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बदमाश इतिहासकर व साहित्यकारों ने आजादी के प्रथम लड़ाई “नोनिया विद्रोह”को उचित स्थान नहीं दिया:कृष्ण कुमार भारती

महात्मा गांधी को विश्व विख्यात बनाने वाला समाज है नोनिया:
बनियापुर(सारण)अपने अतित को वर्तमान से जोड़कर अपने भविष्य को सुरक्षित रखने तथा अपने पूर्वजों की कुर्बानियों के नींव पर एक यादगार महल बनाने तथा आजाद भारत में अपने वाजीब हक – हकूक की लड़ाई को शक्तिशाली बनाने की जज्बे को संजोने के लिए आजादी के अमृत महोत्सव के वर्ष में किसी काल खंड में देश ही नहीं दुनियां को अपना नमक खिलाने वाला एवं देश की आजादी में अग्रणीय शहादते देने वाला और महात्मा गांधी के विश्व विख्यात नमक सत्याग्रह आंदोलन का मुख्य पात्र रहा मजदूर नोनिया समाज के सामाजिक बुद्धिजिवियों तथा राष्ट्रीय व प्रांतिय नेताओ द्वारा विश्व मजदूर दिवस के अवसर पर देश की आजादी में अपने प्राणों की आहुति देने वाले भूले बिसरे अमर शहीद बांका नोनिया और परमेश्वर महतो के शहादत के सम्मान में प्रखंड के सरेया में पूर्व मुखिया श्रवण महतो के आवास पर कार्यक्रम आयोजित कर उन्हें नमन किया गया।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कृष्ण कुमार भारती दिल्ली से थे । कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व मुखिया श्रवण कुमार महतो ने की।कार्यक्रम में सारण प्रमंडल के विभिन्न प्रखंड के लोग शामिल हुए। मुख्य अतिथि सह राष्ट्रीय नोनिया महासंघ के संस्थापक एवं महासचिव कृष्ण कुमार भारती ने संबोधित करते हुए कहा की 1770 से लेकर 1800 ईसवी में गुलाम भारत के बंगाल प्रेसिडेंसी से अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ नोनिया विद्रोह हुआ था।भारत में किसी जाति विशेष द्वारा ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ़ यह पहला विद्रोह हैं।

शहीदों के चित्र पर पुष्प अर्पित करते कृष्ण कुमार भारती व अन्य

महात्मा गांधी को विश्व विख्यात बनाने वाला समाज है नोनिया
महात्मा गांधी के दक्षिण अफ्रीका से भारत आने के बाद सत्याग्रह का पहला प्रयोग 1917 ईसवी में चंपारण के नीलहा आंदोलन में महत्पूर्ण भुमिका निभाने वाले तथा गांधी के सन् 1930 के ऐतिहासिक एवं विश्व विख्यात और दुनिया के दूसरे सबसे बड़े आंदोलन की खिताब से नवाजित नमक आंदोलन का मुख्य पात्र रहा गरीब मजदूर नोनिया नमक सत्याग्रहियों के वंशज देश के आज़ादी के 75 वर्ष बाद भी गरीबी और बदहाली में गांवों और शहरों में मजदूरी कर अपना जीवन बसर कर रहें है।

परंतु नोनिया समाज का इतिहास अति प्राचीन और गौरवशाली रहा हैं।देश के स्वतंत्रता आंदोलन में नोनिया समाज के बहुत से लोगों ने अपनी शहादते दी है और आज़ाद भारत के विकास व निर्माण में योगदान के दृष्टि से यह समाज सबसे आगे रहा है। यह और बात है की देश के बादमाश इतिहासकार और साहित्यकारों ने जान बुझ कर इन्हें उचित स्थान नहीं दिया है।

नमक सत्याग्रहियों के वंशज है नोनिया समाज:
नोनिया जाति ने देश की आजादी के लिए लड़ रही कांग्रेस के साथ मिलकर नमक आंदोलन के दौरान इसके दिग्गज नेताओं पं.जवाहर लाल नेहरू, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, बिहार केसरी डॉ. श्रीकृष्ण सिंह आदि के साथ मिलकर मिट्टी से नमक बना नमक कानून तोड़ा था और एक ऐसा आंदोलन किया था जिस आंदोलन ने भारत में पहली बार देश की आज़ादी की लड़ाई को नैतिक एवं भौनात्मक बल प्रदान करके संपूर्ण भारत में सफलता का प्रचम लहराया था।

