लेखक:राजनंदनी सिंह
आइए जाने कैसे करें प्रबंधन ?
आम के बाग में मंजर आने से पूर्व दिसम्बर माह में बाग का प्रबंधन कैसे करें? यह एक महत्त्व पूर्ण प्रश्नं है। क्योकि अभी किया हुआ बाग का प्रबंधन ही निर्धारित करेगा की पेड़ पर कितने फल लगेंगे तथा उनकी गुणवक्ता कैसी होगी।आम की खेती की लाभप्रदता मुख्य रूप से समय पर बाग में किये जाने वाले विभिन्न कृषि कार्यो पर निर्भर करती है।एक भी कृषि कार्य या गतिविधि में देरी से किसान को भारी नुकसान का कारण बन सकता है और लाभहीन उद्यम हो कर रह जाएगा। इन सिफारिशों को अपनाने से निश्चित रूप से फल उत्पादकों को अपनी उत्पादों की उत्पादकता, गुणवत्ता के साथ-साथ शुद्ध रिटर्न में वृद्धि करने में मदद मिलेगी। उत्तर भारत में आम की खेती के लिए दिसंबर का महीना बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस समय का उचित प्रबंधन आने वाली फसल में अधिकतम पुष्पन (फूल आने) और उत्पादन सुनिश्चित करने में सहायक होता है। इस प्रक्रिया में जलवायु, पोषण, सिंचाई, कटाई छंटाई और रोग कीट प्रबंधन जैसे विभिन्न कारकों का ध्यान रखना आवश्यक है। नीचे विस्तृत प्रबंधन के उपाय दिए गए हैं …….
1.सिंचाई प्रबंधन
दिसंबर में आम के पेड़ों को आराम (स्ट्रेस) की स्थिति में रखना आवश्यक होता है। इसके लिए,सिंचाई पूरी तरह बंद कर दें, क्योंकि इससे पेड़ों में पुष्पन के लिए आवश्यक तनाव उत्पन्न होता है। अत्यधिक सिंचाई वानस्पतिक वृद्धि (पत्तियों का अधिक बढ़ना) को बढ़ावा देती है, जो पुष्पन को प्रभावित करती है।यदि मिट्टी में नमी अत्यधिक कम हो तो पेड़ से दूर आवश्यक मात्रा में हल्की सिंचाई करें।
दिसंबर के महीने में आम के बाग में कीट प्रबंधन कैसे करें?
कीटों जैसे बोरर और एफिड्स के प्रबंधन के लिए क्लोरपायरीफॉस @ 2 मिली/लीटर पानी का छिड़काव करें। दिसम्बर माह में बाग की बहुत हल्की जुताई करें और बाग से खरपतवार निकाल दें, जिससे मिज कीट, फल मक्खी, गुजिया कीट एव जाले वाले कीट की अवस्थाए नष्ट हो जाएँ। कुछ तो गुड़ाई करते समय ही मर जाती हैं, कुछ परजीवी एव परभक्षी कीड़ों या दूसरे जीवों का शिकार हो जाती हैं और कुछ जमीन से ऊपर आने पर अधिक सर्दी या ताप की वजह से मर जाती है।
पहले आम में मिली बग को कम महत्त्व का कीट समझा जाता था, लेकिन विगत कुछ वर्षो से यह कीट आम का एक महत्त्व कीट हो गया है। यदि इसका ससमय उचित प्रबंधन नही किया गया तो आम उत्पादक किसान को भारी नुकसान उठाना पड सकता है । इस महीने के अंत तक मिली बग के नियंत्रण के लिए आम के पेड़ की बैंडिंग की व्यवस्था करें, 25-30 सेमी की चौड़ाई वाली एक अल्केथेन शीट (400 गेज) को 30-40 सेमी की ऊंचाई पर पेड़ के तने के चारों ओर लपेटा जाना चाहिए। इस शीट को दोनों छोर पर बांधा जाना चाहिए और पेड़ पर चढ़ने के लिए मीली बग कीट को रोकने के लिए निचले सिरे पर ग्रीस लगाया जाना चाहिए। मिली बग कीट के नियंत्रण के लिए पेड़ के नीचे मिट्टी में कार्बोसल्फान @ 1 मिली प्रति 100 लीटर पानी) या क्लोरपायरीफॉस ग्रेन्यूल्स (250 ग्राम प्रति पेड़) का छिड़काव या बुरकाव करना चाहिए । फसल अवशेषों को हटा दिया जाना चाहिए और जला दिया जाना चाहिए। खेत को खरपतवार और मलबे से मुक्त होना चाहिए। फसल सुरक्षा के विभिन्न उत्पाद मीलीबग के खिलाफ सीमित प्रभावशीलता के होते हैं क्योंकि इसकी दरारें, और उसके शरीर को मोम द्वारा कवर करने की वजह मुख्य कारण है। इसलिए प्रणालीगत कीटनाशकों का उपयोग भारी संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। प्रोफोफोस 50 ईसी @ 2 मिलीलीटर प्रति लीटर (या) डिक्लोरवोस 76 ईसी 2 मिलीलीटर प्रति लीटर या क्लोरपीरिफोस 20 ईसी 2 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से कीट की उग्रता में कमी आती है। दिसम्बर माह में छाल खाने वाले और मुख्य तने में छेद ( ट्रंक बोरिंग) कीड़ों को नियंत्रित करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। पहले छेदों को पहचानें और उस क्षेत्र को साफ करें और इन छेदों में डाइक्लोरवोस या मोनोक्रोटोफॉस (1 मिली लीटर दवा प्रति 2 लीटर पानी) लगाएं। कीटनाशक डालने के बाद इन छिद्रों को वैक्स या गीली मिट्टी से बंद (प्लग) कर देना चाहिए। बौर निकलने के समय पुष्प मिज कीट का प्रकोप दिखते ही क्विनालफास (1 मि.ली. प्रति लीटर) या डामेथोएट (1.5 मि.ली. प्रति लीटर) पानी में घोल कर छिड़काव किया जाना चाहिए।
सारांश
दिसंबर का महीना आम के बागों के लिए सबसे महत्वपूर्ण चरणों में से एक है। उचित प्रबंधन से न केवल पुष्पन बढ़ाया जा सकता है, बल्कि अगले वर्ष की फसल की गुणवत्ता और मात्रा भी सुनिश्चित की जा सकती है। उपर्युक्त उपायों को अपनाकर किसान अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
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