पूर्णिया(बिहार)राज्य में मातृ मृत्यु दर में कमी लाने को लेकर गर्भवती महिलाओं की प्रसवपूर्व (एएनसी) एवं प्रसव के बाद (पीएनसी) जांच कराई जाती है। कोरोना संक्रमण काल के बीच महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत ज़िला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल से लेकर ज़िले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व जांच कराई जाती है। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान कार्यक्रम का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण प्रसवपूर्व जांच की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सेवा मुहैया करनी है। इससे सभी गर्भवती महिलाओं को प्रसव से पूर्व व प्रसव के बाद संभावित जटिलता का पता चल जाता है। जिससे प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं में काफी कमी आ जाती और इससे होनेवाली मातृ व शिशु मृत्यु दर में भी कमी आती है।
ज़िला एड्स नियंत्रण इकाई एवं ज़िला स्वास्थ्य समिति के संयुक्त तत्वावधान में समीक्षा बैठक का आयोजन:
सदर अस्पताल स्थित एएनएम स्कूल में सभागार में सिविल सर्जन डॉ उमेश शर्मा की अध्यक्षता में ज़िला एड्स नियंत्रण इकाई एवं ज़िला स्वास्थ्य समिति के संयुक्त तत्वावधान में समीक्षा बैठक हुई। जिसमें डीआईओ डॉ सुभाष चंद्र पासवान, नोडल पदाधिकारी सह ज़िला स्वास्थ्य समिति के कार्यक्रम प्रबंधक ब्रजेश कुमार सिंह, क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधन इकाई के आरपीएम नजमुल होदा, अहाना टीम के कार्यक्रम पदाधिकारी रवि शंकर, फ़ील्ड पदाधिकारी गौतम कुमार, डीआईएस बीएन प्रसाद एवं यूनिसेफ के प्रमंडलीय कंसल्टेंट शिव शेखर आनंद के अलावा कई अन्य स्वास्थ्य कर्मी मौजूद थे।
पूर्व की जगह पर एलटी की पुनः की जाएगी पदस्थापना:
सिविल सर्जन डॉ उमेश शर्मा ने बताया कि कोविड-19 संक्रमण काल के दौरान सभी लैब टेक्नीशियन को जांच के लिए लगाया गया था, लेकिन अब अलग से कोविड-19 के लिए लैब टेक्नीशियन की प्रतिनियुक्ति स्वास्थ्य विभाग के द्वारा करा दी गयी है। ज़िले के सभी लैब टेक्नीशियन को दिशा-निर्देश दिया गया है कि यथाशीघ्र अपने-अपने पूर्व की जगह पर पुनः कार्य प्रभार लेते हुए जांच के कार्यो का निबटारा कर निर्धारित लक्ष्य को पाने में विभाग का सहयोग करें। एएनएम के द्वारा एड्स जांच किट को थर्मस में रख कर प्रत्येक बुधवार व शुक्रवार को आंगनबाड़ी केंद्रों पर एड्स की जांच कराई जाती है। अगर पहली बार की जांच में कोई गर्भवती महिला एड्स से संक्रमित पाई जाती है तो उसे पुनः दो जांच नज़दीक के अस्पताल में करानी पड़ती है। उसके बाद ही उस महिला को एआरटी से जोड़ते हुए दवा चलाया जाता है। जिससे कि प्रसव बाद नवजात शिशु पूरी तरह से सुरक्षित रह सके।
मार्च21 तक 85 प्रतिशत एएनसी का रखा गया है लक्ष्य:
आरपीएम नजमुल होदा ने बताया कि बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति के द्वारा वर्ष 2021 के मार्च तक 75 प्रतिशत लक्ष्य का निर्धारण किया गया है। जिसमें नए संक्रमण की दर को शून्य स्तर तक लाने की दिशा में सभी गर्भवती महिलाओं की प्रसवपूर्व जांच ( एएनसी ) के अंतर्गत एचआइवी तथा सिफलिस जांच अतिअनिवार्य की गयी है। एड्स से संक्रमित गर्भवती महिलाओं को समय रहते रोकथाम के लिए जरूरी दवा एवं संस्थागत प्रसव के बाद नवजात शिशुओं के वजन के अनुसार संक्रमण की रोकथाम की दवा देने के साथ ही अर्ली इंफैंड डायग्नोसिस सेवा से जोड़ा जाता है। इंटीग्रेटेड काउंसलिग एंड टेस्टिग सेंटर द्वारा नवजात शिशुओं में प्रत्येक 6 सप्ताह, 6 माह, 12 माह और 18 माह तक रक्त की खासतौर पर जांच की जाती है। एचआइवी संक्रमित माता-पिता से उनके बच्चों में एचआइवी का संक्रमण रोकने के लिए गर्भावस्था, प्रसव तथा प्रसव के बाद 18 माह तक स्वास्थ्य विभाग के द्वारा परामर्श एवं परीक्षण से संबंधित सेवायें उपलब्ध कराई जाती हैं।
ज़िला एड्स नियंत्रण समिति के द्वारा किया जा रहा हरसंभव प्रयास:
बैठक में यह बताया गया कि सदर अस्पताल परिसर स्थित प्रसव केंद्र, अनुमंडलीय अस्पताल, रेफरल स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, शहरी स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, उप स्वास्थ्य केंद्र एवं वीएचएसएनडी स्तर पर गर्भवती महिलाओं का प्रसव पूर्व जांच के दौरान एचआइवी तथा सिफलिस जांच के लिए ज़िला एड्स नियंत्रण इकाई एवं ज़िला स्वास्थ्य समिति के द्वारा हरसंभव प्रयास किया जा रहा है।
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