कार्यक्रम के दौरान उचित पोषण का महत्व, नवजात को स्तनपान कराने के फायदों की दी गयी जानकारी
संक्रमण को ध्यान में रखकर हुआ कार्यक्रम, बचाव संबंधी उपायों के प्रति महिलाओं को किया जागरूक
अररिया(बिहार)जिले में सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर सोमवार को गोदभराई कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस क्रम में पोषक क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य, जरूरी पोषण, नियमित चिकित्सकीय जांच, परिवार नियोजन के उपाय सहित गर्भावस्था के दौरान कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करायी गयी। कोरोना गाइड लाइन के अनुरूप आयोजित इस मासिक कार्यक्रम के दौरान क्षेत्र की सीडीपीओ, महिला पर्यवेक्षिकाओं ने विभिन्न केंद्रों का मुआयना किया। साथ ही कार्यक्रम के सफल संचालन में अपना महत्वूपर्ण सहयोग दिया। कई केंद्रों पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान स्थानीय धार्मिक नेता भी शरीक हुए। इस क्रम में अररिया प्रखंड के मोहनपुर पश्चिम के आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 69 व 70 पर पिरामल स्वास्थ्य की बीटीओ रेणु कुमारी की अगुआई में पार्वती देवी, मौलवी अब्दुल रहीम, सीएचसी संजय कुमार सहित अन्य कार्यँक्रम में शरीक हुए।
उचित पोषण के महत्व से कराया गया अवगत:
गोदभराई कार्यक्रम के दौरान गर्भवती महलिाओं को नियमित चिकित्सकीय जांच, गर्भधारण से लेकर बच्चे के जन्म व उसके बाद बरती जाने वाली सावधानी, गर्भावस्था के दौरान उचित पोषण के महत्व की जानकारी, पोषक क्षेत्र की महिलाओं को दी गयी। जानकारी देते हुए पिरामल की बीटीओ रेणु कुमारी ने कहा कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को उचित व संतुलित आहार लेना मां व बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य के जरूरी है। गर्भवस्था के अंतिम चरण में अधिक पोषक तत्वों की जरूरत होती है। इसलिये दैनिक आहार में प्रोटीन, विटामीन, कार्बोहाइड्रेट व वसा का होना जरूरी है। ताजे फल, दूध, अंडा, हरी सब्जी पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने में बेहद मददगार है।
नवजात के बेहतर स्वास्थ्य संबंधी जानकारी दी गई: डीपीओं
कार्यक्रम के महत्व के विषय में आईसीडीएस डीपीओ सीमा रहमान ने बताया कि गोदभराई कार्यक्रम के दौरान महिलाओं को होने वाले शिशु के बेहतर स्वास्थ्य संबंधी जानकारी दी जाती है। उन्हें उचित आहार, नियमित स्वास्थ्य जांच सहित इस दौरान बरती जाने वाली महत्वपूर्ण सावधानियों के प्रति सचेत किया जाता है। ताकि बच्चों के जन्म के दौरान होने वाली जटिलताओं को कम किया जा सके। डीपीओ ने बताया कि नवजात के लिये मां का पहला गाढ़ा पीला दूध काफी महत्वपूर्ण होता है। शिशु के जन्म से अगले 6 माह तक स्तनपान कराने से दस्त व निमोनिया से जुड़े खतरे कम होते हैं। 6 माह के बाद बच्चों को ऊपरी आहार की जरूरत होती है। बढ़ते उम्र के साथ बच्चों को स्तनपान के साथ अर्द्ध ठोस पौष्टिक आहर उपलब्ध कराना बच्चों के सर्वांगीण विकास में सहायक होता है।
संक्रमण से बचाव संबंधी उपायों के प्रति किया जागरूक: सेविका
सेविका पार्वती देवी व बीवी तबस्सुम ने बताया कि कार्यक्रम के दौरान कोरोना संक्रमण से बचाव संबंधी उपायों के प्रति क्षेत्र की महिलाओं को जागरूक किया गया। उन्हें स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी कोरोना गाइडलाइन की जानकारी दी गयी। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम के दौरान संक्रमण से बचाव संबंधी उपायों का शत प्रतिशत अनुपालन किया गया।
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