जिले के कोरोना वॉरियर्स डटे हुए हैं महामारी को हराने के लिए
संक्रमण से बचने के लिए जानकारी जरुरी
किशनगंज(बिहार)जिले में भले ही कोरोना से संक्रमित मरीजों के आंकड़े कम हों। लेकिन इसके पीछे कोरोना वॉरियर्स के प्रयास को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है। जिले के वॉरियर्स अपने घर-परिवार से दूर रहकर वायरस को ढूंढने के लिए हर दिन घर से बाहर निकलते हैं। ये महामारी को हराने के लिए डटे हुए हैं। इनका यही हौसला आज देश-प्रदेश और जिले की ताकत बना हुआ है। इस दौरान कई स्वास्थ्यकर्मी भी कोरोना वायरस की चपेट में आये, लेकिन लोगों की सेवा की भावना कभी कम नहीं हुई। कोरोना संक्रमण ने संयमित जीवनशैली व नियमित दिनचर्या की जरूरत को स्थापित किया है. संक्रमण अभी कम नहीं हुआ है. हम कभी भी और कहीं भी संक्रमण का शिकार हो सकते हैं. इसलिए यह सबसे ज्यादा जरूरी है कि हम इससे बचाव के तमाम उपायों का शत-प्रतिशत अनुपालन करें. स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन करें.
लड़ाई लंबी चलनी है, इसके लिए तैयार हैं हम:
किशनगंज जिला के दीघलबैंक प्रखंड के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के वर्षीय प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ तेज नारायण रजक काम करते हुए खुद संक्रमण की चपेट में आ गए थे। इसके बाद वह होम आइसोलेशन में गए। पहले तो कोरोना के बारे सुनकर निराशा और डर हुई, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। शांत नहीं बैठे। खुद में जोश भरा जो रंग भी लाई। निगेटिविटी के सन्नाटे को सभी ने अपने जज्बे से भगा दिया। 15 दिन होम क्वारंटाइन रहे, फिर मरीजों के बीच ड्यूटी पर लौट आए।कोविड-19 के दौर में भी अपनी जिम्मेदारी को बखूबी पूरा किया और कभी अपने कार्य से पीछे नहीं हटे। इतना ही नहीं जब लोग एक-दूसरे को छूने से भी परहेज कर रहे थे उस दौर में भी डॉ रजक पीएचसी में बगैर किसी परवाह के मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा दे रहे थे। साथ ही मरीज व चिकित्सकों के बीच बेहतर संबंध का संदेश भी देते रहे ।
स्वस्थ होने के साथ ही दुगुनी ताकत के साथ पुनः अपने कार्य पर लौटे :
सेवा के भाव और स्वस्थ होने के बाद आत्मविश्वास से भरपूर डॉ तेज निराश नहीं हुए। वह अपनी इस विश्वास की चर्चा करते हुए बताते हैं कि इस बीमारी से ग्रस्त होने के बाद व्यक्ति को हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। अगर व्यक्ति में आत्मविश्वास और किसी भी कठिनाई से लड़ने का जज्बा हो तो वह बड़े से बड़े जंग को जीत सकता है। परिजनों का साथ इस वक्त सबसे ज्यादा जरूरी होता है। मानसिक मजबूती से समस्याओं का हल हो जाता है। आज जब अपने भी साथ छोड़ दे रहे हैं। ऐसे में चिकित्सक धूप में छांव की तरह लोगों की सेवा कार्य में लगे हुए हैं। चिकित्सक को धरती पर ईश्वर का दूसरा रूप क्यों कहा जाता है, यह आज सभी को समझ में आ गया है। अगर संक्रमण काल में आम लोगों की तरह ये भी घर पर बैठ जाते तो मानव जीवन संकट में पड़ सकता था। ऐसे में अपने कर्तव्य और मानव जीवन की रक्षा के लिए चिकित्सक वैश्विक महामारी के दौर में मरीजों का हर कदम पर साथ दे रहे हैं। उन्होंने जरूरी इलाज के साथ-साथ मजबूत इच्छाशक्ति और बुलंद हौसले से कोविड-19 को मात दी। स्वस्थ होने के बाद तुरंत पुनः अपने कार्य पर लौटे और फिर से दुगुनी ताकत के साथ मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा दे रहे हैं।
संक्रमण से बचने के लिए जानकारी जरुरी:
वायरस के बारे में बताते हुए डॉ तेज नारायण रजक कहते हैं कि यह वायरस सांस नली में जाकर म्यूकस की लेयर बना लेता है जो सॉलिड हो जाती है और सांस नली बंद हो जाती है. इलाज़ के लिए डॉक्टर्स इसी नली को खोलने की कोशिश करते हैं और दवाई देते हैं। इसमें कई दिन लग सकते हैं। इसलिए इस दौरान धैर्य भी जरूरी है। इससे बचने के लिए दिन भर समय- समय पर गरम पेय का सेवन करें- जैसे की कॉफी, चाय, सूप, गरम पानी. हर 20 मिनट में गरम पानी पीना लाभप्रद है। गर्म पानी का सेवन कोरोना का ईलाज नहीं है। लेकिन इससे ठीक होने में सहायता जरूर मिलती है।
लक्षण दिखते हीं कराएं इलाज, चिकित्सा परामर्श का करें पालन :
डॉ तेज नारायण रजक ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि कोविड-19 का लक्षण दिखते हीं तुरंत स्थानीय स्वास्थ्य संस्थान में जाँच करानी चाहिए। जिसके बाद चिकित्सकों द्वारा दी गयी चिकित्सा परामर्श का पालन करना चाहिए। दरअसल, समय पर इलाज शुरू होने से बहुत जल्द स्वस्थ होने में काफी सहयोग मिलता है। कोविड-19 से बचाव के लिए साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें। जबतक वैक्सीन-दवा नहीं आ जाती है, दो गज की दूरी के साथ मास्क का प्रयोग अवश्य करे। इससे आप सुरक्षित रहेंगे और समाज भी सुरक्षित रहेगा।
इन मानकों का करें पालन, कोविड-19 संक्रमण से रहें दूर :
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