Caste census will bring unity among people Prof. Virendra Narayan Yadav
सारण बिहार
देश में किसान आंदोलन के बाद सबसे बड़ा आंदोलन जातीय जनगणना को लेकर चल रहा है। इस आंदोलन में बिहार बहुत ही सक्रिय व सशक्त रूप से अपनी भूमिका का निर्वाह कर रहा है। जिस समय बिहार के सत्तापक्ष तथा विपक्ष के लगभग सभी राजनीतिक दलों के नेताओं का प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में प्रधनमंत्री नरेन्द्र मोदी से जातीय जनगणना कराने सम्बंधित बातचीत कर रहा था उसी समय सारण की धरती पर स्थानीय नेता तथा बुद्धिजीवी गण ‘भारत में जातीय जनगणना : एक विमर्श’ विषय पर संगोष्ठी कर रहे थे। उक्त संगोष्ठी का आयोजन छपरा शहर के हृदय स्थल में स्थित लक्ष्मी नारायण यादव अध्ययन केंद्र के संचालन समिति द्वारा किया गया। बिहार विधानपरिषद सदस्य प्रो. वीरेन्द्र नारायण यादव की अध्यक्षता में आयोजित संगोष्ठी के मुख्य अतिथि डॉ.(प्रो.) अनुराधा कुमार तथा विशिष्ट अतिथि डॉ(प्रो.) पंकज कुमार रहे। मुख्य अतिथि इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद के राजनीति विज्ञान विभाग की पूर्व अध्यक्षा तथा विशिष्ट अतिथि वर्तमान अध्यक्ष हैं। प्रो. उषा देवी ने प्रो. अनुराधा कुमार तथा प्रो. वीरेन्द्र नारायण यादव ने प्रो. पंकज कुमार को पुष्पगुच्छ तथा शॉल देकर सम्मानित किया। साथ ही सत्यप्रकाश यादव ने भी दोनों अतिथियों को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया।
संगोष्ठी की शुरुआत रामजयपाल महाविद्यालय, छपरा के प्रभारी प्राचार्य प्रो. इरफान अली के स्वागत भाषण से हुई, तत्पश्चात डॉ. लाल बाबू यादव ने विषय प्रवर्तन करते हुए जातीय जनगणना कराने का प्रस्ताव पेश किया जो कि सर्वसम्मति से पारित किया गया। मुख्य अतिथि प्रो. अनुराधा कुमार ने अपने सम्बोधन में कहा कि देश के सर्वांगीण विकास के लिए जातीय जनगणना बहुत जरूरी है। देश के सभी जाति व वर्ग में मेधावी लोग हैं उन्हें मौका मिलनी चाहिए। जबतक सबकी उचित भागीदारी नहीं होगी तबतक सही ढंग से देश प्रगति नहीं कर सकता। उन्होंने सरकार की मनसा पर सन्देह व्यक्त करते हुए कहा कि जातीय जनगणना जारी होने के बाद सरकार उसे किस रूप में उपयोग करती है यह वक्त बताएगा। विशिष्ट अतिथि प्रो. पंकज कुमार ने अपने वक्तव्य में कहा कि 1931 के आँकड़े बहुत पुराने हो चुके हैं। नब्बे साल में देश बहुत बदल गया है इसलिए जातीय जनगणना बहुत जरूरी है। उत्तर प्रदेश में तो गाहे-बगाहे आरोप लगते रहते हैं कि पिछड़े वर्ग का सारा मलाई मात्र कुछ जातियों को ही मिल रहा है। जातीय जनगणना से ही पता चल पाएगा कौन कितना आगे बढ़ा है तथा कौन कितना पीछे है और कौन किसका कितना हक मार रहा है। उन्होंने आगे कहा कि कई बार ऐसा देखने को मिलता है कि अनारक्षित कोटे में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को शामिल नहीं किया जाता है जबकि उनकी मेरिट अनारक्षित श्रेणी के योग्य होता है, यह एक प्रकार का अपराध है। आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को योग्य होने पर अनारक्षित वर्ग में शामिल करना चाहिए। उसी प्रकार पिछड़े वर्ग के विकसित जातियों को चाहिए कि अतिपिछड़ी जातियों को आगे बढ़ने में उदारता पूर्वक सहयोग करें। छपरा सदर के विधायक डॉ. सी. एन गुप्ता ने कहा कि देश में बिहार इकलौता ऐसा राज्य है जहाँ सत्तापक्ष तथा विपक्ष के लगभग सभी घटकदल जातीय जनगणना के मुद्दे पर एक हैं। अध्यक्षीय सम्बोधन में प्रो. वीरेंद्र नारायण यादव ने बताया कि जातीय जनगणना लोगों में एकजुटता लायेगी। सभी को उनका वाजिब हक दिलाने व विकास सम्बंधित योजनाओं को बनाने में मददगार साबित होगी। संगोष्ठी में प्रो. उषा देवी, प्रो. अशोक सिन्हा, डॉ. जयराम सिंह, सत्यप्रकाश यादव, अरविंद कुमार यादव, ईश्वर राम, अशोक कुमार कुशवाहा, सुनील कुमार, डॉ. इंद्रकांत बबलू, विद्यासागर विद्यार्थी, रमेश कुमार, राकेश यादव आदि ने भी अपनी बात रखी। कार्यक्रम का संचालन डॉ. दिनेश पाल ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो. उदय शंकर ओझा द्वारा किया गया।
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