एम के गांधी के अनुसार नमक आंदोलन देश की आज़ादी में मिल का पत्थर साबित हुआ परंतु इस आंदोलन के मुख्य क़िरदार नोनिया नमक सत्याग्रहियों के वंशज इस देश में गरीबी,मजदूरी,भूख मरी,अशिक्षा और आज़ाद भारत के 75 वर्षों से सरकारों द्वारा बरती जा रही घोर सामाजिक,आर्थिक, शैक्षणिक और राजनितिक उपेक्षा के शिकार हैं। श्री भारती ने कहा कि नोनिया समाज जंगें आजादी में सबसे ज्यादा शहादत देने वाला समाज रहा है और अपने बहुत से शहीदों का नाम घटनावार उल्लेखित किया ।

कार्यक्रम के अध्यक्ष पूर्व मुखिया श्रवण कुमार महतो ने अपने संबोधन के दौरान कहा की विदित हो की भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के एक विष्मृत किरदार नमक सत्याग्रह आंदोलन का मुख्य सूत्र धार नोनिया समुदाय गुलाम भारत की अंग्रेजी हुकूमत द्वारा प्रताड़ित, उजारित और आजाद भारत की सरकारों द्वारा अब तक घोर उपेक्षा और चौतरफा घोर अन्याय का शिकार हैं ।

देश की आज़ादी के 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी आज देश की आज़ादी में अपना सब कुछ न्योछावर करने वाली नोनिया जाति की आर्थिक,समाजिक,शैक्षणिक और राजनैतिक अवस्था बद से बदतर हो गया है।हम आंदोलनकारी लोग 1930 के ढंडी मार्च और नमक आन्दोलन के सिपाही थे पर आज तक वंचित है। नोनिया विद्रोह और नमक आन्दोलन के दौरान अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाला नोनिया समाज वर्षो से लगातार संघर्ष और मांग करता आ रहा है की बिहार सरकार पहले नोनिया जाति को बिहार में राज्य स्तर पर ही अनुसूचित जनजाति एस टी को मिलने वाली सभी सुविधाएं लागू करे परंतु आज तक बिहार सरकार आनाकानी करती आ रही है और हमारे इस गरीब नोनिया समाज के मामले को भारत सरकार के संवैधानिक मकरजाल में लगातार दिल्ली भेजती रही हैं। बिहार सरकार यह मान चुकी है की खरिया और नोनिया एक ही है तो जब खरिया को सन् 1956 से ही बिहार के सभी जिलों में अनुसूचित जनजाति ST की सूचि में भारत सरकार सूचीबद्ध कर चुकी है तो बिहार सरकार नोनिया जाति को खरिया जाति मानने बाद भी आज तक उसे खरिया अनुसूचित जनजाति ST को मिलने वाली सभी सुविधाएं बिहार में पहले राज्य स्तर पर ही लागू करने से एक साजिश की तहत बचती रही है।

जो की नोनिया समाज के साथ बिहार सरकार की घोर नाइंसाफी हैं, जिससे यह नोनिया समाज अब बर्दास्त नहीं करेगा और इसके खिलाफ बिहार में सत्याग्रह और आन्दोलन चलाएगा। इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शिक्षक इन्द्रजीत महतो ने कहा की शिक्षा के कमी के कारण नोनिया समाज अपना हक नहीं ले पा रहा है उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि नोनिया समाज एक जूट होकर अपने शहिदों को याद करते हुए, अपने हक और अधिकार की लड़ाई को लड़े,साथ ही उन्होंने समाज से दहेज प्रथा को खत्म करने और नशा मुक्त समाज के निर्माण करने की बातें कही ।कार्यक्रम में शिक्षक रघुसरण प्रसाद,मोहन प्रसाद,नागमणि ने संबोधित किया।इस मौके पर रवि कुमार, संतोष चौहान, कविन्द्र प्रसाद,संतोष महतो,अजित प्रसाद, राजेंद्र महतो,धर्मेंद्र बैठा, मजिस्टर महतो,अनिल महतो,सुनील प्रसाद,मोहन महतो आदि हजारो लोग सामिल हुए।

Mani Brothers

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