पोषण अभियान को लेकर ऑटो रिक्शा से लोगों को किया जाएगा जागरूक: डीपीओं
राष्ट्रीय पोषण अभियान के तहत कुपोषण खत्म करने के लिए लिया जाएगा सोशल मीडिया का सहारा
पूर्णिया(बिहार)राष्ट्रीय पोषण महीने में कुपोषण को जड़ से खत्म करने के लिए मंगलवार को जिला स्तरीय पोषण परामर्श केंद्र का विधिवत उद्घाटन आईसीडीएस के जिला प्रोग्राम पदाधिकारी शोभा सिन्हा द्वारा किया गया. वहीं डीपीओ शोभा सिन्हा, पोषण अभियान के ज़िला समन्यवयक निधि प्रिया, सहायक सुधांशु कुमार व कई अन्य के द्वारा संयुक्त रूप से पोषण अभियान के जागरूकता के लिए ऑटो रिक्शा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया. जो शहरी क्षेत्रों के विभिन्न मार्गो में भ्रमण कर लोगों को पोषण से जुड़ी हुई जानकारियों को सांझा करेगा.
व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर पोषण से संबंधित दी जाएगी जानकारी:
डीपीओ शोभा सिन्हा ने बताया कि कुपोषण को खत्म करने के लिए प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया का भी सहारा लिया जाएगा. इस संबंध में ज़िले के सभी आंगनबाड़ी सेविका व सहायिकाओं को निर्देशित किया गया हैं कि वह मास्क एवं सेनेटाइजर का प्रयोग करने के साथ ही अपने पोषक क्षेत्रों की गर्भवती व धात्री महिलाओं सहित अन्य लोगों को जागरूक करने के लिए व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जाए, जिसमें समय-समय पर पोषण से संबंधित जानकारी दी जाएगी. जिससे कुपोषण को जड़ से खत्म करने में काफ़ी सहयोग मिलेगा. साथ ही इस दौरान गर्भवती व धात्री माताओं को सोशल मीडिया के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जाएगा. कुपोषण को दूर करने में क्या-क्या करना चाहिए और नवजात शिशुओं को स्वस्थ कैसे रखा जाएगा उसके लिए भी पोषण से जुड़ी हुई जानकारी दी जाएगी.
गर्भवती व धात्री महिलाओं को पोषण युक्त भोजन लेना है जरूरी:
पोषण अभियान के जिला समन्यवयक निधि प्रिया ने बताया, ज़िला मुख्यालय स्थित आईसीडीएस कार्यालय में पोषण अभियान के तहत पोषण परामर्श केंद्र की स्थापना की गई हैं जिसमें गर्भवती व धात्री महिलाओं का काउंसेलिंग के माध्यम से यह जानकारी दी जाएगी कि खानपान में क्या जरूरी हैं और पौष्टिक आहार कब व कितनी मात्रा में लेनी चाहिए, महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान पौष्टिक भोजन लेना बहुत ही जरूरी होता हैं, क्योंकि गर्भ में पल रहे बच्चों का अच्छे तरह से विकास होता है. उन्होंने बताया, संतुलित पोषक भोजन खानपान कराने वाली महिलाओं को संतुलित और पोषक भोजन का सेवन करना चाहिए, जिसमें साबूत अनाज, दाल, फल, मांस, मछली, हरी पत्तेदार साग-सब्जियां, दूध और दूध उत्पाद, संतुलित मात्रा में लेनी चाहिए. प्रसव के बाद माताओं में एनीमिया होने की शिकायत होने की संभावना अधिक होती हैं, इसीलिए 180 आयरन की गोली का सेवन करना चाहिए. साथ ही बताया , स्तनपान कराने वाली महिलाओं को प्रतिदिन 500 से लेकर 550 अतिरिक्त कैलोरी का सेवन करना चाहिए, ताकि मां और बच्चें दोनों की पोशक आवश्यकता पूरी हो सकें
शिशुओं के विकास के लिए 6 माह के बाद पूरक आहार है जरूरी:
जिला समन्यवयक निधि प्रिया ने बताया, नवजात शिशुओं को छः महीने तक सिर्फ़ मां का दूध ही देना चाहिए इसके अलावे एक बूंद पानी भी नही देना होता हैं. दो साल तक स्तनपान के साथ पूरक आहार करना चाहिए. उन्होंने बताया, गर्भावस्था व जन्म के बाद के शुरुआती वर्ष में मस्तिष्क और अन्य महत्वपूर्ण अंगों के विकास के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं. नवजात बच्चों के संपूर्ण विकास को सुनिश्चित करने के लिए विटामिन, मिनरल्स, कैल्शियम, आयरन, वसा और कार्बोहाइड्रेट जैसे पोषक तत्वों से भरपूर संतुलित आहार देना बहुत महत्वपूर्ण होता है.
इस अवसर पर आईसीडीएस के ज़िला प्रोग्राम पदाधिकारी शोभा सिन्हा, पोषण अभियान के जिला समन्यवयक निधि प्रिया, जिला परियोजना सहायक सुधांशु कुमार सहित कई विभागीय कर्मी मौजूद थे.
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