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वैदिक शिक्षा से ही देश का सर्वांगीण विकास संभव: डॉ. अनिल कुमार सिंह

भगवानपुर हाट(सीवान)सुघरी गांव स्थित राजेंद्र किशोरी बीएड कॉलेज में शुक्रवार को एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार हुआ। यह आयोजन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत भारतीय ज्ञान परंपरा को बढ़ावा देने, नैतिक मूल्यों की स्थापना और छात्रों के समग्र विकास के उद्देश्य से किया गया। विद्वानों ने वैदिक शिक्षा के पुनर्विचार पर मंथन किया। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई। इसके बाद कॉलेज अध्यक्ष अरुण कुमार सिंह ने अतिथियों को अंगवस्त्र, बुके और मोमेंटो देकर सम्मानित किया।

जेपीयू के पूर्व संकायाध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार सिंह ने कहा कि देश जिस दिशा में जा रहा है, उससे बचने का एकमात्र उपाय वैदिक शिक्षा की ओर लौटना है। इससे समाज का भला होगा। उन्होंने कहा कि वैदिक शिक्षा में ही देश का सर्वांगीण विकास समाहित है।

मुख्य वक्ता बीएचयू के डॉ. आकाश आनंद ने कहा कि महात्मा गांधी ने बुनियादी शिक्षा पर जोर दिया था, जिसमें छात्रों को शिक्षा के साथ कार्य क्षेत्र में भी प्रशिक्षित किया जाता था। उन्होंने कहा कि वेद को भुलाने की जरूरत नहीं, बल्कि उसे पढ़कर विकास करने की आवश्यकता है। वेद पढ़ने के लिए किसी जाति या संप्रदाय का बंधन नहीं है। इसमें सभी के सर्वांगीण विकास की बात समाहित है। उन्होंने कहा कि हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई कोई धर्म नहीं, बल्कि जीने की पद्धति है। वेद प्रकृति ज्ञान का खजाना है। प्रशिक्षु छात्रों से उन्होंने कहा कि पहले वेद को पढ़ें, जानें, फिर उसे मानें।

डॉ. मोहिनी कुमारी ने कहा कि समाज में आई विकृतियों का समाधान वेदों में है। डॉ. मृगेंद्र कुमार ने कहा कि वैदिक शिक्षा में सभी समस्याओं का निदान है, जिसे पुनः अंगीकृत करने की जरूरत है। कार्यक्रम के अंत में प्राचार्य डॉ. त्रियुगी नारायण ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस मौके पर बीएड अंतिम और प्रथम वर्ष के प्रशिक्षु छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।