रोहतक भारत को आज़ाद कराने में राष्ट्रीय आंदोलन का बहुत बड़ा योगदान रहा है और उस आंदोलन को सफल बनाने के लिए भगतसिंह सिंह, सुभाष चंद्र बोस, अशफाक उल्ला खान, शैफुद्दीन किचलू, और बालगंगाधर तिलक, जैसे लोगों ने कुर्बानी दी और डॉ भीमराव अम्बेडकर, सरदार पटेल और महात्मा गाँधी जैसे लोगों ने अपनी पूरी ज़िन्दगी देश को आजाद करने में लगा दी. इन सब लोगों के लिए आज़ादी केवल देश को अंग्रेजों से आज़ाद करना नहीं था, ये सभी देश कि जनता कि आज़ादी कि बात करते थे, भगतसिंह सिंह जिनका सपना देश को समाजवादी बनाने का था जो आज तक पूरा नहीं हो पाया, डॉ अम्बेडकर जो पूरी ज़िन्दगी दलितों और अल्पसंखयको के अधिकार की लड़ाई लड़ते रहें लेकिन देश का अलप्संख्यक और दलित समाज आज भी हासिये पर है, और महात्मा गाँधी जो एक लाठी और एक धोती में बकरी का दूध पीकर ग्राम स्वराज, हिन्दू मुस्लिम एकता, महिलाओं के अधिकार और देश के अंतिम व्यक्ति की आज़ादी का सपना लेकर लड़ते रहें. लेकिन आज हम सभी जानते हैं कि ग्रामीण भारत के हालत दिन प्रति दिन बदतर होते जा रहें हैं, हिन्दू मुस्लिम की एकता के मुद्दे हमारी राजनीति से गायब होते जा रहें हैं, और महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं.
अब सवाल यही है की हमने उनके सपनो के साथ क्या किया है देश कहां पर खड़ा है, देश का युवा बेरोजगारी की मार झेल रहा है, खुशहाल भारत का सपना देखने वाले शहीदो का देश आज विश्व में खुशहाली में 140 वी रैंक पर है, भर्ष्टाचार में हम 81 वी रैंक पर हैं, महिलाओं की सुरक्षा के मामले में हम 131 वीं रैंक पर हैं. यूरोप और पश्चिमी देशों की हमने नक़ल तो की लेकिन आज भी हम उनसे 100 साल पीछे हैं, देश की 75% आय पर कुछ 100 लोगों ने कब्ज़ा किया हुआ है और देश की 37% जनता 20 रुपय प्रतिदिन से काम पर गुजारा करने पर मजबूर है.सच पूछो तो हमने आजादी तो पायी लेकिन आज़ादी का लक्ष्य हासिल नहीं कर पाये.
लेखक -अनिल कुमार
छात्र :- राजनीतिक विभाग (लेख के सभी विचार लेखक का है)
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