पूर्णिया(बिहार)साल के समापन के साथ बहुत सी अच्छी कलाकृतियों का भी समापन हो जाता है। स्वास्थ्य विभाग में ऐसे ही एक कलाकृति का समापन हुआ है 31 दिसंबर के साथ। 31 दिसंबर से जिले के गैर संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. वीपी अग्रवाल सेवानिवृत्त हो रहे हैं। जब से राज्य स्वास्थ्य विभाग द्वारा गैर संचारी रोग नियंत्रण के लिए अलग से कार्यक्रम शुरू किया गया पूर्णिया जिले में इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई डॉ. वीपी अग्रवाल को। इन्होंने वर्ष 2018 से शुरू होने वाले इस कार्यक्रम को जिले में अलग मुकाम तक पहुँचा दिया। आज जिले में गैर संचारी रोग से ग्रसित मरीजों को आशा कर्मियों द्वारा आसानी से पहचान कर उन्हें नजदीकी अस्पतालों में उपलब्ध सुविधाओं का लाभ दिलवाया जाता है। गैर संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. वीपी अग्रवाल के सेवानिवृत्त होने के कारण स्वास्थ्य विभाग द्वारा उनके सम्मान में विदाई समारोह आयोजित किया गया। इस दौरान उनके द्वारा स्वास्थ्य विभाग में दिये गए योगदान के लिए उन्हें सम्मानित करते हुए भविष्य में उन्हें स्वस्थ और आनंदमयी जीवनयापन करने की कामना की गई। उनके विदाई समारोह में अपर स्वास्थ्य निर्देशक डॉ विजय कुमार, सिविल सर्जन डॉ. अभय प्रकाश चौधरी, डीआईओ डॉ विनय मोहन, जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. आरपी मंडल,आरपीएम कैसर इकबाल, डीपीएम सोरेंद्र कुमार दास, डीपीसी डॉ. सुधांशु शेखर, डीसीक्यूए डॉ. अनिल कुमार सिंह, मेडिकल कॉलेज चिकित्सक डॉ. सुधांशु कुमार,एनसीडी फाइनेंस सलाहकार केशव कुमार, डब्ल्यूएचओ कंसल्टेंट शेखर कपूर, डीएमएनई आलोक कुमार, एपिडेमियोलॉजिस्ट नीरज कुमार निराला सहित अन्य स्वास्थ्य अधिकारी उपस्थित रहे।
वर्ष 2018 में मिली थी एनसीडी की जिम्मेदारी :
डॉ. वी पी अग्रवाल की नियुक्ति वर्ष 1990ई में बिहारीगंज के अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक के रूप में हुई थी। वहां कुछ दिन काम करने के बाद उनका ट्रांसफार्मर मधेपुरा जिला में हो गया था। पांच साल वहां काम करने के बाद 04 अगस्त 2005 ई में उनकी नियुक्ति पूर्णिया सदर अस्पताल के जन प्रयोगशाला में पेथेलोजिस्ट के पद पर हुई थी। 2006 में इन्हें सदर अस्पताल में फिजिसियन के रूप में जिम्मेदारी सौंपी गई। जिसके बाद उन्होंने सदर अस्पताल में उपस्थित मरीजों की जांच और इलाज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्ष 2016 में बिहार में शुरू हुए नशाबंदी कार्यक्रम में पूर्णिया जिला से उन्हें नोडल अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया। नशाबंदी नोडल अधिकारी के रूप में उन्होंने जिले के महत्वपूर्ण नशा मुक्ति जागरूकता अभियान के साथ जिले में नशा वितरण करने वाले दुकानों को बंद करवाने में अपनी भूमिका निभाई। वर्ष 2018 ई उनकी नियुक्ति जिले में गैर संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी के रूप में हुई। जिसके बाद उन्होंने गैर संचारी रोग से ग्रसित मरीजों की पहचान करते हुए उन्हे अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं का लाभ दिलाने का काम किया। 31 दिसंबर 2023 ई को डॉ वी पी अग्रवाल जिला गैर संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी के साथ स्वास्थ्य विभाग के अपर निदेशक के रूप में अपनी योगदान देते हुए सेवानिवृत्त हुए। इस दौरान उन्होंने जिले के सदर अस्पताल (वर्तमान राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल) में गैर संचारी रोगों में शामिल रक्तचाप, मधुमेह, कैंसर, हृदय रोग, फेफड़ों की बीमारी, मानसिक स्वास्थ स्थिति, स्ट्रोक आदि से संबंधित बीमारियों से ग्रसित मरीजों की पहचान करते हुए उन्हें उपलब्ध सुविधाओं का लाभ देने में अपनी भूमिका निभाई।
जिला से लेकर प्रखंड स्तर तक शुरू करवाये एनसीडी क्लीनिक :
डॉ. वी पी अग्रवाल ने पूर्णिया के साथ साथ जिले में प्रमुख प्रखंडों में भी गैर संचारी रोगों से ग्रसित मरीजों का आसानी से इलाज उपलब्ध कराने के लिए गैर संचारी रोग (एनसीडी) क्लीनिक की शुरुआत कराई। उन्होंने राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल के साथ साथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कसबा, बैसा, भवानीपुर, अनुमंडलीय स्वास्थ्य अस्पताल धमदाहा, बनमनखी के साथ रेफरल अस्पताल रुपौली और अमौर में एनसीडी क्लीनिक की शुरुआत करवाई है। इसके अलावा अन्य प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में अलग से एनसीडी कॉर्नर उपलब्ध कराई गई है। एनसीडी क्लीनिक में 30 वर्ष से अधिक उम्र के सभी मरीजों की रक्तचाप और मधुमेह की विशेष रूप से जांच कर उन्हें आवश्यक चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराई जाती है। एनसीडी के अन्य बीमारी के संभावित मरीजों का एनसीडी क्लीनिक में विशेष रूप से इलाज किया जाता है। जिससे कि मरीज स्वस्थ रहते हुए अपना जीवन यापन आसानी से कर सके।
ग्रामीण क्षेत्रों के एनसीडी रोगियों की खोज के लिए सभी आशा कर्मियों को किया प्रशिक्षित :
एनसीडी पदाधिकारी डॉ. वी पी अग्रवाल ने बताया कि 30 वर्ष से अधिक उम्र के बाद लोग कभी भी गैर संचारी रोग का शिकार हो सकते हैं। इसमें मधुमेह, रक्तचाप से तो प्रायः हर कोई ग्रसित हो जाता है। इससे सुरक्षा के लिए सभी लोगों को साल में एक बार इसकी जांच जरूर करवानी चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे मरीजों की समय से पहचान कर उन्हें चिकित्सकीय सहायता प्रदान करवाने के लिए सभी प्रखंडों की आशा कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है। इसके कारण आशा कर्मियों द्वारा स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य की सभी जानकारी स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध कराई जा रही है। इससे गैर संचारी रोग से ग्रसित मरीजों की शुरुआत में ही पहचान करते हुए उनका इलाज किया जा सकता और लोग गैर संचारी बीमारियों से सुरक्षित रह सकते हैं।
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