जिले में प्रधानमंत्री मातृत्व योजना के तहत हुआ विशेष अभियान संचालित
मातृत्व मृत्यु दर के मामलों में कमी लाने के उद्देश्य से प्रसव पूर्व जांच जरूरी
अररिया(बिहार)गर्भवती महिलाओं के प्रसव पूर्व जांच को लेकर जिले के अमूमन सभी स्वास्थ्य संस्थानों में उत्सवी माहौल दिखा। जिलाधिकारी प्रशांत कुमार सीएच के निर्देश पर इसे लेकर जिले में शनिवार को विशेष अभियान का संचालित किया गया। प्रमुख चिकित्सा संस्थान ही नहीं सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, हेल्थ सब सेंटर सहित अन्य संस्थानों में जांच को लेकर विशेष इंतजाम किये गये थे। एक ही जगह पर सभी जरूरी जांच का इंतजाम किया गया था। अभियान से पूर्व हीं आशा, एएनएम व आंगनबाड़ी सेविका के माध्यम से क्षेत्र में इसे लेकर जागरूकता अभियान संचालित करते हुए जांच के लिए गर्भवती महिलाओं को चिह्नित किया गया था। इतना ही नहीं केंद्र पर जांच के लिये पहुंचने वाली गर्भवती महिलाओं के लिए नास्ता व शुद्ध पेयजल का भी इंतजाम किया गया था। अभियान की सफलता को लेकर जिलास्तर से ही वरीय स्वास्थ्य अधिकारियों को प्रखंडवार अभियान के अनुश्रवन व निरीक्षण को लेकर प्रतिनियुक्ति की गयी थी। सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह व डीपीएम स्वास्थ्य रेहान अशरफ जहां अररिया प्रखंड के विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में संचालित अभियान का निरीक्षण करते दिखे। वहीं फारबिसगंज व नरपतगंज प्रखंड में निरीक्षण का जिम्मा डीवीबीसीडीओ डॉ अजय कुमार सिंह , पलासी में अभियान के सफल संचालन का जिम्मा डीआईओ डॉ मोइज ने संभाल रखा था। इसी तरह सहयोगी संस्था के प्रतिनिधियों को भी अलग-अलग प्रखंड का जिम्मा सौंपा गया था। वहीं जिलाधिकारी सुबह से ही पूरे जिले में संचालित अभियान की मॉनिटरिंग कर रहे थे।
गर्भवती महिलाओं का प्रसव पूर्व चार जांच जरूरी :
जानकारी देते हुए सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने कहा कि प्रसव पूर्व जांच को एएनसी यानि एंटी नेटल केयर कहते हैं। मां और बच्चे कितने स्वस्थ्य हैं। इसका पता लगाने के लिए जांच जरूरी है। इससे गर्भावस्था के समय होने वाले जोखिमों की पहचान, संबंधित अन्य रोगों की पहचान व उपचार आसान हो जाता है। जांच के जरिये हाई रिस्क प्रेग्नेंसी यानि एचआरपी को चिह्नित करते हुए उसकी उचित देखभाल की जाती है। उन्होंने कहा कि मुख्यतः खून, रक्तचाप, एचआईवी, की जांच की जाती है। डीआईओ डॉ मोइज ने बताया कि एएनसी जांच से प्रसव संबंधी जटिलताओं का पहले ही पता चल जाता है। भ्रूण की सही स्थिति का पता लगाने, एचआईवी जैसे गंभीर बीमारी से बच्चे का बचाव व एनीमिक होने पर प्रसूता का सही उपचार किया जाता है। उन्होंने कहा कि एचआरपी के मामले में प्रसूता को ज्यादा चिकित्सकीय देखभाल की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि गर्भधारण के तुरंत बाद या गर्भावस्था के पहले तीन महीने के अंदर पहला एएनसी जांच जरूरी है। दूसरी जांच गर्भावस्था के चौथे या छठे महीने में,तीसरी जांच सातवें या आठवें महीने में व चौथी जांच गर्भधारण के नौवें महीने में जरूरी होती है।
चार हजार से अधिक महिलाओं की जांच में एचआरपी 350 मामले :
डीपीएम स्वास्थ्य रेहान अशरफ ने अभियान की जानकारी देते हुए कहा कि जिलाधिकारी के आदेश पर संचालित अभियान जिले में खासा सफल रहा। जिलाधिकारी के मार्गदर्शन में अभियान की सफलता को लेकर विशेष प्रयास किये गये। संचालित अभियान को लेकर पूरे जिले में उत्साह देखा गया। जिला ही नहीं प्रखंड व पंचायत स्तर पर भी अभियान को सफल बनाने में कर्मियों ने कड़ी मेहनत की। अभियान को ले कर पुख्ता आंकड़ा आने में देरी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि दोपहर दो बजे तक जिले में 25 सौ महिलाओं की जांच हो चुकी थी। इसमें हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के 200 मामले चिह्नित किये गये थे। प्रखंडवार उपलब्ध जानकारी का हवाला देते हुए उन्होंने अभियान के क्रम में 4000 से अधिक गर्भवती महिलाओं की जांच व एचआरपी के 350 मामले चिह्नित किये जाने की बात कही।
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