किशनगंज(बिहार)मंगलवार को जिले के सभी प्रखंडों में अन्नप्राशन कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस दौरान जिले के सभी सेविकाओं ने अपने-अपने पोषक क्षेत्र के छः माह की उम्र पार करने वाले बच्चों को अन्नप्राशन कराया।साथ हीं बच्चे की माँ को बच्चे के स्वस्थ शरीर निर्माण को लेकर अन्नप्राशन के महत्व की विस्तार से जानकारी दी। ताकि बच्चे के स्वस्थ शरीर का निर्माण हो सके। इधर,आईसीडीएस, एनएनएम के जिला समन्वयक मंजूर आलम, जिला कार्यक्रम सहायक पूजा रामदास संबंधित क्षेत्र के महिला पर्यवेक्षिका (एलएस) के साथ विभिन्न केंद्रों की मॉनिटरिंग की और सेविका को आवश्यक निर्देश दिये ।
अन्नप्राशन के साथ दो वर्षों तक स्तनपान भी जरूरी :
जिला समन्वयक मंजूर आलम ने बताया कि इस दौरान मौजूद बच्चों की माँ को बच्चे के स्वस्थ शरीर निर्माण को लेकर आवश्यक जानकारियाँ दी गई। जिसमें बताया कि बच्चों को अन्नप्राशन के साथ कम से कम दो वर्षों तक स्तनपान भी कराएँ और छः माह तक सिर्फ स्तनपान ही कराएँ । तभी बच्चे के स्वस्थ शरीर का निर्माण हो पाएगा। इसके अलावा 6 माह से ऊपर के बच्चों के अभिभावकों को बच्चों के लिए पूरक आहार की जरूरत के विषय में जानकारी दी गयी। 6 माह से 9 माह के शिशु को दिन भर में 200 ग्राम सुपाच्य मसला हुआ खाना, 9 से 12 माह में 300 ग्राम मसला हुआ ठोस खाना, 12 से 24 माह में 500 ग्राम तक खाना खिलाने की सलाह दी गयी। इसके अलावा अभिभावकों को बच्चों के दैनिक आहार में हरी पत्तीदार सब्जी और पीले नारंगी फल को शामिल करने की बात बताई गयी। चावल, रोटी, दाल, हरी सब्जी, अंडा एवं अन्य खाद्य पदार्थों के पोषक तत्वों के विषय में चर्चा कर अभिभावकों को इसके विषय में जागरूक किया गया।
पौष्टिक आहार की महत्ता की दी गई जानकारी :
आईसीडीएस, राष्ट्रीय पोषण अभियान की जिला कार्यक्रम सहायक पूजा रामदास ने कोचाधामन प्रखंड के विभिन्न केंद्रों की मॉनिटरिंग के क्रम में बताया कि शिशु के जन्म के एक घंटे के भीतर मां का गाढ़ा-पीला दूध बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। अगले छह माह तक केवल मां का दूध बच्चे को कई गंभीर रोगों से सुरक्षित रखता है। 6 माह के बाद बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास काफी तेजी से होता है। इस दौरान स्तनपान के साथ ऊपरी आहार की काफी जरूरत होती है। घर का बना मसला व गाढ़ा भोजन ऊपरी आहार की शुरुआत के लिए जरूरी होता है। वहीं कहा कि सामान्य प्रसव के लिए गर्भधारण होने के साथ ही महिलाओं को चिकित्सकों से जाँच करानी चाहिए और चिकित्सा परामर्श का पालन करना चाहिए। साथ ही अन्नप्राशन के दिन बच्चों को गाढ़ी दाल, अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियां, स्थानीय मौसमी फल और दूध व दूध से बने उत्पाद खिलाया जाता है।तरल व पानी वाला भोजन जैसे दाल का पानी या मांड आदि न देकर उतना ही अर्धठोस आहार दिया जाता है, जितना बच्चे खा सकें। धीरे-धीरे भोजन की मात्रा, भोजन का गाढ़ापन बढ़ाये जाने की सलाह दी जाती है।
स्वच्छता एवं साफ-सफाई पर दिया गया बल:
साफ पानी एवं ताजा भोजन संक्रामक रोगों से बचाव करता है। शौच जाने से पहले एवं बाद में तथा खाना खाने से पूर्व एवं बाद में साबुन से हाथ धोना चाहिए। घर में तथा घर के आस-पास सफाई रखनी चाहिए। इससे कई रोगों से बचा जा सकता है। बच्चे के परिजनों को हाथ धोने के तरीके बताए। साथ ही इस कोरोना काल में मास्क और ग्लब्स पहनने को लेकर भी जागरूक किया। लोगों को घर से कम निकलने की सलाह दी। साथ ही शारीरिक दूरी बनाए रखने की भी अपील की।
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