जीरो डोज वाले बच्चों की पहचान कर होगा टीकाकरण
छपरा(बिहार)सारण में नियमित टीकाकरण को मजबूत करने और बच्चों व गर्भवती महिलाओं को शत-प्रतिशत टीकाकरण से जोड़ने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने विशेष पहल की है। जीरो डोज टीकाकरण अभियान शुरू किया गया है। इसमें उन बच्चों की पहचान कर टीकाकरण किया जाएगा, जिन्हें अब तक एक भी टीका नहीं लगा है। इस अभियान के सफल संचालन के लिए शहर के एक निजी होटल में एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया। इसका शुभारंभ सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने किया।

यूनिसेफ के सहयोग से गावी के तहत पीसीआई द्वारा जिले के चार प्रखंडों दिघवारा, सोनपुर, मढ़ौरा और मशरक के चिन्हित गांवों में टीकाकरण किया जाएगा। जीरो डोज वाले बच्चों की संख्या कम करने और नियमित टीकाकरण का प्रतिशत बढ़ाने के लिए चारों प्रखंडों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखंड कार्यक्रम प्रबंधक, प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक और यूनिसेफ के बीएमसी को प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षण यूनिसेफ के शादान अहमद और गावी पीसीआई इंडिया के राज्य कार्यक्रम प्रबंधक कामता पाठक ने दिया।
प्रत्येक प्रखंड में 10-10 टीकाकरण सत्र होंगे
यूनिसेफ की एसएमसी आरती त्रिपाठी ने बताया कि जिले के चार प्रखंडों में जीरो डोज बच्चों के टीकाकरण के लिए 10-10 टीकाकरण सत्र आयोजित किए जाएंगे। कुल 40 टीकाकरण सत्र होंगे।
जीरो डोज बच्चों की पहचान कर होगा टीकाकरण
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. सुमन कुमार सिंह ने बताया कि जीरो डोज वे बच्चे हैं, जिन्हें नियमित टीकाकरण सेवाएं नहीं मिलीं। रूटीन इम्यूनाइजेशन एजेंडा-2030 के तहत इनकी संख्या कम करने और सभी बच्चों को टीकाकरण से जोड़ने के लिए कार्यशाला आयोजित की गई। उन्होंने बताया कि नवजात शिशुओं को पेंटावेलेंट की पहली खुराक 6 सप्ताह की उम्र में दी जाती है। लेकिन कई बच्चे इसे नहीं ले पाते, जिससे वे आगे चलकर सभी टीकों से वंचित रह जाते हैं। ऐसे बच्चों की पहचान कर उनके घर तक पहुंचना और उन्हें नियमित टीकाकरण से जोड़ना जरूरी है।
टीकाकरण क्यों जरूरी
टीकाकरण से बच्चों को इम्यूनिटी मिलती है, जिससे वे जानलेवा बीमारियों से बचते हैं। इसमें खसरा, पोलियो, काली खांसी, डिप्थीरिया, टिटनेस और पर्टुसिस जैसी बीमारियों के टीके शामिल हैं। ये इम्यून सिस्टम को मजबूत कर एंटीबॉडी बनाने की क्षमता बढ़ाते हैं। जन्म के समय नवजात को ये टीके देना जरूरी होता है।