिक्षित व्यक्ति ही करे। चीरा न लगाएं। विष चूसने की कोशिश न करें। बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न दें। पीड़ित को चलने न दें। उसे सोने न दें। धूम्रपान या तंबाकू न दें। सांप को मारने की कोशिश न करें।

सर्पदंश से बचाव के लिए सतर्कता जरूरी है। आसपास साफ-सफाई रखें। पेड़ों की शाखाएं घर की दीवारों से न सटने दें। घर को चूहों, मेंढकों से मुक्त रखें। मुर्गी, कबूतर, खरगोश जैसे जानवरों को घर से दूर रखें। खेतों में काम करते समय बड़े जूते पहनें। लाठी या डंडा साथ रखें। रात को बाहर जाते समय टॉर्च और डंडा साथ लें। लंबी घास, चट्टानों, लकड़ी के लट्ठों, दलदल और गहरे गड्ढों से बचें। फर्श पर न सोएं। मच्छरदानी का प्रयोग करें। किसी भी सांप को पकड़ने की कोशिश न करें। खिड़कियों में जाली लगवाएं। मानसून में विशेष सतर्कता बरतें। खेतों में जूते पहनें। झाड़ियों में हाथ न डालें। कच्चे घर की दीवारें भर दें। घर में चूहे हों तो रात में लाइट जलाकर रखें। इन उपायों से सर्पदंश से होने वाली जनहानि को रोका जा सकता है।

Mani Brothers

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