पूर्णियाँ(बिहार)गर्भवती महिलाओं और शिशुओं के अच्छे स्वास्थ्य के लिए समेकित बाल विकास परियोजना (आईसीडीएस) द्वारा सप्ताह में दो दिन ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस जिसे आरोग्य दिवस भी कहते हैं, इसका आयोजन किया जाता है. इस दौरान आंगनवाड़ी केन्द्रों पर एएनएम द्वारा क्षेत्र के सभी महिलाओं और शिशुओं का टीकाकरण किया जाता है। बुधवार को भी आरोग्य दिवस का आयोजन किया गया, जिसमें टीकाकरण के साथ महिलाओं को पोषण और परिवार नियोजन के स्थायी व अस्थायी तरीकों की भी जानकारी दी गई।
बच्चों का कराया गया टीकाकरण :
आरोग्य दिवस के अवसर पर एएनएम द्वारा क्षेत्र के सभी बच्चों का टीकाकरण किया गया. इस दौरान उपस्थित लोगों को टीकाकरण से होने वाले फायदों की जानकारी दी गई. एएनएम सिंकू कुमारी ने बताया बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए नियमित टीकाकरण बहुत ही जरूरी होता है. टीकाकरण 12 तरह की गंभीर रोगों शिशुओं की रक्षा करता है. इसमें पोलियो, हेपेटाइटिस, टीवी, टेटनस, काली खांसी, डायरिया, डिप्थीरिया, खसरा, रोटा वायरस, हिमोफिलस इन्फ्लूएंजा, रुबैला, व जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) शामिल हैं. इन सब बीमारियों से निपटने के लिए अपने बच्चों को टीकाकरण जरूर कराएं।
लोगों को दी गई परिवार नियोजन की जानकारी :
आरोग्य दिवस के दौरान महिलाओं को परिवार नियोजन की भी जानकारी दी गई. आंगनवाड़ी सेविका नीतू देवी ने बताया परिवार नियोजन के दो तरह से हो सकते हैं – स्थायी और अस्थायी. स्थायी साधनों के रूप में महिला बाध्यकरण के अलावा पुरूष नसबंदी भी बेहतर विकल्प है. इससे व्यक्ति के पौरुषता पर कोई फर्क नहीं होता. अस्पतालों में पुरूष नसबंदी कराना भी ज्यादा आसान होता है और कुछ देर में ही पुरुषों को अस्पताल से छुट्टी भी मिल जाती है. पुरूष नसबंदी कराने पर सरकार द्वारा प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है. इसके अलावा अस्थायी साधनों के रूप में महिलाएं इजी पिल्स, छाया, अंतरा, माला-एन इत्यादि का उपयोग कर सकती है जबकि पुरुषों के लिए कंडोम बेहतर विकल्प है।
जनसंख्या स्थिरीकरण को दें बढ़ावा :
आरोग्य दिवस में लोगों को जनसंख्या स्थिरीकरण को बढ़ावा देने के लिए भी जोर दिया गया. आरोग्य दिवस का निरीक्षण करते हुए पूर्णियाँ शहरी क्षेत्र की महिला पर्यवेक्षिका मनीषा कुमारी ने कहा छोटा परिवार ज्यादा सुखी परिवार हो सकता है. इसलिए हर दंपत्ति को दो से ज्यादा बच्चे से परहेज करना चाहिए. इसके अलावा दो बच्चों के जन्म के बीच कम से कम 2 साल का अंतराल भी होना जरूरी है. इससे महिला का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और बच्चों का पोषण की सुचारू रूप से होता है.
कोरोना मानकों का रखा गया ध्यान :
आरोग्य दिवस के दौरान कोरोना मानकों का पूरा ध्यान रखा गया. उपस्थित सभी लोग मास्क का इस्तेमाल करने के साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान रख रहे थे. इसके अलावा उपस्थित सेविका, एएनएम द्वारा भी क्षेत्र के लोगों को कोरोना संकरण से निकलने के लिए सरकार द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों का ध्यान रखने की सलाह दी गई.
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