चमकी बुखार से निपटने को राज्य टीम ने लिया जायजा
छपरा:जिले में चमकी बुखार और जापानी इंसेफेलाइटिस को लेकर स्वास्थ्य विभाग सतर्क है। राज्य स्तरीय चार सदस्यीय टीम ने सोमवार को सदर अस्पताल सहित दरियापुर, अमनौर और सोनपुर के स्वास्थ्य केंद्रों का निरीक्षण किया। टीम में राज्य स्वास्थ्य समिति से डॉ. अलका सिन्हा, डॉ. सरिता, डॉ. संजीव कुमार और डॉ. चंदन कुमार शामिल थे। टीम ने एईएस-जेई वार्ड में दवाओं, उपकरणों और अन्य सुविधाओं की जांच की। टीम ने कहा कि इलाज में कोई कमी नहीं होनी चाहिए। सभी जरूरी दवाएं उपलब्ध रहनी चाहिए। चिकित्सा स्टाफ को सतर्क रहने और सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त रखने के निर्देश दिए गए।

निरीक्षण के दौरान सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा, जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह, डीपीएम अरविंद कुमार और डीवीबीडीसी सुधीर कुमार मौजूद थे। राज्य मुख्यालय के निर्देश पर सभी जिलों में एईएस को लेकर विशेष समिति बनाई गई है।
सदर अस्पताल में 10 बेड का एईएस-जेई वार्ड बनाया गया है। अनुमंडलीय अस्पताल, सीएचसी और पीएचसी में दो-दो बेड का वार्ड तैयार किया गया है। स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया है। सभी जरूरी दवाएं उपलब्ध करा दी गई हैं। एंबुलेंस की टैगिंग कर दी गई है। शिशु रोग विशेषज्ञ और जनरल फिजिशियन को बच्चों के इलाज में विशेष ध्यान देने को कहा गया है।
डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि घबराने की जरूरत नहीं है। सावधानी और जागरूकता जरूरी है। अप्रैल और मई को चमकी और दिमागी बुखार के लिहाज से संवेदनशील माना जाता है। तेज बुखार, उल्टी, बेहोशी, ऐंठन, सुस्ती, कमजोरी और दांत पर दांत दबाना इसके लक्षण हो सकते हैं। बच्चों को खाली पेट न रखें। धूप में न निकलने दें। कच्चे आम और लीची न खिलाएं। ओआरएस, नींबू और चीनी का घोल पिलाएं। बुखार होने पर ठंडे पानी से शरीर पोछें।
‘चमकी की धमकी’ अभियान के तहत तीन बातें बताई गई हैं। पहली- बच्चों को रात में भरपेट खाना खिलाएं। दूसरी- सुबह उठते ही बच्चों को जगाएं, बेहोशी या चमकी तो नहीं देखें। तीसरी- लक्षण दिखते ही आशा को सूचना दें और 102 एंबुलेंस या किसी वाहन से तुरंत अस्पताल ले जाएं।

