चमकी बुखार से बचाव को दरभंगा में अलर्ट, माइकिंग से जागरूकता
दरभंगा:गर्मी और उमस बढ़ते ही बच्चों में मस्तिष्क ज्वर यानी एईएस का खतरा बढ़ गया है। इसे लेकर गुरुवार को समाहरणालय परिसर स्थित बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर सभागार में समीक्षा बैठक हुई। बैठक की अध्यक्षता अपर समाहर्ता विधि व्यवस्था राकेश रंजन ने की। जिलाधिकारी राजीव रौशन के निर्देश पर जिला स्तरीय पदाधिकारी और चिकित्सा पदाधिकारी इसमें शामिल हुए।

अपर समाहर्ता ने कहा कि बीमारी से बचाव के लिए हर स्तर पर तैयारी हो। सभी सीडीपीओ अपने-अपने प्रखंड में आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं को प्रशिक्षण दें। डीपीएम जीविका के समन्वयक स्वयं सहायता समूहों को प्रशिक्षित करेंगे। ये समूह गांवों में मस्तिष्क ज्वर, जापानी इंसेफेलाइटिस, दिमागी बुखार और चमकी बुखार से बचाव के लिए लोगों को जागरूक करेंगे।
उन्होंने डेडीकेटेड कंट्रोल रूम बनाने और जागरूकता रथ चलाने का निर्देश दिया। मुजफ्फरपुर से सटे जाले और सिंहवाड़ा प्रखंड में स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट मोड में रहने को कहा गया। आम लोगों से अपील की गई कि रात में बच्चों को भरपेट खाना और मीठा जरूर खिलाएं। सुबह 9 से 10 बजे के बाद छोटे बच्चों को बाहर न निकलने दें। अधिक से अधिक पानी पिलाएं ताकि शरीर में पानी की कमी न हो।
आंगनबाड़ी केंद्रों और स्कूलों में ओआरएस की उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया। उप निदेशक सत्येंद्र प्रसाद ने जागरूकता के लिए अहम सुझाव दिए। ‘चमकी को धमकी’ अभियान के तहत तीन बातें बताई गईं।
पहली धमकी (खिलाओ): रात में भरपेट खाना और मीठा दें।
दूसरी धमकी (जगाओ): रात में और सुबह उठते ही देखें कि बच्चा बेहोश या चमकी में तो नहीं।
तीसरी धमकी (अस्पताल ले जाओ): लक्षण दिखते ही आशा को सूचित कर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाएं।
मस्तिष्क ज्वर के लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, अर्द्ध चेतना, भ्रम, बेहोशी, शरीर में चमकी, अंगों में थरथराहट, लकवा, मानसिक असंतुलन शामिल हैं। इन लक्षणों पर तुरंत आशा या एएनएम से संपर्क कर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में इलाज कराएं।
सिविल सर्जन डॉ. अरुण कुमार ने बताया कि बच्चों को तेज धूप से बचाएं। दिन में दो बार स्नान कराएं। ओआरएस या नींबू-पानी-चीनी का घोल पिलाएं। रात में भरपेट खाना दें। तेज बुखार होने पर ताजे पानी से शरीर पोछें, पंखा चलाएं। डॉक्टर की सलाह पर पैरासिटामोल दें। बेहोशी की स्थिति में छायादार जगह पर लिटाएं। चमकी आने पर बच्चे को करवट में लिटाएं, कपड़े हटा दें, गर्दन सीधी रखें। मुंह से लार या झाग निकले तो साफ करें। तेज रोशनी से बचाने के लिए आंखों को ढंकें।
क्या न करें:
बच्चे को गर्म कपड़ों में न लपेटें। नाक बंद न करें। बेहोशी में कुछ भी न खिलाएं। गर्दन झुकी न हो। ओझा-गुनी के पास समय न गंवाएं। मरीज के पास शोर न करें, शांत वातावरण रखें।
बैठक में बताया गया कि सभी पीएचसी में 104 आपातकालीन नंबर प्रदर्शित हैं। 102 एम्बुलेंस सेवा चालू है। एईएस/जेई के लिए संशोधित एसओपी 2024 सभी पीएचसी पर उपलब्ध है। सभी पीएचसी/सीएचसी में दो अलग बेड, रेफरल अस्पताल और एसडीएच बेनीपुर में चार बेड की व्यवस्था है। जरूरी दवाएं और उपकरण एसओपी के अनुसार उपलब्ध हैं। मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना के तहत 94 वाहन टैग किए गए हैं। सभी पीएचसी/सीएचसी में नियंत्रण कक्ष बनाए गए हैं।
एईएस/जेई के लिए 28 प्रकार की दवाएं, 14 प्रकार के उपकरण, डॉक्टरों और कर्मचारियों का प्रशिक्षण, आईईसी वितरण, एम्बुलेंस, वाहन टैगिंग, नियंत्रण कक्ष, आरबीएसके वैन से माइकिंग और जेई टीकाकरण की व्यवस्था की गई है।
बैठक में सिविल सर्जन डॉ. अरुण कुमार, उप निदेशक जन संपर्क सत्येंद्र प्रसाद, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी अमरेंद्र कुमार मिश्रा, डीपीओ आईसीडीएस चांदनी सिंह, डीपीएम हेल्थ शैलेश चंद्र सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।

