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साइकिल: सेहत, सादगी और आत्मनिर्भरता का प्रतीक

पटना. हर साल 3 जून को विश्व साइकिल दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य साइकिल के महत्व और इसके लाभों के प्रति लोगों को जागरूक करना है। साइकिल सिर्फ एक सवारी नहीं, बल्कि यह सेहत, पर्यावरण और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।

साइकिल का इतिहास करीब 200 साल पुराना है। 1817 में जर्मनी के कार्ल वॉन ड्रेस ने पहली साइकिल बनाई थी। तब से अब तक साइकिल ने कई रूप बदले हैं। आज यह दुनिया भर में एक लोकप्रिय साधन बन चुकी है। भारत में हीरो, टीआई हरक्यूलिस, एटलस, नब्बे वन, रॉकस्टार, मोजो स्पिन, फ़ायरफ़ॉक्स और मोटरसाइकिल जैसी कई कंपनियां उच्च गुणवत्ता की साइकिल बनाती हैं।

साइकिल चलाना एक बेहतरीन व्यायाम है। इससे हृदय मजबूत होता है। मांसपेशियों की ताकत और लचीलापन बढ़ता है। यह पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है। इससे वायु और ध्वनि प्रदूषण कम होता है। जीवाश्म ईंधन की खपत घटती है। ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम होता है। यह सस्ता साधन है। ईंधन और रखरखाव का खर्च नहीं होता। ट्रैफिक की भीड़ कम होती है। यात्रा का समय घटता है। साइकिल चलाने से सामाजिक संपर्क भी बढ़ता है। यह सक्रिय जीवनशैली को बढ़ावा देती है।

लोगों को साइकिल चलाने के लिए प्रेरित करना जरूरी है। इससे सेहत और पर्यावरण दोनों को लाभ होता है। शहरों में साइकिल पथ बनाकर साइकिल चालकों की सुरक्षा और सुविधा बढ़ाई जा सकती है। जागरूकता कार्यक्रमों से लोगों को इसके फायदे बताए जा सकते हैं।

महात्मा गांधी साइकिल को आत्मनिर्भरता और समय की पाबंदी का प्रतीक मानते थे। एक बार उन्हें सभा में भाषण देने जाना था। आयोजक ने उन्हें साढ़े तीन बजे लेने का वादा किया था। आयोजक समय पर नहीं पहुंचे। गांधी जी खुद साइकिल से सभा स्थल पहुंचे और समय पर भाषण दिया। इससे उनके अनुशासन और सादगी का पता चलता है।

गांधी जी के अनुसार, साइकिल चलाना सिर्फ व्यायाम नहीं, बल्कि यह साधारण जीवन और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। वे साइकिल से समय पर पहुंचने का संदेश देते थे। वे दिखाते थे कि सादगी से भी जीवन जिया जा सकता है।

आज बाजार में हर उम्र के बच्चों के लिए साइकिल मिलती है। बच्चों को साइकिल उपहार में देनी चाहिए। उन्हें देखरेख में साइकिल चलाने देना चाहिए। साइकिल चलाने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस की जरूरत नहीं होती। पास के कामों के लिए साइकिल का ही उपयोग करें। इससे पेट्रोल नहीं जलेगा। धुआं और शोर नहीं होगा। साइकिल से गिरकर बड़ी दुर्घटनाएं नहीं होतीं।

तीन दशक पहले शादी में साइकिल देना गर्व की बात होती थी। हर दूल्हा रेडियो, घड़ी और साइकिल दहेज में लेने की इच्छा रखता था। साइकिल चलाना कई बीमारियों में फायदेमंद है। हृदय रोग, मधुमेह, मोटापा, मानसिक तनाव, पाचन, मांसपेशियों और हड्डियों की मजबूती, फेफड़ों की क्षमता और कैंसर के खतरे को कम करने में यह मददगार है। नियमित और मध्यम गति से साइकिल चलाने से शरीर को कई लाभ मिलते हैं।