लेखक:अनूप नारायण सिंह
पटना(बिहार)पत्रकारों की आवाज़ को बुलंदी देने वाले और उनके हक की लड़ाई को सदन में मजबूती से उठाने वाले भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं बिहार विधान परिषद के सदस्य डॉ. संजय प्रकाश मयूख ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि वे केवल भाषणों के नेता नहीं, बल्कि जमीन पर काम करने वाले जनप्रतिनिधि हैं।डॉ. मयूख ने विधान परिषद में पत्रकारों के लिए ₹6000 की मामूली पेंशन को असंगत और अपमानजनक बताते हुए उसे ₹15000 तक बढ़ाने की पुरज़ोर मांग की थी। उनके इसी सतत प्रयास और दबाव का नतीजा है कि अब बिहार सरकार ने पत्रकारों को बड़ा तोहफा देते हुए पेंशन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी का निर्णय लिया है।
डॉ. मयूख ने सदन में कहा था –”पत्रकार लोकतंत्र का चौथा स्तंभ हैं। उनकी सेवा का मूल्य कोई रकम नहीं चुका सकती, लेकिन सम्मानजनक पेंशन देकर सरकार उनके योगदान को मान्यता दे सकती है।”पिछले कुछ वर्षों में पत्रकारों के हितों की बात जहां अक्सर नजरअंदाज होती रही, वहीं डॉ. मयूख ने इसे न केवल मुद्दा बनाया, बल्कि उसे सरकार तक पहुंचाकर परिणाम भी दिलाया। चाहे पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग हो, मीडिया कर्मियों के लिए चिकित्सा सुविधाओं का मुद्दा हो या पेंशन में बढ़ोतरी – डॉ. मयूख हर बार अग्रणी भूमिका में रहे।
बिहार के वरिष्ठ पत्रकारों और मीडिया संस्थानों ने इस फैसले का स्वागत करते हुए डॉ. मयूख को ‘पत्रकारों का सच्चा हितैषी’ बताया है।आज जब पत्रकारिता तमाम चुनौतियों से जूझ रही है, ऐसे समय में डॉ. संजय प्रकाश मयूख जैसे नेता लोकतंत्र की आत्मा को संबल देते हैं। यह फैसला न केवल आर्थिक राहत है, बल्कि एक संदेश भी – कि पत्रकारों को अब अनदेखा नहीं किया जा सकता।
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