पूर्णियाँ(बिहार)कोरोना वायरल विश्व को एक सबसे बड़ा संदेश जो दिया वह यह कि व्यक्ति की सुरक्षा उसके स्वयं के हाथों में है। कोरोना संक्रमण काल में बचाव के उपायों का पालन कर अपने साथ परिवार एवं समाज को संक्रमण के ख़तरे से बचाने में आम लोग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। संक्रमण के प्रसार के कारण व्यक्ति की सोच में सिर्फ़ बदलाव नहीं आए है , बल्कि इस महामारी ने उनकी दैनिक दिनचर्या को भी बदला है। जैसे-जैसे संक्रमण का प्रभाव बढ़ता गया हर एक घर की दिनचर्या भी बदलती चली गई है। लगातार लोगों के व्यवहार और कार्य में परिवर्तन आए हैं। स्वयं के साथ दूसरों को समझाना और नियमों का पालन कराना जैसे अब रोजमर्रा का काम हो गया है। लोग अब पहले की तुलना में ज्यादा सतर्क और जागरूक रहने लगे हैं। सड़क, बाजार में निकलने और कार्य के दौरान सजगता बरत रहे हैं। न केवल शारीरिक दूरी बल्कि मास्क का भी सही से उपयोग कर रहे हैं। लोगों की सोच बदली है और वह समझ चुके हैं कि सभी के समग्र प्रयास से ही उनका समाज सुरक्षित रहेगा।
दुकानदारों ने समझी अपनी जिम्मेदारी, हुए ज्यादा सतर्क:
प्रशासन की ओर से लगतार दिशा-निर्देश मिलने और नियमों के उल्लघंन पर कार्रवाई के बाद दुकानदार भी सजग हो गए हैं। वहीं संक्रमण के बढ़ने के बाद उन्हें अपनी जिम्मेदारियों का भी एहसास हुआ है। लॉकडाउन में छूट मिलने के बाद लोग जरूरत की सामानों को खरीदने के लिए बड़ी संख्या में निकलते हैं। ऐसे में अक्सर दुकानों में भीड़ लग जाती है। ऐसे में शारीरिक दूरी का पालन नहीं होता देख दुकानदार दरवाजे के आगे रस्सी लगा रहे हैं। दुकानों के आगे सामान लेने आने वाले के लिए घेरा लगाकर जगह चिहिन्त किया जा रहा है। मुख्य दरवाजे के पास या बाहर सैनिटाइजर रख रहे हैं। लोगों को जो सामान लेनी होती है वह नोट कराकर, उन्हें बाहर लाकर दे दिया जा रहा है। लोगों से भी निवेदन कर रहे हैं कि बाजार और दुकान में सामान लेने के दौरान पूरी सतर्कता बरतें।
सुरक्षा के मानकों को मापकर ही लोग करते हैं प्रवेश:
इधर, ज्वेलरी शॉप, सैलून, ब्यूटी पार्लर, श्रृंगार आदि के दुकान जो दिनों के अंतराल पर खुल रहे हैं उसके बाहर संचालकों ने साफ संदेश लगा रखा है कि बिना मास्क वालों की अनुमती नहीं मिलेगी। बैंक और एटीएम के बाहर में भी सूचनाएं लगाई गई हैं। लोग इसका पालन भी कर रहे हैं। साथ ही लोग अब किसी भी जगह सीधे रूप से प्रवेश नहीं करते। आसपास की पड़ताल, जगह की सफाई व्यवस्था और मौजूद लोगों की स्थिति देखकर ही प्रवेश करते हैं। भीड़ वाली जगहों में जाने से बच रहे हैं।
ठेले-सब्जी वाले भी सामान देने के साथ कर रहे जागरूकता की बात:
एक समय लोग बाहरी सामान लेने से कतराने लगे थे। संक्रमण के फैलने का भय था। इसे देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा और बचाव को लेकर दिशा निर्देश जारी किए। इसके बाद बाजार में रौनक लौटी। आज केवल सब्जी बाजार में ही नहीं बल्कि ठेले पर सामान बेचेने वाले भी पूरी सतर्कता बरत रहे हैं। मास्क का उपयोग करने के साथ सैनिटाइज भी अपने साथ रख रहे है। लोगों से खरीदारी करने के वक्त उचीत दूरी रखने और घर के थैले में ही सामान दे रहे हैं। ठेले के पास ज्यादा भीड़ न हो इसका ख्याल रख रहे हैं।
बड़े बुजुर्ग घर से निकलने पर कर दे रहे हैं सतर्क:
युवा जो अक्सर घर से बाहर रहते थे, उनपर परिवार का अब ज्यादा ध्यान रहता है। अगर वे बाजार जाने या दोस्तों से मिलने के लिए घर से निकलते हैं जो बड़े बुजुर्ग उन्हें सतर्क कर देते हैं। सुरक्षा मानको को अपनाने और समय समय पर हाथ धोने और स्वचछता का ख्याल रखने को कहा जा रहा है।
क्या कहते हैं आम लोग :
पूर्णियाँ विश्वविद्यालय के शोधार्थी निखिल कहते हैं कि कोविड-19 ने लोगों की सोच काफी हद तक बदल दी है। इसने समाज में सबको साथ लेकर चलने की परंपरा विकसित की है। वहीं आपसी एकता और संबंधों को भी मजबूती मिली है। बाजार और सड़क पर अब ज्यादा सावधानी और सतर्कता बरती जा रही है। लोग अपने साथ गरीब , किसानों और मजदूरों के बारे में भी सोच रहे हैं। संकट में साथ रहने के साथ एक दूसरे का हौसला बढ़ाया है। यह एक अच्छी पहल है जो आने वाले समय में भारत को अग्रणी राष्ट्र की पंक्ती में ले जाएगी।
प्रदेश सहमंत्री (एबीवीपी) रवि गुप्ता बताते हैं कि कोविड-19 के शुरुआत में लोग थोड़े डर हुए जरूर थे, लेकिन जैसे-जैसे लोगों ने इसे समझा तो डर काफी हद तक निकल गया। लोगों को पता है कि अगर वह सतर्क रहेंगे और सुरक्षा के नियमों का सही से पालन करेंगे तो सुरक्षित हैं। वहीं सरकार भी हर कदम पर जनता के साथ खड़ी है और अपने स्तर पर प्रयास कर ही रही है। लॉकडाउन और कोविड-19 का एक सकारात्मक पहलू यह भी रहा कि लोग एक दूसरे का सुख-दु:ख समझ रहे हैं। परस्पर आपसी संबंध भी पहले से काफी मजबूत हुए हैं।
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