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शुरूआती समय में रोग की पहचान व समुचित इलाज से ब्लैक फंगस का आसानी से उपचार संभव

  • अनियंत्रित मधुमेह व सहित गंभीर रोग से से ग्रसित मरीजों को म्यूकोरमाकोसिस का खतरा अधिक
  • लंबे अवधि तक एक ही मास्क उपयोग में लाने व नमी युक्त मास्क के उपयोग से संक्रमण का खतरा

अररिया(बिहार)देश भर में म्यूकोरमायकोसिस के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। ब्लैक फंगस नामक इस रोग के लिये लंबी अवधि तक इस्तेमाल किया गया मास्क व नमी युक्त मास्क के उपयोग को भी रोग का कारण बताया जा रहा है। ब्लैक फंगस से बचाव को लेकर कोविड -19 नेशनल टास्क फोर्स व एक्सपर्ट ग्रुप द्वारा जारी दिशा निर्देश में गंभीर रोग से पीड़ित मरीजों को इस बीमारी से बचाव को लेकर खासतौर पर सतर्क रहने की अपील की गयी है। साथ ही रोग को लेकर किसी तरह के अफवाह व भ्रांतियों से बचने के लिये कहा गया है।

नाक से होती है संक्रमण की शुरूआत:

म्यूकोरमायकोसिस के संबंध में जानकारी देते हुए सिविल सर्जन डॉ एमपी गुप्ता ने बताया पोस्ट कोविड पेसेंट जिन्हें इलाज के दौरान लंबे समय तक ऑक्सीजन लगाये जाने या मास्क लगाये रहने के कारण फंगल इंफेक्शन का खतरा होता है। म्यूकोरमायकोसिस एक फंगल संक्रमण है। संक्रमण की शुरूआत नाक से होती है। जो धीरे-धीरे आंखों में पहुंच जाती है। आंखों का लाल होना, डिस्चार्ज होना, कंजंक्टिवाइटिश के लक्षण इस रोग के कारण उभरते हैं। आंखों में असहनीय पीड़ा होती है। इसका असर आंख के रेटिना पर पड़ता है। इससे दृष्टि प्रभावित होने का खतरा होता है। धीरे-धीरे संक्रमण ब्रेन, नर्वस सिस्टम व हृदय तक पहुंच जाने से रोगी की मृत्यु भी हो सकती है।

कमजोर इम्यूनिटी वाले को रोग का खतरा अधिक :

लंबे समय से स्टेरायड दवा का सेवन करने वाले, अनियंत्रित मधुमेह के मरीज, लंबे समय तक आईसीयू में इलाजरत मरीज व अंग प्रत्यारोपण कराने वाले मरीजों को इसके संक्रमण का खतरा अधिक होता है। सिविल सर्जन ने बताया आंख व नाक के आसपास दर्द व लाली का रहना, बुखार, सिर दर्द, खांसी, सांस लेने में कठिनाई, मानसिक स्थिति में बदलाव, उल्टी में खून का आना, छाती में दर्द और सांस लेने में परेशानी ब्लैक फंगस के शुरूआती लक्षण हो सकते हैं। इस तरह का कोई लक्षण दिखने पर तत्काल अपने नजदीकी चिकित्सक के सलाह पर इलाज शुरू करने की सलाह सिविल सर्जन ने आम लोगों को दी। उन्होंने कहा कि शुरूआती दौर में रोग की पहचान व समुचित इलाज से इसका आसानी से उपचार संभव है।

रोग से बचाव के लिये विशेष सावधानी जरूरी:

ब्लैक फंगस से बचाव के लिये मास्क की नियमित सफाई के साथ-साथ इस्तेमाल किया जा रहा मास्क का पूरी तरह सूखा होना जरूरी है। कोरोना से उबरने वाले लोगों के लिये यह जरूरी है कि वह हर दिन मास्क को डिटॉल से धोयें व धूप में पूरी तरह इसे सूखाने के बाद ही इसका इस्तेमाल करें। अमूमन कमजोर इम्यूनिटी वाले मरीजों को इसके संक्रमण का खतरा अधिक होता है। सिविल सर्जन ने कहा कि सभी मेडिकल कॉलेज में ब्लैक फंगस के इलाज का समुचित इंतजाम किया गया है। उपचार के लिये दवा भी उपलब्ध हो चुका है। उन्होंने कहा ठंड, बुखार सहित कोरोना से जुड़े किसी अन्य लक्षण दिखने पर आपदा मित्र हेल्पलाइन नंबर 14410 व कोरोना हेल्पलाइन नंबर 1912 व हेल्थ हेल्पलाइन सेवा 104 पर जरूरी जानकारियों के लिये संपर्क किया जा सकता है।

Mani Brothers

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