पटना:बिहार कैडर के चर्चित आईपीएस में शुमार तेजतर्रार पुलिस अधिकारी शिवदीप लांडे अपने जीवन रहस्य को लोगों से साझा किया है।उन्होंने बताया की कभी अपने पिता की हत्या करना चाहते थे। इस बात का खुलासा खुद उन्होंने किया है। दरअसल, डीआईजी शिवदीप लांडे ने अपनी जीवनी पर एक किताब लिखी है। इसे नाम दिया है ‘वुमन बिहाइंड द लायन’। राजधानी पटना में रविवार को उन्होंने अपनी बुक लॉन्च की और इस दौरान जीवन के कई अनसुने किस्सों को साझा किया। शिवदीप लांडे ने महाराष्ट्र कैडर में रहने के बाद कोरोना काल में इस किताब को लिखा।
रविवार को पटना के होटल चाणक्य में शिवदीप लांडे ने अपने द्वारा लिखी गई पुस्तक का विमोचन किया। लांडे ने इस पुस्तक में अपने जीवन, जीवन के अच्छे-बुरे अनुभव, संघर्ष में अपने मां का योगदान सबकुछ साझा किया है। लांडे ने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर महाराष्ट्र कैडर में रहने के दौरान कोरोना काल में एक साल में यह किताब लिखी है। यह किताब बिहार, झारखंड और यूपी के बुक स्टॉल पर उपलब्ध रहेगा।
लांडे ने बताया कि इस किताब में मैंने अपने जीवन को हुबहू उतारा है। यह किताब यूथ के लिए काफी प्रेरणा देने वाली होगी। लांडे ने कहा कि बचपन में काफी कष्ट सहने के बाद मेरी मां ने मुझे बहुत समझा-बुझाकर पढ़ाया है। उन्होंने अपनी बुक अपनी मां को समर्पित की।अपने पिता की हत्या करना चाहते थे लांथे।
2006 में भारतीय पुलिस सेवा में चयनित शिवदीप लांडे ने बताया कि जब कक्षा वन में पढ़ते थे, तब दूसरे के पेरेंट्स स्कूल आते थे। उस समय काफी बुरा लगता था। मैं सोचता था, काश मेरा भी ऐसा ही एक परिवार होता। होश संभालने के बाद ऐसा लगता था कि उनके पिता उनकी मां के जीवन में राक्षस की तरह हैं। पिता से संबंध अच्छे नहीं थे। पिता रोज-रोज घर में लड़ाई करते थे। मारपीट करना इनका रोज का काम था।
गुस्से में घर में रखे कपड़ों को जला देते थे। घर का माहौल कभी अच्छा नहीं रहता था, मेरे पिता की वजह से। इसलिए लांडे चाहते थे कि अपने पिता की हत्या कर कहीं भाग जाएं। ताकि उनकी मां को कोई परेशान ना करे। लेकिन उनकी मां हमेशा कहती थी, सब ठीक हो जाएगा।
मां की सलाह मानी इसलिए आज यहां हूं- लांडे
शिवदीप लांडे ने बताया कि इस पुस्तक में उन्होंने अपनी जीवनी, संघर्षों और इस मुकाम पर पहुंचाने वाले शख्सियत के बारे में लिखा है। कहा कि मेरी मां की मेरे जीवन में अहम भूमिका रही है। मैंने अपनी मां की सलाह मानी और आज लोगों की सेवा का मौका मिला है।
उन्होंने बताया कि मैं अपनी मां को बहुत कुछ नहीं दे सकता, पर यह पुस्तक मां को समर्पित कर रहा हूं। हर सफल व्यक्तित्व के पीछे किसी का हाथ होता है। मेरे पीछे मेरी मां का हाथ है। यह किताब शिवदीप लांडे के पूरे जीवन का आइना है। अपने बचपन, अपनी गरीबी, अपने छात्र जीवन में उन्होंने किस तरह से संघर्ष किया यह सब कुछ इस किताब में है।
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